#1EK गुमनाम अरबपति पालोनजी के बेटे साइरस मिस्त्री का देहांत
जन्म : 4 जुलाई 1968 और मृत्यु : 4 सितंबर 2022... टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रहे साइरस मिस्त्री का मुंबई के पालघर में एक सड़क हादसे में निधन हो गया। इत्तफाक की बात है कि उनके जन्म और मृत्यु की तारीख 4 ही रही। मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर रोड डिवाइडर से उनकी मर्सिडीज टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। तमाम सुरक्षा फीचर वाली इस कार में होने के बावजूद साइरस मौत से बच नहीं सके। उनके साथ जहांगीर पंडोल का भी निधन हो गया। कार में सवार चार लोगों में अनाहिता पंडोल और डेरियस पंडोल भी शामिल थे। ये दोनों घायल हैं और इन्हें भर्ती कराया गया है। कार अनाहिता चला रही थी और वे सभी पारसी समुदाय के धर्मगुरु के पास उदवाड़ा गए थे और लौटते समय यह दुर्घटना हो गई।
इससे पूर्व 28 जून को उनके पिता पालोनजी मिस्त्री का भी मुंबई में निधन हो गया था। उन्हें भारत का #1EK गुमनाम अरबपति कहा जाता है। अब साइरस के निधन से परिवार को दूसरा सदमा लगा है। गौरतलब है कि रतन टाटा के साथ विवाद के दौरान वर्ष 2016 के दौरान साइरस मिस्त्री जबरदस्त चर्चा में आए थे।
पहले उनके पिता पालोनजी मिस्त्री के बारे में जान लें। गत 28 जून को मुंबई स्थित आवास में सोते समय ही उनका देहांत हो गया था। उन्हें दुनिया का सबसे गुमनाम अरबपति कहा जाता है। दरअसल, वह बहुत कम ही सार्वजनिक जगहों पर दिखते थे। वर्ष 1929 में पलोनजी मिस्त्री का जन्म एक पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंने कॅरियर की शुरुआत 18 साल की उम्र में पारिवारिक व्यवसाय से की। 1865 में स्थापित पिता की कंपनी के लिए उन्होंने कई देशों में सेवाएं दीं। उनकी कंपनी ने ओमान के सुल्तान के महल के साथ कई सी वीआईपी इमारतें बनाई हैं। इनमें मुंबई स्थित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और होटल ताज की बिल्डिंग भी शामिल हैं।
पलोनजी मिस्त्री के चार बच्चों में दो बेटियां लैला व अल्लू के साथ दो बेटे शापूर और साइरस मिस्त्री थे। अल्लू की शादी नोएल टाटा से हुई है और वह रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। इस प्रकार मिस्त्री परिवार का रिश्ता टाटा परिवार से जुड़ गया। साइरस की जन्मभूमि आयरलैंड थी और पढ़ाई लंदन में हुई और फिर वह बिना शोरशराबे के काम में जुट गए। उल्लेखनीय है कि साइरस के दादा शपूरजी मिस्त्री ने कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में झंडे गाड़े थे, जिसे उनके बेटे ने और ऊपर उठाया। पढ़ाई के बाद साइरस भी पारिवारिक व्यापार में उतर गए। वह शापूरजी पलोनजी एंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे। मिस्त्री की कंपनी ने टाटा ग्रुप में करीब 18.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीद रखी थी। ऐसे में 2006 में साइरस बतौर बोर्ड मेंबर के टाटा एंड संस ग्रुप में शामिल हुए। वर्ष 2012 से 2016 तक उन्होंने टाटा ग्रुप की बतौर छठे चेयरमैन कमान भी संभाली लेकिन इसी बीच उनकी टाटा ग्रुप से अनबन शुरू हो गई। तब टाटा संस के बोर्ड ने उन्हें चेयरमैन पद से हटा दिया। इससे पूर्व नवंबर 2011 मेंे उन्हें टाटा समूह का डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया गया था, जो रतन टाटा के बाद नंबर-2 की पोजिशन थी।
28 दिसंबर 2012 को सर्वसम्मति से उन्हें चेयरमैन बनाया गया लेकिन अचानक 24 अक्तूबर 2016 को उन्हें हटा दिया गया। टाटा समूह के वह दूसरे ऐसे चेयरमैन थे, जिनका सरनेम टाटा नहीं था। इससे पहले नौरोजी सकलतवाला 1904-1932 तक टाटा समूह के चेयरमैन बने थे। जब रतन टाटा ने फिर से समूह की कमान अपने हाथों में ले ली तो यह घटनाक्रम उद्योग जगत में हलचल मचाने वाला बन गया था।
इसी विवाद ने साइरस मिस्त्री को मीडिया के बीच चर्चा में ला दिया था। इसके बाद ये मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में चला गया। पहले ट्रिब्यूनल ने टाटा संस के फैसले को सही ठहराया लेकिन जब साइरस ने फिर अपील दायर की तो 2019 में ट्रिब्यूनल का फैसला उनके पक्ष में आया। ट्रिब्यूनल ने टाटा संस के नए चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध बताया। इस फैसले के खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन विवाद को लगाम देते हुए साइरस ने एलान कर दिया कि वह टाटा संस के दोबारा चेयरमैन नहीं बनेंगे। वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने साइरस को पद से हटाए जाने की कार्रवाई को सही ठहराया।
सायरस मिस्त्री की शादी बॉम्बे हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस एमसी छागला की बेटी रोहिका छागला से हुई। एमसी छागला केंद्रीय मंत्री भी रहे। रोहिका और सायरस मिस्त्री के दो बेटे हैं। इनके नाम हैं फिरोज और जहान।
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