शुभारंभ...बोले तो किसी काम का #श्रीगणेश! अर्थात #1EK

जब किसी भी काम का शुभारंभ किया जाता है तो सबसे पहले श्रीगणेश जी का आह्वान हम करते हैं। हर पूजा से पहले पंडित जी सबसे पहले श्रीगणेशाय नम: लिखते हैं। दरअसल, गणेश जी को विघ्नहर्ता व ऋद्धि -सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। माना जाता है कि इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है। हर विघ्न का विनाश होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो शुभारंभ...बोले तो किसी काम का #श्रीगणेश! इसी प्रकार अंकों में सबसे पहले #1EK (एक) आता है। तभी कहा जाता है कि #1EK का अंक अद्वितीय है... बस समझने का फर्क है।
पहले गणेश जी और गणेश महोत्सव की बात। हिंदू कैलेंडर के अनुसार गणेश उत्सव की शुरुआत भाद्रपद अर्थात भादौ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को होती है। कई जगह तीन दिन और ज्यादातर जगह 10 दिन के लिए गणेश स्थापना करने के बाद विसर्जन किया जाता है। सप्तमी या अनंत चतुर्दशी के दिन मूर्ति का विसर्जन होता है। अबकी भादौ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्‍थापना होगी। यह चतुर्थी विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इसी दिन गणेशजी का जन्म हुआ था। शिव-पार्वती के पुत्र गणेश ज्ञान व बुद्धि के देवता हैं तो मातृ व पितृ भक्ति के पर्याय भी हैं। उन्हें प्रथम पूज्य देव का मान प्राप्त है। वे विघ्न व बाधाओं का हरण करते हैं इसलिए विघ्नहर्ता कहे जाते हैं। हर शुभ कार्य में श्री गणेश का वंदन सबसे पहले करते हैं अर्थात वह शुरुआत के पर्याय हैं। इसी प्रकार अंकों की बात करें तो शून्य के बाद #1EK (एक) से शुरुआत होती है। इसी वजह से हर कोई नंबर-एक बनने की जुगत में जुटा नजर आ रहा है लेकिन यह भी सच है कि नंबर-एक बोले तो सीमा नियत और #1EK (एक) बोले तो असीमित...!
अब इसे विस्तार से समझते हैं। जैसे ही आप नंबर-एक खुद को साबित करते हैं... इसके बाद क्या? मित्रों, शिखर पर हमेशा जगह रहती है और कोई हमेशा शिखर पर नहीं रह सकता, दूसरे उसकी जगह लेने के लिए ताक पर बैठे रहते हैं। दूसरी बात, खुद को नंबर-एक साबित करना मियां मिट्ठू बनना भी कहा जाता है। अब बात करते हैं #1EK (एक) की...! हम अकेले हो तो #1EK और मिल जाते हैं तो #1EK ही कहलाते हैं। यह प्यार है। इसलिए जब #1EK और एक मिलकर हम #1EK हो जाते हैं तो कहते हैं हम प्यार में पड़ गए यार! इसी प्रकार जब #1EK और एक मिलकर 11 हो जाएं... तो यह संगठन की ताकत प्रदर्शित करता है। जब #1EK और एक को मिलाकर दो बना दिया जाता है तो यह गणित कहलाता है लेकिन जब #1EK को एक से मिलने ही न दिया जाए तो यह कूटनीति होती है और जब #1EK को एक के विरुद्ध खड़ा किया जाता है तो इसे राजनीति करना कहते हैं। जब #1EK और एक मिलकर शून्य बन जाएं तो यह अध्यात्म कहलाता है। इसी प्रकार जब #1EK के साथ कोई भी न हो...तो ऐसी स्थिति एकांत कहलाती है। अब सबसे महत्वपूर्ण बात- #1EK की तरह शून्य भी है। इसका महत्व भले न हो लेकिन जैसे ही यह किसी अंक के दाएं ओर बैठता है तो... उस अंक की कीमत एकाएक बढ़ जाती है। तभी कहा जाता है कि वही शून्य है, वही इकाय बोले तो #1EK, जिसके भीतर बसा शिवाय। पहले सावन में शिव स्तुति और इसके बाद गणेश वंदना। पहले शून्य और फिर शुभारंभ का प्रतीक बोले तो #1EK (एक)। इन दोनों की आराधना के बीच प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म। मेरे शब्दों में- जब घड़ी की सुइयां मिलती हैं तो प्रभु का जन्म होता है...! यानी शून्य से #1EK की ओर बढ़ते कदम...! अब आधुनिक युग की बात करते हैं... हर कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम से चलता है। बाइनरी का मतलब बेस 2 सिस्टम है। इस संख्या प्रणाली में संख्याओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए दो सिंबल का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे बाइनरी नंबर सिस्टम या बाइनरी संख्या प्रणाली कहा जाता है । इसमें दो सिंबल शून्य और और 1EK इस्तेमाल किया जाता है । बाइनरी सिस्टम में उपयोग किए जाने वाले 0,1 को बाइनरी डिजिट (Bits) कहा जाता है । इसमें 1 का मतलब होता है switch on और 0 बोले तो switch off...। असल में कंप्यूटर हमारी भाषा तो समझता नहीं है। वह बस इसी सिस्टम पर काम करता है। दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक्स के अनुसार, कोई भी सिग्नल या तो On होता है या Off... इस प्रकार शून्य और #1EK का महत्व समझा जा सकता है...। इसी प्रकार हमारा जीवन... शून्य से शुरू होकर #1EK से प्रारंभ होता है और फिर शून्य में जाकर विलीन हो जाता है। शायद इसी वजह से गणेश जी की प्रतिमा का 10 दिनों के बाद विसर्जन कर दिया जाता है। Dr. Shyam Preeti

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