बाजार है बड़ा बेरहम... और शिखर पर है बड़ी फिसलन...

#1EK आइडिया... बदल दे आपकी जिंदगी... वॉट एन आइडिया सरजी... जैसे धांसू विज्ञापन देने वाली मोबाइल नेटवर्क कंपनी ‘आइडिया’ का नामकरण 2002 में हुआ और महज 20 साल के भीतर इसके अस्तित्व पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं...! #1EK समय यह भारत की तीसरी नंबर की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी थी लेकिन फ्री का लॉलीपप दिखाकर भारतीय जनमानस के मन को भाने वाली ‘जियो’ की आंधी में खुद को संभाल नहीं सकी और अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इसने विलय का राह चुनी। लेकिन बाजार बड़ा बेरहम है... और शिखर पर बड़ी फिसलन...!
दरअसल, तत्कालीन समय देश के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी की बेटी ईशा ने पिता को टेलीकाम कंपनी का आइडिया दिया और जियो बोले तो जॉइंट इम्प्लीमेंटेशन ऑपर्चुनिटीज (Joint Implementation Opportunities) का #1EK नाम दूरसंचार कंपनी के तौर पर सामने आया। इसका स्लोगन था डिजिटल लाइफ और टैगलाइन रखी गई- जियो जी भरके...! और सच में जियो ने खुद को जिया लिया लेकिन औरों के लिए यह काल बनकर आई। वर्ष 2016 में जियो की लॉन्चिंग के वक्त टेलीकॉम इंडस्ट्री में आठ कंपनियां हुआ करती थीं, जो अब घटकर महज चार बची हैं। इनमें से एक और कंपनी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है... कहानी जारी है।
पहले जियो के लोगो पर गौर करें तो इसमें #1EK मतलब छिपा है... इससे पहले सुभाष घई की फिल्म ‘कालीचरण’ को याद करें... दिमाग की बत्ती चली... No17 बोले तो LION.... समझ आया... नहीं... तो JIO को उल्टा करें... यह OIL हो जाता है...! इसे आप इत्तफाक कह सकते हैं.... यह आपकी मर्जी। जियो की सफलता ने मुकेश अंबानी को सफलतम व्यवसायी की श्रेणी में ला दिया और वह भारत के सबसे बड़े रईस बन गए लेकिन बाजार तो बड़ा बेरहम है... और शिखर पर बड़ी फिसलन...! समय बदल और गौतम अदाणी ने उनकी यह पदवी छीन ली।
बात चल रही थी कि वोडाफोन और आइडिया के विलय की..। तारीख 31 अगस्‍त 2018 को वोडाफोन के साथ विलय के बाद कंपनी का नाम बदलकर वोडाफोन आइडिया लिमिटेड हो गया और बाद में इसे VI नाम दिया गया। यहां सबसे मजेदार तथ्य कहें या फिर से इत्तफाक... इस नई कंपनी के लोगो में ‘आइडिया’ के ‘आई’ को उल्टा दिखाया गया था... और यह इत्तफाक सच साबित हो रहा है कि VI कंपनी की माली हालात खराब बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि कंपनी के 25 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं को दिक्कत आ सकती है क्योंकि कर्ज में दबी कंपनी को नवंबर से सेवाएं बंद करनी पड़ सकती है। असल में वोडाफोन आइडिया जिस इंडस टावर्स नाम की कंपनी के टावर इस्तेमाल करती है, उसने कर्ज न चुकाने पर सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी है। सच है.. बाजार बड़ा बेरहम है... और शिखर पर बड़ी फिसलन है...।
इस वक्तव्य का मंतव्य बड़ा गहरा है... लेकिन इससे पहले हच कंपनी पर चर्चा... 1992 में इसका अधिग्रहण वोडाफोन ने किया था। इससे पहले इंग्लैंड में 1991 में बनी वोडाफोन ने धीरे-धीरे अन्य देशों में कारोबार फैलाया। भारत बड़ा उपभोक्ता बाजार था, सो यहां भी इसने अपने कदम रखे। भारत में व्यापार शुरू करने और सभी प्रकार के व्यापारिक अधिकार के लिए हच एस्सार नामक कंपनी को खरीदा। उल्लेखनीय है कि नए बाजार की तलाश में उसने 11.1 अरब डॉलर की बोली लगाकर भारत की चौथी सबसे बड़ी मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी हचिसन-एस्सार के 67 प्रतिशत हिस्से पर अपना अधिकार बनाया था। इस अधिग्रहण की दौड़ में रिलायंस कम्युनिकेशंस, एस्सार और हिंदुजा ने भी बोली लगाई थी लेकिन ज्यादा कीमत ने उसे हचिसन-एस्सार को लपकने के लिए चल रही दौड़ का विजेता बनाया। हांगकांग में हचिसन टेलिकॉम लि. की बोर्ड मीटिंग में चारों बोलियों पर विचार हुआ, जिसमें वोडाफोन चैंपियन बनी। तब Hutch कंपनी के विज्ञापन में कुत्ता बहुत लोकप्रिय था। विलय के बाद नया विज्ञापन शुरू हुआ... Hutch is now Vodafone.... गुस्ताखी माफ... हच का फेमस कुत्ता.. वोडाफोन के घर में शरण पा गया था...! वोडाफोन ने भारतीय उपभोक्ताओं को समझाया कि change is good... लेकिन बदलाव तो होने के लिए होता है और उसे कोई रोक नहीं सकता। इसके बाद 2007 में हच ब्रांड... गायब हो गया और वोडाफोन एस्सार 'हच' से बदलकर कंपनी 'वोडाफोन' बन गई। समय बदला और आइडिया भी उसमें समा गई। तब नाम सामने आया VI... बोले तो कंपनी का नाम वोडाफोन इंडिया लिमिटेड हो गया। सच यही है कि दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम को मिलती है वह है आइडिया... और उस सर्वाधिक चर्चित नाम को बाजार खा गया और ‘आइडिया’ ब्रांड इतिहास में दर्ज होकर रह गया। हालांकि इससे पहले विलय के बाद पहले दोनों कंपनियों को उनके नाम से ही चलाया जा रहा था। नए नाम की घोषणा को लेकर तत्कालीन सीईओ रविंद्र ताक्कर ने कहा था- 'दो ब्रांडों का एकीकरण दुनिया में सबसे बड़े दूरसंचार एकीकरण की परिणति है। यह एक नई शुरुआत का समय है।' इस विलय का जोरदार स्वागत हुआ और वोडाफोन आइडिया के शेयर में 10 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था लेकिन बदलाव तो अभी बाकी था। बाजार बड़ा बेरहम है...।
#1EK खबर के अनुसार, वोडाफोन आइडिया पर सरकार का जो रकम बकाया है उसपर करीब 16000 करोड़ रुपये ब्याज बनता है उसे शेयरों में बदलने का फैसला कंपनी ने लिया। लेकिन कंपनी के शेयर 10 रुपये के नीचे चल रहे हैं और कंपनी ने सरकार को 10 रुपये के शेयर के भाव पर हिस्सेदारी लेने का ऑफर दिया है। सेबी का नियम कहता है कि अधिग्रहित की जाने वाली कंपनी का शेयर के वैल्यू के आधार पर अधिग्रहण किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया के शेयर के 10 रुपये के ऊपर स्थिर होने के बाद दूरसंचार विभाग से अधिग्रहण के मंजूरी मिलने के बाद हिस्सेदारी कंपनी में लेगी। दूसरी खबर के अनुसार, इंडस टावर का वोडाफोन आइडिया पर सात हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। कंपनी पर 30 सितंबर, 2021 तक 1,94,780 करोड़ रुपये का कुल कर्ज था। अप्रैल-जून तिमाही, 2022 के अंत में यह कर्ज बढ़कर 1,99,080 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। देखते हैं #1EK ब्रेक के बाद VI को ‘विक्ट्री’ मिलती है या ‘आई’ का उलटा अर्थात अहम बोले तो ‘मैं’ उसे बर्बाद कर देता है! Dr. Shyam Preeti

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