कांग्रेस के नए कर्णधार बने हैं पार्टी में पितामाह की उम्र वाले मल्लिकार्जुन खड़गे...!

कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में पार्टी में पितामाह की उम्र वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिखा दिया कि उनके बाजुओं में अभी दम है। चुनाव नतीजों में उन्होंने 6825 वोट से शशि थरूर को हराया। खड़गे को जहां 7897 वोट मिले, वहीं थरूर को 1072 वोट ही मिल सके और अन्य 416 वोट रिजेक्ट कर दिए गए। नतीजों के साथ ही कांग्रेस पार्टी को 24 साल बाद गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है। अब ‘हाथ के पंजे’ की लाज बचाने के लिए 65वें नेता के तौर पर चुनौतियों से निपटने की कोशिश करेंगे। गुस्ताखी माफ... जैसे ‘हाथ के पंजे’ मेंे पांच अंगुलियां होती हैं... उसी प्रकार उनकी संतानों की संंख्या भी पांच है...!
वैसे, कांग्रेस की ताकत जगजाहिर रही है पर समय के साथ वह कमजोर हुई है। शायद यही वजह है कि इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार बची है। उधर, राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर देश में कांग्रेस की बयार फिर से बहाने की कोशिश कर रहे हैं...। सोशल मीडिया में कोशिशों को सराहा भी जा रहा है। भारत जोड़ो यात्रा.... #1EK अच्छा विचार पर इसमें शामिल होने के लिए कौन-कौन तैयार होगा, यह देखने वाली बात होगा। फिलहाल खड़गे की जीत जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी चुनौतियां भी उनके सामने हैं। इसी साल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद 2023 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत 10 राज्यों में चुनाव होने हैं। ऐसे में उनके सामने कांग्रेस परिवार को एकजुट करने के साथ पार्टी में जान फूंकने के लिए बड़ी चुनौती होगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए इससे पहले 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। वोट पड़े और सोनिया गांधी का कद जबरदस्त रूप से बढ़ गया था क्योंकि जितेंद्र प्रसाद महज 94 वोटों पर सिमट गए थे और सोनिया गांधी को करीब साढ़े सात हजार मत मिले थे। वहीं इस चुनाव में थरूर को हार जरूर मिली है लेकिन कांग्रेस में यह अच्छी शुरुआत कही जा सकती है। यदि इतिहास की बात करें तो आजादी के बाद कांग्रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे को मिलाकर 17 नेता पार्टी अध्यक्ष बन चुके हैं। इनमें पांच गांधी परिवार से थे, जबकि 12 गैर गांधी राजनेता थे। हालांकि इन 75 साल में से 42 साल तक पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास रही। कुल 33 साल ही पार्टी अध्यक्ष की बागडोर गांधी परिवार से अलग नेताओं के पास रही है।
अब इत्तफाक पर चर्चा.... क से कार्यकर्ता खड़गे की जिंदगी हमेशा मुश्किल भरी रही, लेकिन क से उनका नाता लगातार चल रहा है। बताते हैं कि वह कहीं भी रहे उनके हाथ में #1EK किताब जरूर रहती है। क से अन्य संबंध... वह कर्नाटक में जन्मे... उनके पिता कपड़ा मिल में काम करते थे... वह कबड्डी के खिलाड़ी रहे... 1972 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे। कांग्रेस ने उन्हें गुरमिटकल विधानसभा सीट से टिकट दिया था। उन्हें 1,67,960 वोट मिले और उन्होंने निर्दलीय मुरथेप्पा को 94,400 वोट से हराकर जीत दर्ज की। Dr. Shyam Preeti

Comments

Popular posts from this blog

#1EK फिल्म 'द केरल स्टोरी' ....

चर्चा का बाजार गर्म हो गया.... हिंदी का महज #1EK शब्द ‘भारत’ लिखा तो...

चंद्रयान #1EK से अब चंद्रयान-3 तक का रोमांचक सफर