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Showing posts from October, 2022

#1EK Bird is freed.. believe it or not

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दुनिया के नंबर-#1EK अमीर आदमी एलन मस्क की #1EK दिन की औसतन कमाई करीब तीन हजार करोड़ रुपये के आसपास है। आश्चर्यचकित न हों... यह सच है। अब वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर की चिड़िया को अपने काबू में कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने ट्वीट किया था कि the bird is freed... लेकिन आनन-फानन में ट्विटर के भारतीय मूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पराग अग्रवाल तथा कानूनी मामलों की शीर्ष अधिकारी विजया गड्डे को पद से हटाकर उन्होंने अपने आलोचक भी पैदा कर लिए हैं। उन्होंने अपने #1EK ट्वीट में 'खुलकर जियो' का संदेश दिया है लेकिन यह आने वाला वक्त बताए कि चिडि़या कितनी चहक पाती है... या फिर पिजड़े में कैद होकर रह जाती है...! उनके दोनों ट्वीट्स के सबके अपने-अपने नजरिए हैं। कोई मान रहा है कि चिडि़या आजाद रहेगी और सबको समान मौके मिलेंगे और कोई इसकी आलोचना कर रहा है। दुनिया के सर्वाधिक धनी व्यक्ति मस्क ने करीब 44 अरब अमेरिकी डॉलर में ट्विटर का अधिग्रहण किया है। इस पर उनका कहना है कि उन्होंने यह डील मानवता के लिए की है जिससे वह सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। अब सवाल उठता है कि घाटे में चल रहे ट्व

मनोरंजन चैनलों में स्टार प्लस... No.1

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टीआरपी बोले तो बार्क इंडिया (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) की वरीयता सूची...! बीते दिनों 41वें हफ्ते की लिस्ट के मुताबिक... मनोरंजक चैनलों में स्टार प्लस अव्वल स्थान पर कायम है। पिछले कई हफ्तों की तरह इस हफ्ते भी पहले नंबर पर रंजन शाही का मशहूर शो 'अनुपमा' ही काबिज है। यह लंबे समय से दर्शकों को अपने साथ बांधे हुए हैं। इस समय शो में पाखी और अधिक का ट्रैक दिखाया जा रहा है, जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है। गौरतलब है कि दर्शकों का मनोरंजन करने वाले सीरियल्स लोगों को कितने पसंद आ रहे हैं इसका पता लगाने के लिए सबको इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। टीआरपी से इसका निर्धारण किया जाता रहा है। बार्क द्वारा दिए जाने वाले दर्शकों के अनुमानों से विज्ञापन का खर्च प्रभावित होता है। यही वजह है कि टीआरपी रेटिंग को लेकर चैनल्स के बीच होड़ लगी रहती है। मनोरंजन चैनलों में स्टार प्लस... इस मामले में सबसे आगे चल रहा है। इस हफ्ते टीआरपी लिस्ट में स्टार प्लस सिरमौर बना हुआ है। दूसरे नंबर पर गुम है किसी के प्यार में... है। नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा अभिनीत यह सीरियल लोगों को खूब भा रहा है। सई और

वंदे भारत एक्सप्रेस के जनक.... पहचाने हैं कौन...

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वंदे भारत एक्सप्रेस का नाम पहले ट्रेन-18 था, जानते हैं क्यों? दरअसल, इसका डिजाइन तैयार होने के बाद इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई के करीब 500 कर्मचारियों ने मिलकर 18 महीने में इस ट्रेन का प्रोटोटाइप रैक अक्टूबर 2018 में तैयार किया था। इसी वजह से ही इस सेट का नाम ट्रेन 18 रखा गया था। अब इसके निर्माण की कहानी... रेलवे के एक अधिकारी नाम है.. सुधांशु मणि और वर्ष था 2016... उनके रिटायरमेंट का समय नजदीक आ गया था। उन्हें दो साल बाद काम से छुट्टी मिलनी थी लेकिन उन्होंने काम को तरजीह देते हुए अंतिम पोस्टिंग मांगी थी आईसीएफ चेन्नई। यहां रेल के डिब्बे बनाने वाला कारखाना है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने पूछा- क्या इरादा है। जवाब मिला- खुद की सेमी हाई स्पीड ट्रेन बनाने का...! सोचने-समझने के बाद अनुमति मिल गई और सुधांशु मणि ने अपने लक्ष्य के अनुरूप काम शुरू करने के लिए टीम खड़ी की और फिर शुरू हुआ काम, जो इतिहास रचने जा रहा था। यह सच था... उन्होंने अपने रिटायरमेंट से दो महीने पहले 16 कोच की ‘ट्रेन-18’ देश को समर्पित कर दिया। ट्रेन में कोच 16 थे और इसका नाम ट्रेन-18 रखा गया.. वजह पूछने पर उन्

कांग्रेस के नए कर्णधार बने हैं पार्टी में पितामाह की उम्र वाले मल्लिकार्जुन खड़गे...!

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कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में पार्टी में पितामाह की उम्र वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिखा दिया कि उनके बाजुओं में अभी दम है। चुनाव नतीजों में उन्होंने 6825 वोट से शशि थरूर को हराया। खड़गे को जहां 7897 वोट मिले, वहीं थरूर को 1072 वोट ही मिल सके और अन्य 416 वोट रिजेक्ट कर दिए गए। नतीजों के साथ ही कांग्रेस पार्टी को 24 साल बाद गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है। अब ‘हाथ के पंजे’ की लाज बचाने के लिए 65वें नेता के तौर पर चुनौतियों से निपटने की कोशिश करेंगे। गुस्ताखी माफ... जैसे ‘हाथ के पंजे’ मेंे पांच अंगुलियां होती हैं... उसी प्रकार उनकी संतानों की संंख्या भी पांच है...! वैसे, कांग्रेस की ताकत जगजाहिर रही है पर समय के साथ वह कमजोर हुई है। शायद यही वजह है कि इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार बची है। उधर, राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर देश में कांग्रेस की बयार फिर से बहाने की कोशिश कर रहे हैं...। सोशल मीडिया में कोशिशों को सराहा भी जा रहा है। भारत जोड़ो यात्रा.... #1EK अच्छा विचार पर इसमें शामिल होने के लिए कौन-कौन तैयार होगा, यह देखने वाली बात

नंदी.... प्रतीक्षा का #1EK प्रतीक

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जहां पर शिवलिंग... वहां पर नंदी जरूर दिखाई पड़ते हैं। नंदी.... अर्थात शिव के सबसे प्रिय। पुराणों के अनुसार, वे शिव के वाहन तथा अवतार भी हैं जिन्हे बैल के रूप में शिवमंदिरों में प्रतिष्ठित किया जाता है। संस्कृत में 'नन्दि' शब्द का अर्थ प्रसन्नता या आनंद है। नंदी को शक्ति-संपन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना जाता है। इसके विपरीत समाज में काम में तल्लनीता से जुटे व्यक्ति को ‘बैल’ कह देना बड़ा आसान रहा है। इसी से मुहावरा बन गया कोल्हू का बैल...। ‘बैल’ शब्द का पर्याय नंदी भी है.. लेकिन बुद्धिजीवियों ने इन दोनों में भी अंतर खोज निकाले हैं...! लेकिन यहां ‘बौद्धिकता’ पर नहीं... ‘सरलता’ के संबंध में चर्चा है...! जहां तक अध्ययन की बात है तो एक जगह पढ़ा था कि नंदी.... प्रतीक्षा के #1EK प्रतीक हंै। वह सजग है लेकिन सुस्त नहीं। वह आलसी की तरह नहीं बैठे हैं। वह सक्रिय हैं और सजगता से बैठे हैं लेकिन उन्हें कोई उम्मीद नहीं है या वह कोई अंदाजा नहीं लगाते। यही ध्यान है। वह यह संदेश देते हैं कि जीव को हमेशा परमेश्वर पर केंद्रित होना चाहिए। यौगिक दृष्टिकोण से कहा जाता है कि नंदी परम शिव को समर्पित

‘जहा हम खड़े हो जाते हैं लाइन वही से शुरू होती है...’

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‘जहा हम खड़े हो जाते हैं लाइन वही से शुरू होती है...’ डॉयलाग फिल्म कालिया का है लेकिन यह सिर्फ #1EK फिल्म नहीं... महानायक के कॅरिअर में ऐसी तमाम फिल्में हैं, जिन्हें उन्होंने अपने अभिनय से अमर बना दिया है। जब राजेश खन्ना सुपर स्टार हुआ करते थे तब आनंद में वह सहनायक बने और इसके बाद राजेश खन्ना का सितारा डूब गया और जंजीर से अमिताभ बच्चन ने एंग्री यंगमैन का जो नया तिलस्म रचा... वह आज तक जारी है। 1971 में आनंद... मे बाबू मोशाय.... 1973 में इंस्पेक्टर विजय.... इसी साल अभिमान और नमक हराम और फिर #1EK साल के गैप के बाद वर्ष 1975 में दीवार... तुम्हारे पास क्या है... शशि कपूर... मेरे पास मां है कहकर उन्हें चुप करा देते हैं। इसी साल शोले और चुपके-चुपके और दोनों ही फिल्में एक-दूसरे के फ्रेम से एकदम अलग लेकिन कॉमिक टाइम #1EK सी। शोले में मारधाड़... बदला और मनोरंजन के सारे मसाले और चुपके-चुपके में भाषा की अहमियत और उसकी समृदि्ध की बातें लेकिन मनोरंजक अंदाज में...। फिर #1EK साल के गैप के बाद 1977 में अमर अकबर एंथोनी में धार्मिक एकता की क्लासिक कहानी... मनमोहन देसाई की जुबानी। अमिताभ जी कहते हैं

गुस्ताफी माफ... आदि पुरुष बनाने वाले कनपुरिया भाषा में- दिमाग से पैदल...।

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आदिपुुरुष... का अर्थ है परमेश्वर या नारायण... लेकिन इसी नाम पर बनी नवीनतम फिल्म ने विवाद के नए कारणों को जन्म दे दिया है। करीब 450 करोड़ रुपये बजट से बनी इस फिल्म का फर्स्ट लुक देखने के बाद भारतीय जनमानस में क्षोभ दिख रहा है और रामकथा के नायकों... और खलनायकों का अजब-गजब चित्रण सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर हम जा कहां रहे हैं? इतनी भारी-भरकम रकम खर्च करते समय... फिल्म के नीति नियंताओं ने तनिक भी विचार-विमर्श नहीं किया कि वे ‘री-क्रिएट’ के नाम पर क्या दिखाने जा रहे हैं...! मेरी निगाह में ऐसे कॉरपोरेट जगत... को कॉरपेट वर्ल्ड कहना उपयुक्त है। कनपुरिया भाषा में कहें- दिमाग से पैदल...। गुस्ताफी माफ... लेकिन राम हमारे अराध्य है और रावण... रामकथा का खलनायक...! लेकिन यह भी सच है... उससे भी लोग प्रेम करते हैं...! काहे... प्रश्न जितना छोटा है... इसका उत्तर बहुत गूढ़ है। रामकथा का #1EK सिरा राम हैं तो दूसरा रावण... और दोनों का नाम ‘रा’ से शुरू होता है। इन दोनों में यह #1EK ही समानता नहीं... बल्कि कई हैं। जैसे- दोनों शिव भक्त हैं। प्रभु राम रामेश्वर में शिवलिंग की स्थापना करते हैं तो रावण के

‘बुद्धु बाक्स’ कहे जाने वाले दूरदर्शन का #1EK स्मार्ट प्रतिद्वंद्वी #Zee TV

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#Zee TV... बोले तो ‘बुद्धु बाक्स’ कहे जाने वाले दूरदर्शन का स्मार्ट प्रतिद्वंद्वी, जो उससे सही मायने में कहा जाए तो दस साल बड़ा था लेकिन संसाधनों के मामले में वह उससे बहुत पीछे था। इसके बावजूद उसने अपने आगमन से हिंदुस्तानियों में #1EK नए जोश का संचार किया। यह बदलाव की बयार थी, जिसे ज़ी टीवी के जन्मदाता सुभाष चंद्रा ने समय रहते न सिर्फ पहचान लिया था बल्कि भारतीय जनमानस को उन्होंने इसे तोहफे के रूप में दिया। यह तारीख थी गांधी जयंती यानी दो अक्टूबर और वर्ष था 1992। भारत का पहला सैटेलाइट टीवी लॉन्च होने के बाद सुभाष चंद्रा ने मीडिया जगत मेे जो सनसनी पैदा की... वह तीन दशक से लगातार जारी है। लेकिन उनसे जुड़ा #1EK इत्तफाक भी है... जो यदि न हुआ होता तो शायद #Zee TV शुरू ही न हो पाता....! यह मैं नहीं कह रहा हूं... यह स्वयं सुभाष चंद्रा ने अपनी आत्मकथा ‘जेड फैक्टर’ में लिखा है...। वह लिखते हैं- Zee चैनल शुरू करने केलिए मैं परेशान था। मैंने उन्हें (...) बताया कि चैनल के स्वामित्व वाले लोगों को 4 लाख डालर कम पड़ रहे हैं। उन्होंने मेरी बात सुनी लेकिन जवाब नहीं दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद #1EK भ