‘जहा हम खड़े हो जाते हैं लाइन वही से शुरू होती है...’
‘जहा हम खड़े हो जाते हैं लाइन वही से शुरू होती है...’ डॉयलाग फिल्म कालिया का है लेकिन यह सिर्फ #1EK फिल्म नहीं... महानायक के कॅरिअर में ऐसी तमाम फिल्में हैं, जिन्हें उन्होंने अपने अभिनय से अमर बना दिया है। जब राजेश खन्ना सुपर स्टार हुआ करते थे तब आनंद में वह सहनायक बने और इसके बाद राजेश खन्ना का सितारा डूब गया और जंजीर से अमिताभ बच्चन ने एंग्री यंगमैन का जो नया तिलस्म रचा... वह आज तक जारी है।
1971 में आनंद... मे बाबू मोशाय.... 1973 में इंस्पेक्टर विजय.... इसी साल अभिमान और नमक हराम और फिर #1EK साल के गैप के बाद वर्ष 1975 में दीवार... तुम्हारे पास क्या है... शशि कपूर... मेरे पास मां है कहकर उन्हें चुप करा देते हैं। इसी साल शोले और चुपके-चुपके और दोनों ही फिल्में एक-दूसरे के फ्रेम से एकदम अलग लेकिन कॉमिक टाइम #1EK सी। शोले में मारधाड़... बदला और मनोरंजन के सारे मसाले और चुपके-चुपके में भाषा की अहमियत और उसकी समृदि्ध की बातें लेकिन मनोरंजक अंदाज में...।
फिर #1EK साल के गैप के बाद 1977 में अमर अकबर एंथोनी में धार्मिक एकता की क्लासिक कहानी... मनमोहन देसाई की जुबानी। अमिताभ जी कहते हैं कि तीन बेटों का खून निकलकर एक बोतल में जाता है और फिर उसे मां को चढ़ाया जाता है... गजब का इमोशनल सीन था... लॉजिक नहीं था पर सबको पसंद आया। यही सच है... बुद्धिजीवी और आम लोगों की निगाह का...। इसी साल खून-पसीना, परवरिश और 1978 में डॉन... ने रचा इतिहास। डबल रोल और पान खाने का अंदाज जो गंगा किनारे वाले छोरे ने दिखाया, वह आज तक लोगों को झुमा देता है।
वर्ष 1979 में काला पत्थर और इस फिल्म के बाद से अमिताभ बच्चन को महानायक कहा जाने लगा। इसी साल सुहाग, वर्ष 1980 में दोस्ताना और 1981 में याराना, लावारिस, सिलसिला और कलिया ने उनकी लोकप्रियता को चार चांद लगा दिए। फिर 1982 में सत्ते पे सत्ता और नमक हलाल के किरदारों ने उन्हें सबका और चहेता बनाया। यही साल उनके लिए काल सरीखा बनकर भी आया और कुली की शूटिंग के दौरान वह पुनीत इस्सर के हाथों घायल हो गए। तारीख थी 24 जुलाई 1982 और जगह थी बेंगलुरु। पुनीत ने एक बार बताया था हादसे के बाद मुझे घर पर धमकी-भरे खत आते थे। लोग बोलते थे कि तुम्हें हम जान से मार देंगे। मुझे कई बार जवाब देना पड़ा कि मैं एक कलाकार हूं। कहीं जाने-अनजाने में आप को ठेस पहुंचाई है, तो क्षमा प्रार्थी हूं। मैं क्षमा मांगता हूं। मैंने जानबूझकर ऐसा कुछ नहीं किया। #1EK टीवी शो के दौरान उन्होंने यह भी बताया था कि इस हादसे के बाद उन्हें काफी समय तक काम नहीं मिला था।
दूसरी ओर अमिताभ बच्चन का व्यक्तित्व भी इतना बड़ा है कि उन्होंने हादसे के लिए पुनीत इस्सर को कभी कसूरवार नहीं ठहराया। हादसे के बाद उनका पहला ऑपरेशन बेंगलुरु के हॉस्पिटल में हुआ। फिर मुंबई के ब्रीच कैंडी में सर्जरी हुई। यह उनका दूसरा जन्म था। वह 61 दिन मौत से लड़े और जिंदगी फिर से शुरू की। 24 सितंबर 1982 को ब्रीच कैंडी अस्पताल से उन्हें छुट्टी मिली थी। दुर्घटना के अगले साल 7 जनवरी को डॉक्टर्स ने उन्हें ठीक घोषित कर दिया, लेकिन काम की इजाजत नहीं मिली। इस बीच 2 दिसंबर 1983 को कुली रिलीज हुई और अमिताभ के चाहने वालों ने इसे हाथोंहाथ लिया।
चलती फिल्म में दुर्घटनाग्रस्त होने वाला सीन आज भी रुक जाता है और दर्शकों को बताता है कि इसी सीन पर अमिताभ बच्चन के साथ हादसा हुआ था। शायद ऐसा इत्तफाक किसी और फिल्म के साथ नहीं जुड़ा होगा। इसी प्रकार जब वह अस्पताल से लौटे तो लोगों की बेकाबू भीड़ घर पर उनका इंतजार कर रही थी। घर पहुंचकर उन्होंने हाथ हिलाकर अपने शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा किया। इस वास्तविक सीन को ही फिल्म कुली के अंतिम सीन के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। #1EK और सबसे महत्वपूर्ण बात कि प्रयाग राज और कादर खान की लिखी शुरुआती स्क्रिप्ट में अमिताभ के मरने के साथ फिल्म खत्म होने वाली थी लेकिन उनकी चोट की वजह से मेकर्स को लगा कि ऑडियंस हॉल ही में मौत के मुंह से बचकर आए अमिताभ बच्चन को परदे पर मरता हुआ देखना पसंद नहीं करेगी। इसलिए ऐन मौके पर फिल्म के स्क्रिप्ट को बदल दिया गया और फिर जो हुआ... वह इतिहास बन गया।
अमिताभ ने विभिन्न मुलाकातों में बताया- ‘डॉक्टर्स ने मुझे मेडिकली मृत घोषित कर दिया था। जया आईसीयू रूम के बाहर खड़ी सब देख रही थीं। डॉक्टर ने कोशिश बंद कर दी थी, तभी जया चिल्लाईं, मैंने अभी उनके पैर के अंगूठे हिलते देखे हैं, प्लीज कोशिश करते रहिए। डॉक्टर्स ने मेरे पैर की मालिश करनी शुरू की और मेरे अंदर फिर जान आ गई।’
इलाज के बाद की हालत पर... कहते हैं- ‘मैं तो शारीरिक और मानसिक रूप से टूट चुका था, लेकिन जया मजबूती से खड़ी थीं। दुर्घटना के अगले साल 7 जनवरी को डॉक्टर्स ने मुझे ठीक घोषित कर दिया, लेकिन काम की इजाजत नहीं मिली। उस साल अगस्त तक जाकर डॉक्टर्स ने कहा कि आप थोड़ा काम कर सकते हैं। इसके बाद मैंने अपना काम और शूटिंग दोबारा से शुरू किया।’
इसके बाद जिंदगी की जद्दोजहद फिर शुरू हो गई और अभिनय का सितारा फिर से चमक बिखेरने में जुट गया। 1984 में शराब, 1985 में मर्द, 1990 में अग्निपथ जैसी फिल्मों ने उन्हें महानायक साबित किया। इस बीच 1984 में अभिनय से विश्राम लेकर अपने मित्र राजीव गांधी को सहयोग देने के लिए राजनीति में कूद पड़े। स्टारडम का असर था कि इन्होंने इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को ऐतिहासिक 68.2 प्रतिशत के अंतर से हराया लेकिन बाद में इन्हें अहसास हुआ कि राजनीति का फलक अभिनय के आसमान से जुदा है और तीन साल बाद अपनी राजनीतिक अवधि को पूरा किए बिना त्याग दिया। इस त्यागपत्र के पीछे इनके भाई का नाम बोफोर्स विवाद में चर्चा में आना बताया जाता है। इसके लिए इन्हें अदालत में जाना जाना था। हालांकि इन्हेंदोषी नहीं पाया गया।
इसके बाद 12 फरवरी 1988 को फिल्म शहंशाह रिलीज हुई और इसके बाद यह बादशाह कमाई के मामले में कमजोर होता गया। 1992 में खुदा गवाह का भी साथ नहीं मिला और फिर अमिताभ बच्चन कारपोरेशन लिमिटेड ने इन्हें आर्थिक तौर पर बहुत नुकसान पहुंचाया। फिर केबीसी बोले तो कौन बनेगा करोड़पति ने वर्ष में 2000 इनकी वापसी करवाई और महानायक अभिनय की नई दुनिया में अपना स्थान तलाशते नजर आने लगे। यह छटपटाहट अभी जारी है। पिछले साल उन्होंने #1EK शेयर तस्वीर के साथ लिखा, "कैप्शन बताता है कि ट्विटर पर 45 मिलियन फॉलोअर्स हो गए हैं, थैंक्यू जैस्मिन, लेकिन यह तस्वीर बहुत कुछ कहती है। यह वह पल है जब मैं कुली के सेट पर घटना के बाद मौत से जूझकर घर वापस लौटा था। यह पहली बार था जब मैंने पिता की आंखों में आंसू देखे थे। अभिषेक भी चिंता में था।"
उन्हें अभी तक अग्निपथ, ब्लैक, पा और पीकू सहित चार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण पुरस्कार के साथ 2019 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कर भी मिल चुका है।
अमिताभ बच्चन ने पुरस्कार लेने के बाद सभी का शुक्रिया अदा किया था और यह भी साफ किया कि वह अभी रिटायर नहीं होने जा रहे हैं, अभी उन्हें काम मिल रहा है। 80 साल की उम्र में केबीसी को वह अभी होस्ट कर रहे हैं और फिल्मों में भी वह सक्रिय हैं।
काश #1EK मुलाकात मेरी भी उनके साथ हो.... बस इसी तमन्ना के साथ...
Dr. Shyam Preeti
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