#1EK आशा के 22 साल बाद दूसरी आशा को भी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

अपने दौर की खूबसूरत अदाकारों में शुमर आशा पारेख जी को साल 2022 के दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह भी इत्तफाक होगा कि #1EK आशा के 22 साल बाद दूसरी आशा को भी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। साल 2000 में सुप्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा और अब 22 साल के बाद उन्हीं की नामाराशि आशा पारेख को भी यह पुरस्कार मिल रहा है। उन्हें मिलाकर अब तक महज सात महिलाओं को यह सम्मान मिला है। उनसे पहले आशा भोसले, लता मंगेशकर, दुर्गा खोटे, कानन देवी, रूबी मेयर्स, देविका रानी को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इन 22 सालों के बीच में किसी अन्य महिला को यह सम्मान नहीं मिला। जहां तक अभिनेत्रियों की बात करें तो आशा पारेख से 37 साल पहले 1983 में दुर्गा खोटे को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आशा भोंसले से पूर्व 1989 में लता मंगेश्कर, 1976 में कानन देवी, 1973 में रूबी मेयर्स और 1969 में देविका रानी इस पुस्कार से सम्मानित की जा चुकी हैं। आशा पारेख और आशा भोंसले की बात करें तो दोनों एक-दूसरे की पूरक कहीं जा सकती हैं। दरअसल, आशा पारेख के गाने आशा भोंसले की गाया करती थीं।
दो अक्टूबर 1942 को आशा का जन्म मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। महज 10 साल की उम्र में एक्टिंग की शुरुआत की और 1952 में फिल्म 'आसमान' में पहली बार बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था। फिर बिमल रॉय की फिल्म 'बाप बेटी' (1954) की असफलता ने उन्हें निराश कर दिया कि उन्होंने फिल्मों में काम न करने का फैसला ले लिया लेकिन इसके बाद उन्होंने फिर वापसी की और मजबूत पारी खेली।
प्रोड्यूसर सुबोध मुखर्जी और डायरेक्टर नासिर हुसैन ने की फिल्म 'दिल देके देखो' (1959) सुपरहिट साबित हुई और आशा सफल हो गईं। इसके बाद हुसैन ने आशा को छह और फिल्मों 'जब प्यार किसी से होता है' (1961), 'फिर वही दिल लाया हूं' (1963), 'तीसरी मंजिल' (1966), 'बहारों के सपने' (1967), 'प्यार का मौसम' (1969) और 'कारवां' (1971) के लिए साइन कर लिया और सभी ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता बटोरी। अन्य फिल्मों में कटी पतंग, उपकार, आया सावन झूम के, ज्वाला, मेरा गाव मेरा देश आदि ने सफलता के कीर्तिमान रचे। आशा पारेख ने बॉलीवुड की करीब 95 फिल्मों में काम किया है। साल 1999 में आई फिल्म 'सर आंखों पर' वे आखिरी बार नजर आई थीं। आशा को 11 बार लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं 1992 में उन्हें भारत सरकार की ओर से देश के प्रतिष्ठित सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके बाद 1994 से 2000 तक भारतीय फ़िल्म सेंसर बोर्ड की महिला अध्यक्ष के पद भार को भी संभाली। जो कि इतिहास बन गया क्योंकि इससे पहले किसी भी महिला को यह पद प्राप्त नहीं हुआ था. वह पहली ऐसी महिला बनी जो भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष बनी। Dr. Shyam Preeti

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