कॉरपोरेट जगत में भी #1EK स्वामीनाथन की है जरूरत
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन... बोले तो भारत की हरित क्रांति के जनक; इस दुनिया से रुखस्त भले हो गए हों लेकिन उनके किए गए काम से चमक रहा उनका नाम सदैव के लिए अमर हो चुका है। भारत की जनसंख्या आज विश्व में सर्वाधिक मानी जा रही है लेकिन देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, तो इसका श्रेय डॉ. स्वामीनाथन, अमेरिका के महान कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग और उनके साथी कृषि वैज्ञानिकों को दिया जाता है। डॉ. स्वामीनाथन और बोरलॉग के नेतृत्व में हुए अनुसंधानों के चलते बीमारियों से लड़ सकने वाली गेहूं तथा बाजरा के नए उन्नतशील किस्म के बीज विकसित किए गए थे। गौरतलब है कि दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, पूसा में यह अनुसंधान किया गया था। यहां पर उल्लेखनीय है कि ये वैज्ञानिक अपने गहन शोध के दौरान इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि यदि पौधे की लंबाई कम कर दी जाए, तो इससे बची हुई ऊर्जा उसके बीजों में लग सकेगी। इससे कुल फसल की पैदावार बढ़ेगी। इनकी सोच रंग लाई और एक हेक्टेयर में दोगुना गेहूं की पैदावार संभव हो गई। पहले जहां करीब 20 क्विंटल गेहूं की फसल किसान ले पाता था, अब यह पैदावार करीब 40 कि्व...