#1EK स्टीव जॉब्स और उनकी तीन कहानियां... बोले तो #ZEE1EKItifaq
दोस्तों... असफलता अच्छे-अच्छे को तोड़ देती है और जैसे ही ‘अ’ नाम का उपसर्ग आप मिटा देते हैं... तो आप सफलता हासिल करते हैं। इसीलिए कहा गया है कि चर्चा प्रयास की नहीं... परिणाम की होती है। भीड़ में शामिल तो हम सभी हैं लेकिन भीड़ से जुदा बनने के लिए हमको लड़ना ही पड़ता है। दुनिया में ऐसी तमाम शख्सियतें हुई हैं, जिन्होंने असफलता से सफलता का रास्ता पार कर अपना नाम दुनिया के फलक पर चमकाया है। ऐसे तमाम नाम हैं। इनमें #1EK नाम स्टीव जॉब्स भी है... इन्हें दुनिया के सफल व्यवसायी और आविष्कारक के साथ प्रेरक व्यक्तयों में भी गिना जाता है।
वर्ष 2005... तारीख 12 जून... स्थान ः स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलीफोर्निया (अमेरिका) का दीक्षांत समारोह
इसी दिन स्टीव जॉब्स ने विश्व प्रसिद्ध अपनी स्पीच पढ़ी थी...
“आज मैं दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर खुद को बहुत ज्यादा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। लेकिन मैं आपको एक सच बता दूं कि मैं कभी किसी कॉलेज से पास नहीं हुआ और आज पहली बार मैं किसी कॉलेज ग्रेजुएशन समारोह के इतना करीब पहुंचा हूँ। इस समारोह में आज मैं आपको, अपने जीवन की तीन कहानियां सुनाना चाहूंगा... ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानियां...
#1EK Story : Dots Connect
मेरी पहली कहानी जिंदगी की छोटी-छोटी घटनाएं जोड़ने और समझने के बारे में है।
मैंने रीड कॉलेज में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही पढाई छोड़ दी। लेकिन फिर भी 18 महीनों तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा। तो सवाल उठता है कि मैंने कॉलेज क्यों छोड़ा ? दरअसल, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है|
मेरी जैविक माँ (पैदा करने वाली माँ) एक अविवाहित युवा कॉलेज छात्रा थी, और वह मुझे किसी और को गोद देना चाहती थी लेकिन उनकी एक इच्छा थी कि कोई पढ़ा-लिखा परिवार ही मुझे गोद ले। सबकुछ बिलकुल सेट था| एक वकील और उसकी पत्नी का मुझे गोद लेना तय हो गया। लेकिन....
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जब मेरा जन्म हुआ तो उस परिवार ने मुझे स्वीकार करने से मना कर दिया, क्योंकि उन्होने सोचा था कि बेटी होगी|इसलिए तब आधी-रात को मेरे नए माता-पिता जो तब प्रतीक्षा सूची में थे, को फोन करके बोला गया कि “हमारे पास एक लड़का है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी।
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बाद में मेरी जैविक माँ को पता चला कि मेरी नई माँ कॉलेज पास नहीं हैं और पिता तो हाई स्कूल भी पास नहीं हैं, तब उन्होंने गोद लेने के पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया पर...
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कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले माता-पिता के मुझे कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद वो मान गईं...! तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और 17 साल बाद मैं कॉलेज गया पर...
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गलती से मैंने स्टैनफोर्ड जितना ही महंगा कॉलेज चुन लिया। मेरे माता-पिता की सारी जमा-पूँजी, मेरी पढाई में जाने लगी। छह महीने बाद मुझे पढ़ाई में कोई रुचि नहीं दिखी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ और कॉलेज मुझे किस तरह से इसमें सहायता करेगा... और ऊपर से मैं अपने माता-पिता की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था। इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिया और सोचा जो होगा अच्छा होगा। उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था, पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है कि यह मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा और सही फैसला था। जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी क्लासेज करने की बाध्यता खत्म हो गई और मैं चुपचाप सिर्फ अपने रुचि की क्लास करने लगा।
यह सब इतना आसान नहीं था| मेरे पास रहने के लिए कोई कमरा नहीं था इसलिए मुझे अपने दोस्तों के कमरे में फर्श पर सोना पड़ता था। मैं कोक की बोतलों को वापस लौटाने का काम करता था और उससे मिलने वाले पैसों से खाना खाता था। मैं हर रविवार को, 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्ण मंदिर जाता था ताकि कम से कम हफ्ते में, एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं। मुझे यह सब अच्छा लगता था और जो भी मैंने किया.. अपने दिल की बात सुनकर किया और पाया, वह सब बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ।
मैं तुम्हें एक उदाहरण देता हूं...। उस समय रिड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी, जहाँ कैलिग्राफी सिखाई जाती थी। पूरे कैंपस में हर एक पोस्टर, हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हाथों से कैलिग्राफ किया होता था। चूँकि मैं कॉलेज से निकल चुका था, इसलिए मुझे सामान्य क्लासेज करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। मैंने तय किया कि मैं कैलिग्राफी की क्लासेज करूँगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा।
मैंने सेरिफ़ और सेन्स-सेरिफ़ टाइप-फेस के बारे में सीखा; अलग-अलग अक्षर-संयोजन के बीच में खाली स्थान बनाना और किसी अच्छी टाइपोग्राफी को क्या चीज अच्छा बनाती है, यह भी सीखा। यह खूबसूरत था, इतना कलात्मक था कि इसे साइंस द्वारा नहीं समझा जा सकता। यह मुझे बेहद अच्छा लगता था। उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का इस्तेमाल कभी अपनी जिंदगी में करूँगा।
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लेकिन जब 10 साल बाद हम पहला कंप्यूटर बना रहे थे, तब मैंने इसे मैक में डिजाइन कर दिया और मैक खूबसूरत टाइपोग्राफी युक्त दुनिया का पहला कंप्यूटर बन गया।
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अगर मैं कॉलेज नहीं छोड़ता तो मैक में कभी मल्टीपल टाइपफेस या proportionally spaced fonts नहीं होते और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी, तो शायद किसी भी personal computer में यह चीजें नहीं होतीं। मैं कभी calligraphy की वह classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं, वो होते ही नहीं।
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आपको अपनी हिम्मत, अपने भाग्य, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में किसी न किसी चीज में विश्वास करना ही होगा क्योंकि आगे चल कर, जब आप बिल्कल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे, इससे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत मिलेगी और यही चीज आपको औरों से अलग करेगी।
Second Story : Love and Loss
मेरी दूसरी कहानी है – प्यार और नुकसान के बारे में। मैं बहुत भाग्यशाली था कि मैं जिस चीज को चाहता था, वह मुझे जल्दी ही मिल गई। Woz और मैंने अपने माता-पिता के गैराज से Apple शुरू की। तब मैं केवल 20 साल का था। हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़कर, $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गई। हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh जारी की। लेकिन जब मैं 30 का हो गया था, तभी....
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मुझे कंपनी से निकाल कर दिया गया।
#ZEE1EKItifaq
आप अपनी बनाई हुई कंपनी से कैसे निकाले जा सकते हैं?
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खैर, जैसे-जैसे कंपनी आगे बढ़ी, हमने एक ऐसे टैलेंटेड आदमी को रखा, जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ मिलकर कंपनी को और आगे बढ़ाएगा। पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन फिर कंपनी के भविष्य के विजन को लेकर, हममें मतभेद होने लगे। बात बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तक पहुँच गई और उन लोगों ने उसका साथ दिया और मुझे निकाल दिया गया और वह भी सार्वजनिक रूप से, जिस पर मेरे पूरे वयस्क जीवन का ध्यान केंद्रित था, वह चला गया था और यह बहुत विनाशकारी था। मुझे सचमुच अगले कुछ महीनों तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं।
#ZEE1EKItifaq
मुझे महसूस हुआ कि यह सबकुछ इतनी आसानी से स्वीकार करके, मैंने अपने पहले कि पीढ़ी के व्यवसायियों को नीचा दिखाया है। मैं डेविड पैकर्ड और बॉब नोयस से मिला और उनसे ऐसा होने पर माफ़ी मांगी। यह मेरे लिए बहुत बड़ी विफलता थी। एक बार तो मैंने वैली छोड़ कर जाने की भी सोची। पर धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि मैं जो काम करता हूं, मुझे उससे लगाव है। एपल में हुई घटनाओं से, वह एक बात नहीं बदली थी। भले ही मुझे वहां से निकाल दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ। इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची।
#ZEE1EKItifaq
मैंने तब नहीं सोचा, पर अब मुझे लगता है कि एप्पल से निकाले जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी। सफल होने का बोझ, अब नए काम के हल्केपन में बदल चुका था| मैं एक बार फिर खुद को बहुत मुक्त महसूस कर रहा था। इस फ्रीडम की वजह से मैं अपने जीवन के सबसे क्रिएटिव समय में जा पाया।
#ZEE1EKItifaq
अगले पांच सालों में मैंने एक कंपनी NeXT और एक दूसरी कंपनी पिक्सर शुरू की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही अद्भुत महिला से हुई, जो आगे चलकर मेरी पत्नी बनीं। पिक्सर ने दुनिया की पहली कंप्यूटर निर्मित एनीमेटेड फिल्म “ Toy Story” बनाई, और इस वक्त, यह दुनिया का सबसे सफल एनीमेशन स्टूडियो है। एप्पल ने NeXT को खरीद लिया और मैं एप्पल में वापस चला गया। आज एप्पल NeXT द्वारा विकसित की गयी तकनीकी का प्रयोग करती है अब लोरेन और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है। मुझे पूरा यकीन है कि अगर मैं एप्पल से नहीं निकाल जाता, तो यह सब नहीं होता। यह एक कड़वी दवा थी पर शायद मुझे इसकी ज़रूरत थी।
#ZEE1EKItifaq
कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है। अपना विश्वास मत खोइए...!
मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था।
I loved my work.
आप वास्तव में क्या करना पसंद करते हैं, यह आपको जानना होगा| जितना अपने प्यार को ढूंढ़ना जरूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना जरूरी है, जिसे करने से आपको सचमुच आनंद आता हों। आपका काम, आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और वास्तव में संतुष्ट होने का एक ही तरीका है कि आप वो करें जिसे आप सचमुच एक बड़ा काम समझते हों। आपका काम, आपकी जीवन का एक बड़ा हिस्सा है और संतुष्ट होने का एकमात्र तरीका है कि आप वही काम करें, जो आपको महान लगता हो| और महान काम करने का एक ही तरीका हैं, आपको आपके काम से प्यार। अगर आप को अभी तक वह नहीं मिला है, तो खोजते रहो। जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है, वह जब आपको मिलेगा, तब आपको पता चल जाएगा और जैसा कि किसी अच्छे संबंध में होता है, वह समय के साथ-साथ और अच्छा होता जाएगा। इसलिए खोजते रहिये रुकिये मत...!
Third Story : Death
मेरी तीसरी कहानी मृत्यु से संबंधित है। जब मैं 17 साल का था, तो मैंने एक उद्धरण पढ़ा, जो कुछ इस तरह था –
“ यदि आप हर रोज ऐसे जियें, जैसे कि यह आपकी जिंदगी का आखिरी दिन है, तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे।”
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यह बात मेरे दिमाग पर छा गयी और तबसे पिछले 33 सालों से मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है – “अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?”
और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता, तब मैं समझ जाता हूँ कि कुछ बदलने की ज़रूरत है। इस बात को याद रखना कि मैं बहुत जल्दी मर जाऊँगा, मुझे अपने जीवन के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होती है। क्योंकि जब एक बार मृत्यु के बारे में सोचता हूँ, तब सारी उम्मीद, सारा गौरव, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है, जो वाकई ज़रूरी है।
इस बात को याद करना कि एक दिन मरना है किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। आप पहले से ही नग्न हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है कि आप अपने दिल की ना सुनें।
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करीब एक साल पहले पता चला कि मुझे कैंसर है। सुबह 7:30 बजे, मेरा स्कैन हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था कि मेरे अग्न्याशय में ट्यूमर है। मुझे तो पता भी नहीं था की अग्न्याशय क्या होता है। डॉक्टर ने लगभग यकीन के साथ बताया कि मुझे एक ऐसा कैंसर है, जिसका इलाज़ संभव नहीं है और अब मैं बस तीन से छह महीने का मेहमान हूँ।
डॉक्टर ने सलाह दी कि मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका मतलब होता है कि, “अब आपके पास ज्यादा समय नहीं है” इसका मतलब है कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते, वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए। इसका यह मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए, ताकि आपके बाद आपके परिवार को कम से कम परेशानी हो। इसका यह मतलब होता है कि आप सबको गुड-बाय कर दीजिए।
मैंने यही सबकुछ सोचते हुए पूरा दिन बिता दिया, फिर शाम को मेरी बायोप्सी हुई, जहाँ मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए, मेरी इंटेस्टाइन की एंडोस्कोपी की गयी और एक सुई से ट्यूमर से कुछ सेल्स निकाले गए। मैं तो बेहोश था पर मेरी पत्नी, जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया कि जब डॉक्टर ने माइक्रोस्कोप से मेरे सेल्स देखे तो वह रो पड़ा...। दरअसल, सेल्स देखकर डॉक्टर समझ गया कि मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का अग्नाशय का कैंसर है, जो सर्जरी से ठीक हो सकता है। मेरी सर्जरी हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ।
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मृत्यु के इतने करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा और उम्मीद करता हूँ कि अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं। यह सब देखने के बाद, मैं ओर भी विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि मृत्यु एक useful but intellectual concept है। कोई भी मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक कि वह लोग भी जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं। फिर भी मृत्यु, वह मंजिल है, जिसे हम सब शेयर करते हैं। आज तक इससे कोई बचा नहीं है। और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है।
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ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है और इस समय नए आप हैं। पर ज्यादा नहीं; कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और फिर आपकी भी मृत्यु हो जाएगी। इतना नाटकीय होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ, पर ये सच है।
आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये। बेकार की सोच में मत फंसिए, अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए। औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने अंतर्ज्ञान को डूबने मत दीजिए।
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जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की बाइबिल में से एक था। इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, अपने poetic touch देकर बड़ा ही जीवंत बना दिया था। ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं। पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था। वो कुछ-कुछ ऐसा था, कि मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो। वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले। वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था।
Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला। ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था। Final issue के back cover पर प्रातः काल के, किसी गाँव की सड़क का दृश्य था वो कुछ ऐसी सड़क थी, जिस पर यदि आप साहसी हैं तो किसी से लिफ्ट माँगना चाहेंगे और उस तस्वीर के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”, यह उनकी विदाई का संदेश था। मैंने अपने लिए हमेशा यही कामना की है, और अब जब आप लोग यहाँ से ग्रेजुएट हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही कामना करता हूँ, stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.”
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