चंद्रयान #1EK से अब चंद्रयान-3 तक का रोमांचक सफर
सफलता और फिर असफलता... के बाद #1EK फिर जीतने के लिए खिलाड़ी तैयार है.. आप कुछ समझो... चंद्रयान-#1EK अभियान की सफलता से भारत की अंतरिक्ष में धाक जम गई थी। चांद पर पानी के संकेत मिलना... बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद अंतिम क्षणों में चंद्रयान-2 अभियान विफल हो गया था। उसका लैंडर पृथ्वी की सतह से झटके के साथ टकराया था, जिसके बाद पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था। इस असफलता के बाद अब चंद्रयान-3 की तैयारी है। अबकी पूरी उम्मीद है कि पिछला अधूरा मिशन इस बार जरूर पूरा होगा!
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तैयारी अंतिम चरणों में हैं। तारीख तय की गई है 14 जुलाई... यह बदल भी सकती है... इसलिए यदि बदलाव हो तो आश्चर्य मत कीजिएगा क्योंकि जीवनएक इत्तफाक है! लेकिन यहां मुद्दा तारीख नहीं इतिहास रचने की बात का है। इससे पहले इसरो ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 छोड़ा था और इस तारीख से पहले 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 छोड़ा गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 के अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है। इसमें लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद उसमें से रोवर निकलेगा। सब कुछ सही रहा तो वह सतह पर चक्कर लगाएगा। चंद्रयान-3 के लैंडर में चार पेलोड हैं, जबकि छह चक्के वाले रोवर में दो पेलोड हैं।
इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल में भी एक स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री पेलोड है जो चंद्रमा के कक्ष से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवमिति माप का अध्ययन करेगा। लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे पेलोड को इस तरह से तैयार किया गया है कि वैज्ञानिकों को उनकी मदद से चंद्रमा के बारे में और ज्यादा जानकारी मिल सके। प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर को चांद के कक्ष के 100 किलोमीटर तक ले जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ने चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम देने का फैसला किया है जो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम थे। लैंडर का नाम विक्रम रहेगा, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर है और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा जाएगा।
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से एलवीएम3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-III) द्वारा चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया जाएगा। इसका मुख्य फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। पिछली असफलता से सबक लेते हुए अबकी नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है और जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर खास फोकस किया गया है।
चंद्रयान -3 के लॉन्च होने का एलान चंद्रयान -2 के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार साल बाद हुआ है। चंद्रयान-3 मिशन के जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के उस हिस्से तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।
चंद्रयान -2 की असफलता भी दुनिया को #1EK सीख दे गई थी। याद करें जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो सेंटर पहुंचे थे तो असफलता मिलने पर इसरो प्रमुख के सिवन भावुक हो गए और रोने लगे। यह देख मोदी ने फौरन उन्हें गले लगा लिया। करीब 26 सेकंड तक वह उनकी पीठ थपथपाते रहे थे।
तब मोदी जी ने कहा था कि विज्ञान में केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं। आज भले ही हमारे रास्ते में एक रुकावट आई हो, हम मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं हैं। ... और सच में चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 की बारी आ गई है।
चंद्रयान-3 को #1EK लैंडर, #1EK रोवर और #1EK प्रणोदन मॉड्यूल को मिलाकर बनाया गया है। इसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। इसमें सबसे भारी प्रणोदन मॉड्यूल है, जिसका वजन 2,148 किलोग्राम है। यही लैंडर और रोवर को 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा में ले जाएगा। लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है। रोवर का वजन महज 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान -2 के विक्रम रोवर के जैसे ही होगा, लेकिन सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने में मदद के लिए इसमें सुधार किए गए हैं। प्रणोदन मॉड्यूल 758 वाट बिजली, लैंडर मॉड्यूल 738 वाट और रोवर 50 वाट उत्पन्न करेगा।
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान -3 का उद्देश्य, चंद्र सतह पर एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। इसके अलावा, इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग करना और इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना भी इसके अहम उद्देश्य हैं। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने उम्मीद जताते हुए कहा कि हम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होंगे। हम भी उम्मीद करते हैं कि इस बार भारत नया इतिहास रचेगा।
कभी मैंने भी लिखा था- हार को "हार" की तरह लेना होगा जीतने के लिए फिर खेलना होगा। चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 सफल हो. इसी कामना के साथ।
Dr. Shyam Preeti
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