डॉक्टर खुराफातीलाल का फ्री मेडिकल कैंप

डॉ. श्याम प्रीति गेट पर बैनर टंगा था, जिस पर लाल हर्फों में चमक रहा था फ्री मेडिकल कैंप। शुगर की जांच फ्री, दवाएं फ्री। रजिस्ट्रेशन के लिए काउंटर नंबर-एक से टोकन प्राप्त करें। विनम्र अनुरोध : बारी-बारी से आएं और फायदा उठाएं। नीचे स्टार के साथ छोटे काले अक्षरों में लिखा था- बाकी की जांच का चार्ज काउंटर नंबर दो पर जमा कर कृपया रसीद जरूर प्राप्त करें। बीच में रिवर्स में कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क पहनने की लोगों से अपील के साथ 2 गज की दूरी बनाए रखने का अनुरोध भी किया गया था लेकिन कोरोना से अब डरता नहीं कोई दिखता... बस ढपोरशंख की तरह उसे समझा जा रहा है। ... इस्तहार पढ़कर पब्लिक वहां पर उमड़ रही थी...! वह भूल गई थी कि यहां पर फ्री का 'चारा' डाला गया था और जो फंस गया, वह मरीज 'रजिस्टर्ड' बनने वाला था...! उसे खुद को 'रिचार्ज' करवाने के लिए डॉक्टर साहब की शरण में आना मजबूरी थी...! एक दूसरी सच्चाई भी थी कि फ्री डायबिटीज कैंप तनाव ग्रसित लोगों के लिए डॉक्टर खुराफाती लाल का प्यार भरा तोहफा था! असलियत में यह डॉक्टर खुराफाती लाल के लिए एक मौका था अपनी फ्लॉप डॉक्टरी को चमकाने का! कैंप में आने वाले हर व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनि़ग की जा रही थी। और आने वालोें के हाथों को सैनिटाइज कराया जा रहा था। हाथों में सभी सैनिटाइजर लेकर ऐसा दिखा रहे थे जैसे वे नए धर्म में दीक्षित हो रहे हो! सिस्टम में जब तक भौकाल न हो, तब तक आम आदमी को आम और खास में फर्क नहीं दिखता और जब वह खुद को आम से खास समझने लगता है तो वह भी थोड़ा एट्टीट्यूट दिखाने लगता है। आजकल यह दृश्य आम है! इस औपचारिक जांच-पड़ताल के बाद शिविर का शुभारंभ किया जाना था... दीपक जलाना था और पब्लिक में गिने-चुने लोग मास्क मुंह पर बांधे थे। वैसे तो सभी को इंतजार था कि तेल की बाती जले तो अपना टाइम आए...! सबको इंतजार था लेकिन प्री प्रोग्राम में भाषणबाजी का दौर जारी था...! सिंगल चेसिस वाले डॉक्टर खुराफातीलाल फरमा रहे थे- क्या तुम्हें भी शुगर हो गई...? दफ्तरों और घरों में यह जुमला आम है...! कारण, दफ्तरों में आदमी कम, फाइलें ज्यादा चहलकदमी करती हैं और आजकल ज्यादातर लोगों के घर छोटे होते हैं। छोटे घरों में चलना कम होता है और बड़े घरों के लोग वैसे ही कम चलते हैं। वहां पर सारा काम नौकरों के भरोसे होता है। पर सावधान! जो चलता कम है, उसे शुगर की बीमारी दबोच लेती है...! हमें आपकी दिक्कतों का पता है तभी यह फ्री डायबिटीज कैंप का आयोजन किया गया है। सुख हो या दुख, सब बीत जाते हैं। कोरोना वायरस का भय अब संसार में कम हो गया है। हम हैं डॉक्टर खुराफाती लाल। दिन महीने हो या साल, चाहे हो कोरोना काल, फिकर नॉट! माई फ्रेंड्स! डायबिटीज बोले तो शुगर से डरने का नहीं। बस खुद पर विश्वास रखने का! गब्बर सिंह कहता है जो डर गया, समझो मर गया। मरना तो अंतिम सच है। हम सबको जान लेना आवश्यक है- आखिर में बस यही होना है। एक लाइन में कहे तो चार ड्राइवर एक संवारी, उसके पीछे रिश्तेदारी! फिर राग छेड़ा- मत कर तू अभिमान रे बंदे, झूठी तेरी शान रे...! दोस्तों! कोरोना वायरस की चपेट में ज्यादातर वही लोग आए, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम थी, इसलिए आप अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखें। कोरोनावायरस चेहरा नहीं पहचानता था... इसी तरह हर रोग चेहरा नहीं, अंदर के सिस्टम पर हमला करता है...! अचानक डॉक्टर खुराफाती लाल की निगाहों में कुछ खटका तो वह जोर से चिल्लाए, अरे ओ, ऐ नीली शर्ट वाले भैया! आप बहुत लबर-लबर कर रहे हैं। नाक पर मास्क चढ़ाएं। यह मास्क आपके साथ दूसरों की जान बचाने के भी काम आता है। जल्दबाजी की लकड़ी कर काहे काम का गुड़ गोबर करने की जुगत कर रहे हो। भगदड़ मच गई तो पुलिस आ जाएगी और कैंप में आए लोगो की सारी शुगर हमें हो जाएगी। भैया ऐसे में पहले हम अपना इलाज करेंगे। फिर गुस्से में चिल्लाए- तब तेरा क्या होगा कालिया! जरा शांति से काम लें। यहां पर तेजी मत दिखाओ। यह सुनकर वह शांत हो गया। फिर डॉक्टर खुराफातीलाल का भाषण जारी- हां! बाकी सब लोग भी जान लीजिए कि शुगर की स्पीड बहुत तेज है... जो रुक-रुककर चलता है, उसे दबोचने में शुगर के हाथ कानून से भी ज्यादा लंबे हैं...! इसलिए तेज चलने की आदत डालिए और तनाव को पास भी फटकने मत दें। महाशय और मोहतरमा...! जान लें, तनाव वह चाशनी है जो शुगर को चिपकाने में बड़ा कारगर रहता है...! इस बीमारी के अक्सर, कोई लक्षण दिखाई नहीं देते! जब लक्षण दिखाई देते हैं उनमें बहुत ज्‍यादा प्यास लगना या पेशाब आना, थकान, वज़न घटना, या नज़र का धुंधलापन आदि हैं। फिकर नॉट! हम हैं साथ! यहां फीस फ्री और ऑफिस में है पचास! क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे, गीता में क्या खूब कहा गया है....! सामने आवाम की तादाद बढ़ती जा रही थी...! दुखती राग पर हाथ पड़ी तो तालियां ही तालियां...! डॉक्टर खुराफातीलाल के भाषण पर बजनी शुरू हो गईं...! बढ़ते आगंतुकों को देखकर डॉ. खुराफातीलाल गदगद हुए जा रहे थे। डायबिटीज के 'प्रत्यक्ष' फायदे उन्हें नजर आ रहे थे...! मगरमच्छी चेहरे पर हिरन के भाव लाकर फरमा रहे थे- भाइयों और बहनों...! शुगर अर्थात डायबिटीज से बचना है चलिए... खूब चले रोजाना नहीं तो दवाएं चलेंगी...! यह रोग नहीं... रोगों का बाप है लेकिन सावधान रहें तो ज्यादा दिक्कत नहीं होती...! बस दवाओं का ध्यान रखें। समय पर ले और समय पर अपने डॉक्टर बोले तो हम से सलाह-मशविरा लेते रहे...! आवाम में सबसे पास सिर था, उसके भीतर दिमाग...और साथ में था मन...! मन बोले तो तौल का बांट नहीं मन.... अरे.. वही जिसका हर कोई होता है राजा...! कुछ तो यह सुनकर झटका लगा...! किसी दिमाग की बत्ती जली तो किसी के दिमाग में घंटा बजा...! किसी का मन अपने फैमिली डॉक्टर के क्लीनिक पहुंचा तो कोई मेडिकल स्टोर पर 'संजीवनी' खोजता नजर आया...! फिर मन वापस मस्तिष्क रूपी सभागार कैद हो गया और शुगर के 'चक्कर' में आकर फंस गया...! लक्षण सुनकर कोई खुद को टटोलने लगा...! डरने लगा और शुगर की फ्री जांच में अपना रजिस्ट्रेशन कराने लगा...! मंच पर डॉ. खुराफातीलाल ने हाथ जोड़कर भाषण खत्म किया तो समाजसेविका सुश्री धुरधरा ने माइक पर कब्जा जमा लिया। बोलीं- यहां आए हुए अतिथियों को हमारा सादर प्रणाम। पर्याप्त भीड़ देखकर मुख की लालिमा बढ़ी तो चेहरा खिल गया...! फिर मुंह से मास्क हटाकर लिपिस्टक लगे होंठों से सुमधुर स्वर निकले- आए हुए आगंतुकों को सादर प्रणाम। साहेबान...! दफ्तर और गृहस्थी का चक्कर ही ऐसा है... जिसे हर कोई परेशान हैं...! बास हो या कर्मचारी, पति हो या पत्नी शुगर के लिए सब बराबर हैं। ज्यादातर तंगी से शुरू होने वाला तनाव हर समस्या के साथ बढ़ता जाता है और बढ़ती यही डोज की मात्रा शुगर को आमंत्रित करती है...! यह वो चकपू जिन्न है, जो एक बार चिपक गया तो पीढ़ियां शुगर फ्री-शुगर फ्री चिल्लाती हैं। भाइयों और बहनों, पसीने का जब शरीर से तेल निकलता है तभी इस बीमारी से बचा जा सकता है। श्रम का महत्व जाने और बेशर्म न बने। घर और ऑफिस में बोझ ना बने। खुद काम करें और दूसरों को करने दें। हराम की ना खाएं। सेवा में मेवा है। हमने समाजसेवा के लिए डॉक्टरों के सहयोग से इस शिविर का आयोजन किया है। आइए इस शिविर का फायदा उठाएं...! इसके बाद रजिस्ट्रेशन पर पर्चे बनने लगे...! डॉ. श्याम प्रीति

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