नंबर-1 मतलब खुद को सीमित करना और #1EK बोले तो अनंत

डॉ श्याम प्रीति आज सफलता की चाह का अर्थ है नंबर-एक बनने की इच्छा और हरेक सफल कंपनी या शख्स आदि खुद को नंबर 1 घोषित कर सिद्ध करने का प्रयास करता है। लेकिन जनाब यह तो खुद को सीमित करना है। कैसे? नंबर-1 के बाद क्या? बस केवल अपनी इस पोजीशन को बचाए रखने की जद्दोजहद। इसके विपरीत यदि हम ",1EK" बनते हैं तो अकेले रहें या साथ-साथ "1EK" ही रहते हैं बोले तो असीमित बोले तो अनंत बन सकते हैं! दूसरा उदाहरण और देता हूं। सफलता मिलने पर लोग अपनी दो उंगलियों से "विक्ट्री" बोलें तो "V" का निशान दिखाते हुए अपनी फोटो खिंचवाते हैं। यह विंस्टन चर्चिल की केवल नकल करना है। अब इसे मेरे नजरिए से देखें तो ये लोग खुद को नंबर-दो दिखा रहे होते हैं। #1EK बार आप भी अपना नजरिया बदलें... अरे! आपका चेहरा खिल गया। आइए थोड़ा खुद को बदलते हैं! क्या हम अपने जीतने की खुशी को अपनी तर्जनी से प्रदर्शित नहीं कर सकते? इसे "अंकुश मुद्रा" कहते हैं। मेरी नजर में सफलता बस नजरिए का खेल है और खेल में जीत हार नहीं खेलना महत्वपूर्ण होता है। दुनिया में पूजा भले चांद को जाता है लेकिन ध्रुव तारे की भी अपनी शख्सियत है इसलिए कुछ ऐसा करो कि तुम भी #1EK खास व्यक्ति बन सको! और जब कहीं पर विजय प्राप्त करो तो खुद को "अंकुश मुद्रा" की मदद से प्रदर्शित करो। वैसे भी दुनिया के फलक में दो जुमले बहुत चलते हैं- नाम में क्या रखा है' और 'नाम ने सब कुछ रखा है' और इन्हीं दो के बीच हम सभी जिंदगी जी रहे हैं। हमारा नाम केवल कुछ अक्षरों का समूह मात्र नहीं है यह व्यक्ति की पहचान है जो मृत्यु के बाद भी जीवित रहती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, रूप-शरीर तो सब नष्ट हो जाता है, अंत में #1EK हमारा नाम ही रह जाता है। माना कि यह सत्य है कि नाम जब चरित्र और कर्तव्य का बोध नहीं कराता तो उपहास का पात्र बन जाता है तो कई बार नाम भ्रम के कारण व्यक्ति काल का ग्रास तक बन जाता है। इसके बावजूद सत्य यही है कि हमारी जिंदगी पर हमारे नाम का सर्वाधिक असर पड़ता है क्योंकि नाम का भी अपना मनोविज्ञान है। तभी शायद हरेक नाम का उसके व्यक्तित्व पर बहुत प्रभाव पड़ता/रहता है। कई बार तो नाम खुद की मानसिक स्थिति पर भी असर डालता है। यही वजह है की सफलता न मिलने पर तमाम लोग अपना नाम तक बदल लेते हैं। व्यक्ति जिस नाम से ज्यादा पुकारा जाता है वही उसका प्रसिद्ध नाम कहलाता है। तमाम ऐसे भी लोग या सेलिब्रिटी हैं, जिन्हें हम उनके असली नाम उसे नहीं जानते और जब हमें उनके असली नामों का पता चलता है तो आश्चर्यचकित रह जाते हैं। इसके अलावा जब हमारे ही नाम का कोई व्यक्ति हमसे अचानक मिल जाता है तो भी हमारा दिल खिल जाता है। रामचरितमानस में राम नाम की महिमा का एक बड़ा अच्छा उदाहरण है। तुलसीदास जी लिखते हैं- हमहि तुम्हहि सरिबरि कसि नाथा। कहहु न कहाँ चरन कहँ माथा॥ राम मात्र लघुनाम हमारा। परसु सहित बड़ नाम तोहारा।। अर्थात हे नाथ! हमारी और आपकी बराबरी कैसी? कहिए न, कहाँ चरण और कहाँ मस्तक! कहाँ मेरा राम मात्र छोटा सा नाम और कहाँ आपका परशुसहित बड़ा नाम।। इसके बावजूद दुनिया भर में परशुराम से ज्यादा राम के नाम का सिक्का चलता है। उनके प्रिय हनुमान जय श्री राम का उद्घोष करते हुए पूरी दुनिया में उनके नाम का डंका बजाते हैं। प्रभु श्री राम के #1EK नाम को भवसागर पार कराने वाला बताया गया है। जय हुई #1EK नाम की महिमा! दुनिया में और भी कई ऐसे नाम हैं जिनकी महिमा आपने खुद सुनी होगी या सुनाई होगी। जैसे दुनिया #1EK सूरज है और #1EK चंद्रमा लेकिन तारे अनेक है। वैसे ही दुनिया में कोई #1EK नाम ऐसा होता है जो सूर्य की तरह सर्वाधिक चमकता है और कोई दूसरा चंद्रमा की भांति अपनी छटा बिखेरता है। बाकी तारों की भांति आते और जाते रहते हैं! जहां पर आप ध्रुव तारे को मत भूल जाइएगा, वह #1EK अडिग तारा है, जो तारों में भी सबसे चर्चित है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि #1EK व्यक्ति के कई नाम भी हो सकते हैं। जैसे भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम के 108 नाम हैं लेकिन मुख्य नाम तो #1EK ही है। आप स्वयं की बात भी करें तो आपका भी #1EK ही नाम मुख्य होगा बाकी पुकारने वाले तो आपके भी कई नाम हो सकते हैं! जान लें सरकार, नामों की महिमा बड़ी निराली होती है। कोई किसी नाम से प्यार करता है और कोई उसी नाम से नफरत करता है। नामों का चक्कर ही कुछ ऐसा है कि कोई नाम के लिए मरता है तो कोई अपना का नाम खराब करता है। दुनिया में केवल बाप ही ऐसा होता है जो चाहता है कि उसकी संतान का नाम उससे भी ज्यादा हो, बाकी सब मोह माया है!

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