‘श’ से शब्द और ‘स’ से संसद
वेद में शब्दों को ‘ब्रह्म’ कहा गया है और ‘ब्रह्म’ तो #1EK (एक) है। दुनिया में सबसे ज्यादा वही ताकतवर है जो #1EK (एक) को समझता है...! गुस्ताखी माफ! इसीलिए शब्दों की ताकत सबसे घातक मानी जाती है। यह बात और है कि इसकी तीव्रता का असर कभी जल्दी या कभी देर से दिखाई देता है। हिंदी में ही ‘श’ और ‘स’ के उच्चारण पर लंबी बहस होती रही है लेकिन तुलसीदास जी धड़ल्ले से ‘संकर’ लिखते हैं और उन्हें इसका मलाल भी नहीं दिखता लेकिन आज के कथित हिंदी बुदि्धजीवी इन दोनों अक्षरों पर ऐसी बहस करते दिख जाते हैं कि जैसी उनकी भैंस कोई चुरा ले गया हो।
शब्दों पर मैं ज्ञान बखार रहा हूं, तो आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मैं ‘एक’ पीडि़त खुद हूं, जो #1EK को दुनिया भर को समझाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन कोई समझता नहीं है यार!
अभी लोकसभा सचिवालय ने कुछ ऐसा शब्दों की नई सूची जारी की, जिनका संसद में इस्तेमाल अब असंसदीय माना जाएगा और इसे सदन की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग से हटा दिया जाएगा। इन शब्दों मेंे भ्रष्ट, नौटंकी और शर्मिंदा जैसे कई शब्द शामिल किए गए हैं तो शब्दों पर चर्चा समाज और सोशल मीडिया और मीडिया हलको में की जाने लगी। ऐसे में मैंने सोच थोड़ा मैं भी बकबक कर लूं। वैसे समय के थपेड़ों ने मुझे मौन का महत्व समझा दिया है लेकिन चमड़े की जुबान है, कभी-कभी अपने आप फिसलने लगती है और शब्द खुद-ब-खुद जुबां पर आ जाते हैं।
यदि मेरी बात किसी के मन को चुभे या चुभ रही हो, तो क्षमा प्रार्थी हूं। क्षमा बड़न को चाहिए, तो आप ही बड़े बन जाए, मैं तो बहुत छोटा हूं... वैसे भी #1EK (एक) से ही हर शुरुआत होती है। हमारी संस्कृति में हर शगुन का कारक #1EK (एक) को माना गया है पर एक की अहमियत हम समझते हुए भी अनजाने बने रहते हैं।
दूसरी ओर दुनिया 99 के फेर में पड़ी है और हम अपने शगुन के ब्रांड #1EK (एक) को भूल जाते हैं और 99 से 999 के चक्कर मेें पड़े नाच रहे हैं। थोड़ा दिमाग लगाएं... #1EK (एक) रुपये कम करके कंपनियां आपको चूना लगा रही है और आप अपनी कमाई पर हंसकर इसे लगवा भी रहे हैं।
#1EK (एक) की ताकत मोदी जी से समझनी चाहिए, उन्होंने राम मंदिर को पहला दान #1EK (एक) रुपये का ही दिया था।
अब व्यास कुर्सी से #1EK (एक) पर मेरा अंतिम प्रवचन... मेरा मानना है कि #1EK (एक) सोने के सिक्के की कीमत जितना यदि कोई व्यक्ति महीने भर में कमाई कर लेता है तो वह दुनिया में थोड़ा बेहतर जी सकता है। यदि कमाई इस रकम से कम हो तो वह परेशान और अभाव में जीता है। इस तथ्य पर आप गंभीरता से विचार करें.... यदि बात सच्ची लगे तो कॉमेंट अर्थात फीडबैक बोले तो प्रतिक्रिया जरूर दें... आपका #1EK (एक) डॉ. श्याम प्रीति इंतजार कर रहा है...।
excellent
ReplyDeleteएक की महत्ता को समझा जाना इसलिये भी आवश्यक है हर एक ही विस्तृत होकर अनेक बना है।
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