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Showing posts from February, 2023

आइए #1EK शपथ लें... हम बदलेंगे अपना नजरिया

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ऊपर वाले बोले तो ईश्वर ने हमको दो हाथ, दो पैर, दो कान, दो आंखें और #1EK मुख दिया है... रक्त का रंग भी लाल है... इस लिहाज से हम सभी सहोदर हैं। हालांकि बहुत से ऐसे भी लोग होते हैं जो किन्हीं विसंगतियों की वजह से ऐसे नहीं होते... लेकिन फिर भी समाज के वे भी अंग हैं। यही विविधता... हमें ईश्वर के नजदीक ले जाती है। अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न कि ऐसा क्या... है जिसने इंसान को इंसान से अलग कर रखा है? इस क्या... का उत्तर है... दृषि्टकोण... बोले तो नजरिया...! जी हां... नजरिया को भी दो भागों में बांटा गया है... सकारात्मक और नकारात्मक लेकिन यही नकारात्मक किसी दूसरे के लिए सकारात्मक हो सकता है... और सकारात्मक... नकारात्मक बन जाता है... है ना गजब। यही सोच... मनुष्य को #1EK-दूसरे से जुदा करती है। इसे हर क्षेत्र में देखा और महसूस किया जा सकता है। जैसे-जैसे #1EK पीढ़ी का पाखंड समय के साथ परंपरा बन जाता है। दूसरा उदाहरण ः राजनीति को ही ले लें... एक दल दूसरे की नीतियों की बखिया उधेड़ता नजर आता है और जब सत्ता बदल जाती है तो स्थितियां बदल जाती हैं। विरोध का तरीका दो तरह से होता है... पहला वैचारिक और दूसरा...

जानवर और इंसान में बस #1EK पर्दे का अंतर था... है...

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अंग्रेजी में कभी #1EK लाइन पढ़ी थी- Man is a social animal... दूसरे शब्दों में कहें तो हर इंसान जानवर होता है क्योंकि उसमें जान बोले तो जीवात्मा होती है। मैंने काफी पढ़ने की कोशिश की कि दोनों में कुछ खास अंतर देखने को मिले लेकिन मेरे तुच्छ दिमाग में यह अंतर नहीं घुसा...! ज्यादातर लोगों ने यही लिखा था कि आहार, निंद्रा, भय, मैथुन आदि में दोनों समान हैं लेकिन मेरा मानना है कि जानवर और इंसान में बस #1EK पर्दे का अंतर... है... और अब यह था... हो गया है! है... से था... तक का यह सफर तो वैसे पहले भी होगा लेकिन सोशल मीडिया के दौर में यह है... से था... तक न सिर्फ पहुंच चुका है बल्कि लोग इसे आनंद के रूप में देख रहे हैं। कई तो जानवरों जैसे बन भी चुके हैं...! वैसे ज्यादातर लोगों का मानना है कि मनुष्य में विवेक व चिंतन की क्षमता होती है लेकिन जानवरों में नहीं... लेकिन कई इससे इत्तफाक नहीं रखते। मेरा स्पष्ट मानना है कि मनुष्य की यही सोच... अंतर... उन्हें मनुष्य बनाती है लेकिन जानवर भी बुद्धिमान होते हैं और गाहे-बगाहे ऐसे तमाम फुटेज हमको देखने अब मिल जाते हैं। पहले ऐसी कहानियां हम पढ़ा करते थे लेकि...

गया तीर-कमान... अब आगे का क्या है प्लान

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महाशिवरात्रि से #1EK दिन पहले... ऐसे इत्तफाक की किसी ने शायद कल्पना भी न की होगी...! शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की सियासी विरासत पर दावा करने वाले उद्धव ठाकरे गुट पर बिजली गिर पड़ी है। दरअसल, चुनाव आयोग ने चुनाव शिवसेना पर नियंत्रण का हक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के हाथों में दे दिया है। अब उद्धव ठाकरे हाथ मल रहे हैं....क्योंकि शिवसेना का नाम और निशान उनके हाथों से फिसल गए हैं। नए फैसले के अनुसार, एकनाथ शिंदे का गुट अब से शिवसेना कहलाएगा और उनका चुनाव चिह्न तीर-कमान होगा। दरअसल, चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर 1968 के आधार पर यह फैसला लिया है। वह इसका फैसला करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है कि चुनाव चिह्न किसे दिया जाए। इस फैसले पर उद्धव के समर्थकों में गुस्सा है। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि शिवसेना की स्थापना 19 जून 1966 को कार्टूनिस्ट और बाद में राजनीतिज्ञ के रूप में चर्चित हुए बाला साहेब ठाकरे ने की थी। तब इस दल का प्रतीक चिह्न बाघ हुआ करता था। दो वर्ष बाद 1968 में उन्होंने शिवसेना को राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकृत करवाया। इसके बाद 1971...

#1EK नाम एडविन....EDWIN और इत्तफाक से जैकपॉट में जीते 16,886 करोड़ रुपये...!

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#1EK नाम एडविन....EDWIN और इत्तफाक से सच में वह जीत गए... विजेता बन गए और भाग्यवादियों की जुबान सच हो गई कि ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़कर देता है। यूएस लॉटरी के इतिहास में इन सज्जन का सबसे बड़ा जैकपॉट लगा है और लाटरी की रकम है... जरा दिल थाम लीजिए... 16,886 करोड़ रुपये...! #1EKḤमजेदार तथ्य यह भी है कि एडविन का मतलब होता है अमीर दोस्त! और अब वह सच में अमीर नहीं... न जाने कितने अमीरों को पीछे छोड़कर आश्चर्य के सागर में गोते लगा रहे हैं। जी, हां यही इत्तफाक है... किस्मत कभी-कभी किसी को कामयाब बनाती है, कि दुनिया उससे रश्क करती है। कुछ ऐसा ही है... लेकिन एडविन कास्त्रो को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता...! इन महानुभाव ने लॉटरी में 2.04 बिलियन डॉलर बोले तो करीब 6,886 करोड़ रुपये जीत लिए लेकिन इन्हें इसकी खबर तक नहीं थी। करीब तीन महीने बाद उन्हें खोजकर निकाला गया तब जाकर दुनिया को इनकी किस्मत पर रश्क होना स्वाभाविक बनता है...आपका क्या कहना है... इस पर...! खैर, पहले इस जैकपॉट की कहानी सुनिए... करीब तीन महीने पहले अमेरिका के एडविन कास्त्रो ने एक पावरबॉल जैकपॉट लॉटरी टिकट खरीदा था। उन्हें इति...

प्यार और प्रेम में #1EK अंतर है... यदि समझेंगे तो...

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प्रेम... जितना छोटा शब्द है... उसके नितिहार्थ उतना ही व्यापक है। कहते हैं कि समुद्र की गहराई को शायद मापा जा सकता है लेकिन प्रेम की गहराई नापने के लिए कोई पैमाना ही नहीं बना... यह वाकई अद्भुत है। प्रेम निःस्वार्थ रहता है...। जैसे #1EK मां अपने बच्चे से करती है... यहां बच्चे के तात्पर्य बेटे से ही नहीं है... वह पुत्री भी हो सकती है। दरअसल, कुछ मूर्घन्य विद्वान शब्दों को पकड़ने की कोशिश करते हैं, इसलिए यह बात स्पष्ट की...। प्रेम की सीमाओं को जैसे पकड़ा नहीं जा सकता... वैसे ही उसे बांधा भी नहीं जा सकता है। कोई किसी से भी प्रेम कर सकता है... क्योंकि प्रेम भले स्वतंत्र हो...लेकिन प्रेम में स्वतंत्रता नहीं होती...। यही प्रेम की खूबी है। तभी कहा जाता है कि प्रेम अपेक्षा नहीं करता अर्थात वह स्वार्थ से परे रहता है। जहां पर कुछ पाने की लालसा... कुछ हासिल करने की चाहत पनपती है तो वह प्रेम नहीं हो सकता। प्रेम अलौकिक है... इसीलिए श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम को भारतीय जनमानस ने खुले दिल से स्वीकारा है। दरअसल, अधिकतर लोग मोह और प्रेम में अंतर नहीं कर पाते क्योंकि दोनों में #1EK बारीक-सा भेद है। इसी...

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस... बोले तो सबका #1EK बाप

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मशीन क्या है... सरल सा जवाब है जो मानव की मेहनत बचाए... लेकिन इससे आगे वह मानव की तरह सोचने-समझने लग जाए तो... यही तकनीकी कहलाती है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोले तो एआई। आसान भाषा में इसे समझें तो इसे मशीनों का दिमाग कहा जा सकता है...! आपके दिमाग में कुछ घुसा... यदि जवाब हां है तो आगे बढ़ें नहीं तो आपके दिमाग में भूसा भरा हुआ है... पर यह नजर नहीं आता। गुस्ताखी माफ... मेरी बात का बुरा न मानें... आने वाला समय कुछ अजब-गजब होने वाला है। शुरुआत हो चुकी है... और हर प्रारंभ का अंत भी होता है... तो सोचिए... इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अंतिम पड़ाव कैसा होगा? मुझे लग रहा है कि यह सबका #1EK बाप होगा! आप कहेंगे इस सवाल का जवाब केवल समय दे सकता है लेकिन जनाब... वह बोलता नहीं है... केवल चलता है लेकिन वह दिखता नहीं है लेकिन... यह जो लेकिन शब्द है... उससे हर कोई परेशान है। कुछ लोग समय को जीवन कहते हैं और जीवन की तरह यह भी बीत जाता है और हमें पता नहीं चलता। अब मुद्दे की बात- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस.... से काम अपने आप होगा... बिना हमारी अनुमति के...! दूसरे शब्दों में कहें तो अभी तक मशीन हमारी गुलाम थी लेक...