Posts

Showing posts from October, 2023

बहादुर शाह जफर..... महल नहीं अंतिम सांस गैराज में ली

Image
अंतिम मुगल सम्राट का नाम... बहादुर शाह जफर... बहादुर बोले तो वीर.. शाह अर्थात राजा और ज़फर का मतलब होता है विजय... लेकिन किस्मत ने उन्हें बादशाह होने के बावजूद बहुत गम दिया। उनकी असाधारण शोहरत की वजह 1857 ई. का इंकलाब माना जाता है लेकिन यह भी सच है कि वह #1EK बड़े शायर भी थे। अपनी मौत से पहले ही उन्होंने लिख दिया था- कितना बदनसीब है ज़फर दफ़न के लिए, दो गज़ ज़मीन भी न मिले कुए यार में...। तारीख थी 7 नवंबर 1862 और जगह थी रंगून (अब म्यांमार)... उनकी मौत हो गई और भारत का अंतिम मुगल सम्राट गुमनामी में खो गया। इसे मुकद्दर ही कहेंगे कि उनकी चार बीबियों से 47 औलादें हुईं थीं... लेकिन उनके आखिरी समय में सिर्फ दो बेटे बचे थे। इससे पहले उनकी जिंदगी में आई सात अक्टूबर की तारीख... उन्हें गुमनामी की जिंदगी जीने के लिए काला साया बनकर आई थी। किसी को पता तक नहीं चला कि बहादुर शाह ज़फर को निर्वासित कर दिया गया। तड़के तीन बजे अंग्रेज अफसरों ने उन्हें नींद से जगाया और फौरन तैयार होने का फरमान सुना दिया। समय बलवान होता है... इस समय वह बादशाह केवल नाम के रह गए थे... और दिल्ली मंे हुक्म अंग्रेजों का चल रहा थ...

जानते हैं... भारत की सबसे महंगी कार अंबानी, अडाणी के पास नहीं....

Image
हर गाड़ी खास है... क्योंकि उसके पास अपनी पहचान है... बोले तो उसका नंबर लेकिन ऐसा पहले नहीं था। आपने कभी सोचा है कि इस दुनिया में पहली नंबर प्लेट की शुरुआत कहां से हुई? चलिए हम आपको बताते हैं... वर्ष 1783 में फ्रांस के राजा लुईस सोलहवें ने अपनी बग्घी पर सबसे पहले नंबर प्लेट का प्रयोग किया था ताकि उनकी गाड़ी अन्य गाड़ियों से अलग दिखे। इसके बाद जब कार और अन्य गाड़ियों की संख्या बढ़ी तो रिकॉर्ड रखने के लिए नंबर प्लेट की शुरुआत हुई। सबसे पहले फ्रांस में यह चलन शुरू हुआ। तारीख थी 14 अगस्त 1893... और जब इस नंबर प्लेट के फायदे की जानकारी दूसरों को हुई तो जर्मनी ने 1896 और नीदरलैंड ने 1898 में नंबर प्लेट सिस्टम को अपनाया। इसके बाद दुनिया भर में यह सिस्टम लागू होता गया। भारत में नंबर प्लेट की शुरुआत 1902 से यानी अंग्रेजों के कार्यकाल से मानी जाती है। देश में इस समय जो नंबर प्लेट सिस्टम लागू है उसे 90 के दशक में लाया गया था। समय बदला तो लोगों का खास नंबरों पर रुझान भी बढ़ने लगा। नतीजा... कई नंबर वीआईपी और कुछ वीवीआईपी...। जैसे 0001 और 0007 आदि। गौरतलब है कि श्रेणी #1EK नंबर प्लेटों में 0001...

पापा! #1EK प्रेरणा... दो कहानियां...

Image
पापा... पिता जी... डैड... संबोधन कोई हो... प्रेम एक-सा ही मिलता है...! कई बार चेहरे पर रूखा भाव होता है तो कभी गुस्सा दिखता है पर प्रेम एक-सा ही मिलता है...! #11EK पिता के प्रेम की दो कहानियां पेश हैं.... बच्चों के किरदार में हैं बेटियां... पिता का नाम ः प्रेम गुप्ता और बेटी का नाम साक्षी यह कहानी है #1EK हौसले की... जो पिता ने अपनी बेटी को दिया। फ्लैश बैक में जाते हैं... तारीख 28 अप्रैल 2022.... उन्होंने झारखंड बिजली वितरण निगम में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत और रांची के सर्वेश्वरी नगर निवासी सचिन गुप्ता के साथ अपनी बेटी साक्षी का विवाह बड़े धूमधाम से किया। कई कहानियां की तरह.... साक्षी का उत्पीड़न ससुराल में किया जाने लगा। पता चला कि सचिन ने दो शादियां की हुईं हैं... आरोप-प्रत्यारोप के बीच साक्षी की जिंदगी शोषण और प्रताड़ना से जहन्नुम बन गई। तब उसने पिता को सारी बात बताई। अमूनन मायके वाले बेटी को समझाते हैं कि ससुराल से उसकी अर्थी ही निकलेगी लेकिन यहां मायके वालों ने बेटी की जिंदगी को अहमियत दी... जब पिता ने अपने नाम के अनुरूप बेटी को अपने प्रेम का रूप दिखाया तो बेटी भी वापस म...

ढपोरशंख की वाणी में पेश है ‘संजय’ गाथा...।

Image
द्वापर युग में महाभारत हुई... उसमें महाराज धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे और संजय को सब कुछ दिख रहा था लेकिन इस कलयुग में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को सब देख रहे हैं और जनता नेत्रहीन है। कौरव-पांडव की तरह आप और भाजपा के कार्यकर्ता और नेता आपसी कलह में जूझ रहे हैं। ढपोरशंख की वाणी में इस बार पेश है ‘संजय’ गाथा...। चर्चा में नाम-संजय सिंह... काम-राजनीतिज्ञ... दल-आम आदमी पार्टी और ‘दाम’ बोले तो रुपये के चक्कर में वह इस समय जबरदस्त चर्चा पा रहे हैं। ढपोरशंख की वाणी में इस बार इनका गुणगान करता हूं। उत्तर प्रदेश में एक जिला है सुलतानपुर, जहां पर संजय सिंह का जन्म हुआ। इत्तफाक की बात है कि यह मेरे भी पूर्वजों का जिला है। यहीं का मैं भी मूल निवासी हूं... खैर, चर्चा हो रही है संजय सिंह की तो मैं कौन हूं.... जनता को क्या मतलब। तो संजय सिंह जी उड़ीसा में स्कूल ऑफ माइनिंग से इंजीनियरिंग से डिप्लोमा करने के बाद वे समाजसेवा के रास्ते राजनीति में आ गए। पंजाब केसरी की एक रिपोर्ट के अनुसार, माइनिंग से इंजीनियरिंग करने के बाद शुरुआती वेतन 25 हजार रुपये महीना होता है और बढ़ते हुए 50 हजार रुपये महीना तक पहु...