#1EK आम महिला द्रौपदी मुर्मू जी : पार्षद से राष्ट्रपति तक....
द्रौपदी मुर्मू जी ने अपना राजनीतिक कॅरिअर पार्षद से शुरू किया था और अब वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं हैं। यह देश के लिए बड़ा संदेश है कि #1EK आम महिला भी भारत की राष्ट्रपति बन सकती है। उन्हें करीब 64 प्रतिशत वोट मिले हैं। उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को आंध्र प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम में #1EK भी वोट नहीं मिला और वे अंततः पराजित हुए।
द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया। उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ। उनके दो बेटे और बेटी हुई। बाद में दोनों बेटों और पति उन्हें पंचतत्व में विलीन हो गए। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और समाज सेवा के लिए राजनीति में कदम रखा। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं।
उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत भाजपा के साथ की थी। 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के चुनाव में पार्षद बनीं। तब भाजपा ने उन्हें अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं। फिर मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव भी जीता। बाद में साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रहीं। अब वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जगह लेंगी और 25 जुलाई को नया इतिहास बनेगा।
अब जानें कि 25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं राष्ट्रपति?
देश में 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र लागू हुआ। उसी दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति बने। 1951-52 में पहली बार लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव हुए और डॉ. राजेंद्र प्रसाद 13 मई 1952 को जीतकर फिर से इस पद पर पहुंचे। 1957 में लगातार दूसरी बार जीतकर डॉ. प्रसाद राष्ट्रपति बने और 12 साल तक इस पद पर रहे। 13 मई 1962 को उनका कार्यकाल पूरा हुआ और डॉ. राधाकृष्णन दूसरे राष्ट्रपति बने। उनके कार्यकाल के बाद 13 मई 1967 को डॉ. जाकिर हुसैन तीसरे राष्ट्रपति बने लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 3 मई 1969 को उनका निधन हो गया। इसके बाद उप-राष्ट्रपति वीवी गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। इसके बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वीवी गिरि के इस्तीफे के बाद उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतउल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त हुए। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद 24 अगस्त 1969 को वीवी गिरि नए राष्ट्रपति बने। गिरि के बाद 24 अगस्त 1974 को फखरुद्दीन अली अहमद नए राष्ट्रपति बने। अहमद कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने वाले दूसरे राष्ट्रपति बने। 11 फरवरी 1977 को उनका निधन हो गया। अहमद के निधन के बाद उप-राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने।
इसके बाद चुनाव हुए। चुनाव के बाद 25 जुलाई 1977 को नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति बने। तब से लेकर अब तक हर राष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। इसी वजह से 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ लेते हैं। तब से अब तक नौ राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं। नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी भी इसी दिन शपथ लेंगी।
एकमात्र निर्विरोध चुने गए राष्ट्रपति
निर्विरोध चुने गए एकमात्र राष्ट्रपति हैं नीलम संजीव रेड्डी। उन्होंने छठे राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 1977 को पदभार संभाला था।
डॉ. श्याम प्रीति
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