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Showing posts from June, 2023

#टमाटर के दामों में उछाल... आजमाएं यह #1EK रास्ता

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आज भारत में टमाटर के भाव बढ़ने से कहा जा रहा है कि यह लाल हो गया है... लाल बोले तो खतरे का निशान.... लेकिन जनाब.. पका टमाटर हमेशा से लाल ही रहा है। लेकिन जब इसके दाम आसमान छूने लगते हैं तो मीडिया इसे इनवर्टेड कॉमस में लाल लिखना शुरू कर देता है...! इसके दाम बढ़ गए हैं... कारणों की पड़ताल की जाती है लेकिन #1EK भी ऐसा मीडिया समूह नहीं होता, जो इसका रास्ता दिखाता हो कि आगे यह महंगा न हो, इसके लिए किसानों को और आम आदमियों को क्या करना चाहिए? गौरतलब है कि कई बार ज्यादा पैदावार के चलते टमाटर की कीमत इतनी गिर जाती हैं कि किसान इन्हें फेंकना सस्ता समझते हैं और जब यही आवक मांग के अनुरूप कम हो जाती है तो इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। यह तो बाजार का नियम है कि मांग ज्यादा और आवक कम तो दाम बढ़ना तय है और मांग कम और आवक ज्यादा तो दाम गिर जाता है। दाम गिरते हैं तो किसानों की मेहतन खराब हो जाती है और दाम चढ़ते हैं तो कम ही किसानों को इसका लाभ मिलता है। यही हालात बदले, इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सब्जियों को स्टोर करने की बेहतर व्यवस्था करनी होगी, जो किसानों के साथ जनता की जेब के लिए भी ...

तब मोदी जी अम‌ेरिका में #1EK आम भारतीय थे...

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"We the People..." से भारत और अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना शुरू होती है और जीवन #1EK इत्तफाक है.... यही सच है...! समय की बात है... आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं और इस समय मीडिया हलकों में इसकी जबरदस्त चर्चाएं हो रही हैं। गुरुवार यानी 22 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनका भव्य स्वागत किया तो प्रवासी भारतीयों ने मोदी जी के समर्थन में नारे लगाए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी लगभग तीन दशक पुरानी उस यात्रा का जिक्र भी किया जब वह आम भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर अमेरिकी प्रवास पर गए थे। तब उन्होंने आम भारतीय की तरह व्हाइट हाउस के बाहर खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई थी और तीन दशक के बाद पूरा अमेरिका आज उनके स्वागत के लिए पलक पावड़े बिछाए नजर आ रहा था। गौतलब है कि अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी युवा राजनीतिक नेताओं की परिषद अन्य देशों के युवा नेताओं की अप्रोच समझने के लिए वहां के नेताओं को बुलाती है। इसी क्रम में नरेंद्र मोदी (तब के बीजेपी के युवा नेता ) को अमेरिकन कॉउंसिल ऑफ यंग पॉलिटिकल लीडर्स के कार्यक्रम में बुलाया गया था। तब मोदी...

शिवलिंग की तरह दिखता है काबा का काला पत्थर...!

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दुनिया में सबसे प्रचलित तथ्य है.... ईश्वर #1EK है लेकिन इसके बावजूद वैचारिक भिन्नता की वजह से लोग #1EK-दूसरे के दुश्मन नजर आते हैं। सनातन धर्म में जहां कई तरह की पूजा पद्धतियां है वहीं अन्य मजहबों में #1EK दिशा में चलने वाले लोग हैं। कुछ जगहों पर उनमें मतभिन्नता भले हो लेकिन उनके नियम-कायदों का पालन ही उन्हें कट्टर बनाता है। जैसे शिवलिंग की तरह काबा का काला पत्थर भी दिखता है लेकिन विरोध... कायम है...! दूसरी महत्वपूर्ण बात, खुद को धार्मिक रूप से श्रेष्ठ समझने की जिद ने सामाजिक ताने-बाने को काफी नुकसान पहुंचाया है। जैसे कई लोग कहते हैं- अहम् ब्रह्मास्मि यानि मै ब्रह्मस्वरूप हूँ। स्पष्ट है कि शब्दों को ब्रह्म कहा गया है और ब्रह्म तो #1EK है और हमारे पास जीवन भी #1EK है लेकिन हम #1EK की थ्योरी को समझना नहीं चाहते। सनातन धर्म में स्पष्ट कहा गया है कि एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति और मुस्लिमों का मानना है कि इस्लाम के अनुसार अल्लाह ही #1EK मात्र ईश्वर है। इस प्रकार भाषा भले जुदा हो लेकिन अर्थ #1EK ही निकलता दिखता है लेकिन शब्दों के खेल निराले हैं। हर कोई अपने अनुसार, मतलब गढ़ना चाहता है। जैस...

अल्लाह के कम से कम हैं 99 नाम...!

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गूगल से #1EK प्रश्न पूछो- इस्लाम का अर्थ क्या होता है? उत्तर मिलेगा- इस्लाम शब्द का अर्थ है: 'अल्लाह को समर्पण'; इस प्रकार मुसलमान वह है, जिसने अपने आपको अल्लाह को समर्पित कर दिया यानी कि इस्लाम धर्म के नियमों पर चलने लगा। इस्लाम धर्म का आधारभूत सिद्धांत अल्लाह को सर्वशक्तिमान, एकमात्र ईश्वर और जगत का पालक और हजरत मुहम्मद को उनका संदेशवाहक या पैगम्बर मानना है। इसी प्रकार इस्लाम में अल्लाह के कितने नाम है... प्रश्न का जवाब मिला... हदीस के अनुसार, इस्लाम में ईश्वर (अल्लाह) के कम से कम 99 नाम हैं, जिन्हें' अस्माउ अल्लाहि अल-हुसना बोले तो ‘अल्लाह के सुंदर नाम’ के रूप में जाना जाता है। इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद साहब ने हदीस में कई नामों से अल्लाह को बुलाया है। मुस्लिमों का मानना है कि इस्लाम के अनुसार अल्लाह ही #1EK मात्र ईश्वर है लेकिन जब स्वयं इस्लाम के पैगंबर हजरत मुहम्मद उसके कम से कम 99 नाम का जिक्र करते हैं तो कट्टरता काहे की...? जैसे ही हम मानते हैं कि ईश्वर #1EK है... तो यह सिद्धांत एकेश्वरवाद कहलाता है। ईसाई और यहूदी धर्म में भी यही माना जाता है। अब सनातन की बात करे...