छोटे पर्दे की क्रांति में स्वपनिल कॉमन मैन

क्या आपको 05 जुलाई 2000 की तारीख याद है? यदि नहीं तो दिमाग पर जोर डालिए... 25 साल पहले का वह वाक्या, जिसने टेलीविजन का इतिहास बदल दिया था। जी हां, यही सच है। थोड़ा पीछे चलते हैं... इस पड़ाव का पहला चरण था 15 सितंबर, 1959, जब टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत हुई थी। इस प्रायोगिक प्रसारण में आधे घंटे के कार्यक्रम सप्ताह में तीन दिन प्रसारित होते थे। यह भारत में छोटे पर्दे की क्रांति का सूत्रपात था। एक अप्रैल 1976 को टेलीविजन सेवाओं को आधिकारिक तौर पर रेडियो से अलग कर दिया गया और दूरदर्शन वजूद में आया। वर्ष 1982 में यह रंगीन हो गया लेकिन अभी बड़े पर्दे का जलवा कायम था। इस बीच सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की फिल्म नसीब का ट्रेलर दूरदर्शन पर दिखाया गया और फिल्म ने अपनी लागत से कई गुना ज्यादा कमाई कर छोटे पर्दे ने अपनी शक्ति का परिचय दे दिया था। जब जुलाई 1984 को दूरदर्शन पर धारावाहिक हम लोग ने मील का पहला पत्थर रखा तो इसकी मध्यम वर्गीय लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ना शुरू हो गई। कुछ ऐसा ही प्रयोग स्टार प्लस ने ठीक 16 साल बाद किया और हिंदी पट्टी का वह सिरमौर चैनल बनकर उभरा। यह पहले भारतीय निजी सैटेलाइट ह...