हरियाणा में #1EK नाम... राम.... मिलो तो सभी कहते हैं.... राम-राम जी!

सच है.... लंबी सांस भरकर #1EK बार राम... का नाम लीजिए तो अंतस मन शांत हो जाता है। कहते हैं दो अक्षर के इस प्यारे नाम का जाप मनुष्य को बड़े से बड़े संकट से उबार देता है। यूपी के कानपुर से हरियाणा के करनाल स्थानांतरण... हुआ तो इस यात्रा के दौरान हरियाणा के मिजाज को जानने का मौका मिला। यहां पर ‘राम-राम जी’ का प्रथम संबोधन सच में मन को हर्षित करता है। लोगों की बोली की बात करें तो कई बार लगती है, यह तीखी है और कई बार इतनी मिठास से लबरेज दिखती है कि पूछिए मत।
#1EK हरियाणवी मित्र फरमाते हैं- हाय हेलो कौन्या म्हारी #1EK राम-राम में ही दिख जावै सै सारा हरियाणा। बातचीत में उन्होंने बताया कि शायद पूरी दुनिया में राम शब्द का सबसे ज्यादा उच्चारण हरियाणा में ही किया जाता है। ऐसा क्यों... यह अयोध्या या चित्रकूट तो है नहीं लेकिन इसके बावजूद ‘राम-राम जी’ हरियाणवी संस्कृति में रची-बची है।
अब प्रभु राम जी के बाद ... उनके पूर्वजों की बात...! लेकिन पहले करनाल को जाने... तो यह कर्णनगरी के नाम से प्रसिद्ध है और कर्ण कौन थे... सबसे बड़े दानवीरों में शामिल अतुलनीय योद्धा, यह सब जानते हैं। करनाल से थोड़ा आगे बढ़े तो कैथल और उसके आगे हिसार है। पहले कैथल को भी जान लें। इसे पहले कपिस्थल के नाम से जाना था। कहते हैं कि यहां के राजा भगवान हनुमान के पिता केसरी रहे हैं। इसी कारण कैथल को भगवान हनुमान जी की जन्मस्थली माना जाता है। इसकी एक पहचान पार्क रोड स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर भी है, जो अंजनी मां के टीले के नाम से मशहूर है।
जब यह क्षेत्र हनुमान जी से जुड़ा है तभी... ‘राम-राम जी’ का संबोधन हरियाणा की रग-रग में समाया दिखता है और तभी ज्यादा प्रचलित लगता है। थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो हिसार आता है। यह नगरी है महाराज अग्रसेन महाराज की। इन्होंने ही अग्रोहा राज्य की स्थापना की थी। इन्हें भगवान राम का वंशज माना जाता है। महाराजा अग्रसेन प्रभु श्रीराम की 34वीं पीढ़ी में द्वापर के अंतिम काल और कलियुग के प्रारंभ में अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को जन्मे थे। इसी दिन पहला शारदीय नवरात्र भी पड़ता है। ये प्रतापनगर के राजा वल्लभसेन और माता भगवती देवी के बड़ी संतान थे।
महाराजा अग्रसेन ने दुनिया को #1EK (एक) रुपया-#1EK (एक) ईंट का सिद्धांत दिया। तभी उन्हें आदर्श समाजवाद का अग्रदूत, गणतंत्र का संस्थापक और अहिंसा का पुजारी कहा जाता है। अग्रसेन जी के जीवन के तीन आदर्श रहे हैं- #1EK लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, दूसरा आर्थिक समरूपता और तीसरा सामाजिक समानता। यहीं पर है अग्रोहा धाम या अग्रोहा मंदिर। भारत में चार धाम की महत्ता से सब परिचित हैं... और इसे पांचवें धाम की संज्ञा दी जाती है। इसका निर्माण 1976 में शुरू किया और 1984 में पूरा हुआ। मंदिर परिसर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बीच वाला हिस्सा देवी महालक्ष्मी को समर्पित है, जो मुख्य देवी हैं। पश्चिमी और पूर्वी हिस्सा मां सरस्वती और महाराजा अग्रसेन को समर्पित है। शक्ति सरोवर नामक एक बड़ा तालाब मंदिर के पीछे है। मंदिर में सबसे बड़ा आयोजन हर वर्ष शरद पूर्णिमा पर होता है... इसे अग्रोहा महा कुंभ भी कहा जाता है।
महाराजा अग्रसेन से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, वह बचपन से ही पराक्रमी और तेजसवी थे। इनका विवाह नागराज मुकुट की बेटी माधवी से हुआ था। एक बार इंद्रदेव के श्राप से राज्य में सूखा पड़ गया तब खुशहाली के लिए महाराजा अग्रसेन ने भगवान शिव से खुशहाली और मां लक्ष्मी से धन संपदा लौटाने की कामना करते हुए तप किया। उनकी कठिन तपस्या से प्रभु प्रसन्न हुए राज्य में फिर से हरियाली छा गई। मां लक्ष्मी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और धन वैभव प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। और कहा कि तप को त्याग कर गृहस्थ जीवन का पालन करो और अपने वंश को आगे बढ़ाओ, तुम्हारा यही वंश कालांतर में तुम्हारे नाम से जाना जाएगा।
कुछ अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाराजा अग्रसेन ने 15 वर्ष की आयु में पांडवों की तरफ से महाभारत का युद्ध लड़ा था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि वह आने वाले युग कलियुग में #1EK अवतार पुरुष के रूप में पूजे जाएंगे। उनके 18 पुत्र थे जिन्होंने आगे अग्रवाल वंश को चलाया। अग्रवाल का मतलब महाराजा अग्रसेन की संतान होता है। अग्रवाल जाति में जिन 18 गोत्र की बात की जाती है, वे 18 गोत्र महाराज अग्रसेन के पुत्रों के ही नाम हैं, जिसमें बंसल, जिंदल, सिंघल, गोयल, गर्ग, मित्तल आदि आते हैं। जयंती पर महाराजा अग्रसेन को मेरा नमन। Dr. Shyam Preeti

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