सामूहिक चेतना की #1EK क्रांति की हमें है जरूरत

आजादी के अमृत महोत्सव की तैयारी जोरों पर है और जैसे-जैसे स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सारे देश में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के लिए जोश व उत्साह बढ़ने लगा है। सही मायने में हमारा तिरंगा हमें जात-पात, मजहब, पंथ, क्षेत्र व अन्य भेदभाव से ऊपर उठकर देश के लिए एकजुट भाव से काम करने की प्रेरणा देता है। यह भारत की संप्रभुता का सर्वोच्च प्रतीक चिह्न है। इसमें शामिल तीन रंगों में ‘भगवा’ किसी का प्रिय है तो कोई ‘हरा’ रंग पसंद करता है लेकिन ये दोनों रंग अब धर्म-मजहब की पहचान बन गए हैं...! लेकिन तिरंगे का तीसरा रंग ‘सफेद’ हर कोई भूल-सा गया है। यह शांति का प्रतीक है, जो हर देशवासी चाहता है। एक बार अपना मन शांत कर देखें तो इसकी महत्ता पता चल जाएगी...! हमारी जिंदगी एक-दो रंगों की गुलाम नहीं है। इसे इंद्रधनुष के सभी रंग चाहिए और इंद्रधनुष का दर्शन करने के लिए सभी को इंतजार भी करना पड़ता है...! और भूलभूत जरूरतों के लिए आज भी ज्यादातर भारतीय प्रतीक्षारत हैं। तिरंगे की शान तब ही है, जब हम #1EK (एक) बने। तिरंगा जब लहराता है तो बाकी ध्वज फीके पड़ जाते हैं। यही सच है...! यही सच है...! बस इसे हमें मानना होगा। सही मायने में आज हमें सामूहिक चेतना की एक क्रांति की जरूरत है ताकि जो वैमनस्यता हमारे भीतर बढ़ रही है, उसे खत्म किया जा सके। तिरंगा हर हाथ में हो... देशभकि्त दिखाने का यह अच्छा प्रयास है लेकिन केवल तिरंगा लेकर ही देशभकि्त नहीं दिखाई जाती...! यदि हम देश के प्रति अपने कर्तव्य को याद रखें तो हम देश के हीरो हैं और ऐसा नहीं करते हैं तो... आप इसे अपनी समझ से नाम दें...! हम सबको थोड़ा अपने भीतर झांकना होगा...! मेरे कहे तो रेड लाइट समझकर दिमाग को विराम देने के लिए आपका धन्यवाद...! कभी-कभी जीवन को भी विराम देना पड़ता है... बोले तो ब्रेक... बोझिल होने से बचने का सबसे बेहतर यह उपाय है। आज तिरंगा फहराने के लिए हर कोई उतावला नजर आ रहा है...! जो नहीं है... उसे प्रेरित किया जा रहा है...! सरकार का प्रयास अच्छा है लेकिन हमेें अपने तिरंगे के सम्मान का भी ध्यान रखना है... यह मत भूल जाइएगा। एक भारतीय के तौर पर मेरी बात को यदि आप नजरअंदाज करना चाहते हैं तो यह भी जान लें कि किसी भी स्थिति में इसका अपमान होने पर आपको सजा भी हो सकती है...! इसलिए सावधान रहते हुए तिरंगे को फहराना होगा...! आपको बताऊं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 26 जनवरी 2002 से भारत सरकार ने फ्लैग कोड में संशोधन कर भारत के सभी नागरिकों को किसी भी दिन राष्ट्र ध्वज को फहराने का अधिकार दिया था लेकिन शर्तों के साथ। इससे पहले यह काम करना इतना भी आसान न था। इस मुददे पर कांग्रेस नेता नवीन जिंदल के प्रयासों को हमें सलाम करना होगा। नवीन जिंदल की मानेें तो राष्ट्रीय ध्वज के लिए उनका जुनून संयुक्त राज्य अमेरिका में टेक्सास विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन के दौरान शुरू हुआ था। वहां अमेरिकियों को अपना झंडा फहराता देख उन्होंने भी तिरंगा फहराना अपनी दिनचर्या मंें शामिल किया। जब 1992 में वह भारत वापस लौटे तो बिलासपुर स्थित अपने कारखाने में हर दिन तिरंगा फहराना शुरू कर दिया लेकिन ऐसा करने से जिला प्रशासन ने उन्हें मना किया और दंडित करने की चेतावनी भी दी। यह बात नवीन जिंदल को अखर गई और फिर यह नौजवान इसके लिए अड़ गया। उन्होंने खुद और भारत के सामान्य नागरिकों को निजी तौर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी...! समय बीतता गया और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 23 जनवरी 2004 को फैसला सुनाया कि राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराना हर व्यक्ति का अधिकार है। इस प्रकार उन्होंने देशवासियों को 365 दिन तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया। इसके साथ उन्होंने अपने सपने को पूरा करते हुए देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराने की भी हसरत पूरी की और हिसार व कुरुक्षेत्र में देश के सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को फहराया। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि अपने मकान पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रत्येक नागरिक का अनुच्छेद 19 (1) (क) के अधीन एक मूल अधिकार है लेकिन शर्तों के साथ। इस पर अनुच्छेद 19 (1) (क) के खंड (2) के अंतर्गत कई रोक भी हैं लेकिन फिर भी तिरंगा फहराने का अधिकार आम भारतीय को मिलना बड़ी उपलब्धि थी। पहले कानून के मुताबिक आम भारतीय कुछ खास अवसरों पर ही राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते थे। मगर नवीन जिंदल ने कोर्ट के माध्‍यम से देश में हर रोज तिरंगा फहराकर देशप्रेम जताने का हक दिलाया। इतना ही नहीं पहले कोई भी व्यक्ति तिरंगा टोपी नहीं पहन सकता था, अपने कपड़ों पर लैपल पिन या किसी अन्य रूप में तिरंगे का उपयोग नहीं कर सकता था लेकिन नवीन जिंदल के प्रयास से इसकी भी छूट मिल गई है। सच कहूं तो नवीन जिंदल को हमें सलाम करना चाहिए कि उन्होंने जो यात्रा अकेले शुरू की थी, वह आज सरकार के प्रयासों से और बड़ा कारवां बनने जा रहा है...! डॉ. श्याम प्रीति

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