#टमाटर के दामों में उछाल... आजमाएं यह #1EK रास्ता

आज भारत में टमाटर के भाव बढ़ने से कहा जा रहा है कि यह लाल हो गया है... लाल बोले तो खतरे का निशान.... लेकिन जनाब.. पका टमाटर हमेशा से लाल ही रहा है। लेकिन जब इसके दाम आसमान छूने लगते हैं तो मीडिया इसे इनवर्टेड कॉमस में लाल लिखना शुरू कर देता है...! इसके दाम बढ़ गए हैं... कारणों की पड़ताल की जाती है लेकिन #1EK भी ऐसा मीडिया समूह नहीं होता, जो इसका रास्ता दिखाता हो कि आगे यह महंगा न हो, इसके लिए किसानों को और आम आदमियों को क्या करना चाहिए?
गौरतलब है कि कई बार ज्यादा पैदावार के चलते टमाटर की कीमत इतनी गिर जाती हैं कि किसान इन्हें फेंकना सस्ता समझते हैं और जब यही आवक मांग के अनुरूप कम हो जाती है तो इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। यह तो बाजार का नियम है कि मांग ज्यादा और आवक कम तो दाम बढ़ना तय है और मांग कम और आवक ज्यादा तो दाम गिर जाता है। दाम गिरते हैं तो किसानों की मेहतन खराब हो जाती है और दाम चढ़ते हैं तो कम ही किसानों को इसका लाभ मिलता है। यही हालात बदले, इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सब्जियों को स्टोर करने की बेहतर व्यवस्था करनी होगी, जो किसानों के साथ जनता की जेब के लिए भी बहुत जरूरी है। इस पर गंभीरता से मनन करना होगा। स्पष्ट है कि इस समय बारिश के चलते कई इलाकों में टमाटर की फसल खराब हो गई है और नतीजा टमाटर सबके मुंह चिढ़ा रहा है और बेचारे किसान सिर पर हाथ रखकर बैठे हैं कि कुछ समय पहले ही उनके टमाटर सस्ते में बिक गए... नहीं तो इस समय उन्हें तगड़ा मुनाफा हो सकता था...! इसे आप समय का चक्र भी कह सकते हैं लेकिन मेरी निगाह में इसे श्रम की बर्बादी ही कहा जाना चाहिए। हर कोई मानता है कि समय की बर्बादी नहीं करनी चाहिए पर लेट-लतीफी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है... इसे ही सब मानते हैं।
सबसे ज्यादा हम जल को बचाने की मुहिम चलाते हैं लेकिन यह भी सच है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मात्रा में पानी मिलती है लेकिन फिर इस मुहिम का मतलब क्या है? जवाब हर किसी को पता है... क्योंकि पीने वाला जल कम मात्रा में ही मिलता है... तो अधिक मात्रा में जल होने के बावजूद उसे सहेजने की बात जब की जा सकती हैं तो श्रम को हम क्यों भूल जाते हैं। मेरी निगाह मेंे यदि जल बर्बाद करना पाप है तो श्रम की बर्बाद करना या करवाना महापाप की श्रेणी में आना चाहिए। मेरा स्पष्ट मानना है कि श्रम की बर्बादी यदि रोक दी जाए तो विकास की रफ्तार कई गुना बढ़ सकती है पर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। भारत में चूंकि श्रम आसानी से उपलब्ध है तो इसकी परवाह नहीं की जाती... तभी शायद लोग आम नौकरियों के लिए विदेशों की ओर रुख करते हैं और लाखों कमाने की लालच में इसे अपनी पसंद बना लेते हैं...!
कुछ इसी प्रकार का हाल सब्जियों का भी है। चूंकि सबसे ज्यादा खपत आलू, प्याज और टमाटर की रहती है तो इन्हीं के दाम बढ़ने-घटने पर किसानों की खुशी का सेंसेक्स भी चढ़ता-उतरता रहता है। कई बार फसल बंफर होने पर जब दाम गिर जाते हैं तो किसान इन्हें फेंकना ज्यादा बेहतर समझते हैं लेकिन जब आवक कम और मांग ज्यादा बढ़ जाती है तो इनके दाम आसमान छूने लगते हैं। मीडिया हल्को में हेडिंग बनती हैं कि रुला रहा प्याज... आलू के भाव बढ़े, लोगों को चिढ़ा रहा और इस समय टमाटर के दाम आसमान पर चढ़ने पर उसके लाल रंग को हेडिंग में विशेषण के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। खोज करने पर मुझे पता चला कि टमाटर का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है और इसके बाद भारत, तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आता है। भारत में टमाटर की 1500 से अधिक किस्मों की खेती की जाती है। व्यावसायिक रूप से केवल कुछ किस्मों की पैदावार किसान करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत है, जो हर साल 20 मिलियन टन टमाटर पैदावार करता है। विश्व के कुल टमाटर उत्पादन में भारत का योगदान 11 प्रतिशत है। विश्व के सबसे बड़े तीन निर्यातक देशों में निर्यातक 133,908 शिपमेंट के साथ भारत पहले स्थान पर है, इसके बाद 129,327 शिपमेंट के साथ तुर्की और 122,520 शिपमेंट के साथ इटली तीसरे स्थान पर है। भारत अपना अधिकांश टमाटर मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात करता है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, टमाटर की फसल साल में तीन बार ली जाती है। इसके लिए मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में बुअाई की जाती है। इस समय सितंबर अक्टूबर में टमाटर की बुअाई की जाती है, जिसकी फसल साठ दिन बाद यानी दिसंबर-जनवरी में आती है। अब यदि साल में तीन बार टमाटर की फसल ली जाती है तो श्रम की बर्बादी न हो, इसके लिए सरकार को समयबद्ध तरीके से नीति बनानी चाहिए। फसल हो या सब्जियां... इन्हें स्टोर करने के लिए गंभीरता बरतनी चाहिए। कई बार गेहूं और चावल भीग जाता है तो भी इसे श्रम की बर्बादी ही कहा जाना चाहिए। इस समय मुद्दा टमाटर का चल रहा है तो इसे फूड प्रोसेसिंग के सहारे बचाने की कोशिशें की जानी चाहिए। कई कंपनियां इससे सॉस, चटनी और टमेटो प्यूरी जैसे उत्पाद बनाती हैं तो उन्हें इसे स्टोर करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। टमाटर किसानों को भी फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि उनके श्रम की उन्हें वाजिब कीमत मिल सके और वह बर्बाद न हो। टमाटर को लंबे समय तक स्टोर करने करने के लिए कई विधियां अपनायी जा सकती हैं। जैसे इन्हें कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है। इसके अलावा इन्हें सुखाकर भी स्टोर किया जा सकता है। इसका पाउडर बनाने के लिए इसे धोने के बाद डंठल निकाल लें और पतला-पतला काटकर धूप में सुखाएं। इसे ओवन में मीडियम टेंपरेचर पर कुरकुरे होने तक बेक करें। फिर जब ये कुरकुरे हो जाएं तो सूखे टुकड़ों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर मिक्सी में महीन पीस कर कांच के जार में स्टोर करके रख लें। Dr. Shyam Preeti

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