अब दुनिया करेगी ‘लक्ष्मी’ पूजा... शगुन की #1EK शुरुआत
दुनिया को हम अंग्रेजी में ‘अर्थ’ कहते हैं... और उसकी अर्थव्यवस्था चलती है धन से...! धन बोले तो मुद्रा और लगभग हर देश की मुद्रा अलग-अलग है। हम ‘लक्ष्मी’ की पूजा करते हैं... बोले तो धन की देवी... और हमारे यहां ‘रुपये’ को धन कहते हैं...! भारत से थोड़ा आगे बढ़ते हैं तो दुनिया में सर्वाधिक ताकतवर मुद्रा है दुनिया के दरोगा अमेरिका का डॉलर...!
अब ब्रेक लेते हैं... #1EK ट्वीट पर चर्चा करते हैं... यह ट्वीट जुलाई 2013 में विपक्ष के नेता और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया था... इसमें दावा किया गया था कि आजादी के समय अर्थात 15 अगस्त 1947 को #1EK रुपये #1EK डॉलर के बराबर था...! लेकिन ‘आजतक’ ने इसे गलत ठहराया था... उसका कहना था कि इस दावे की पुष्टि करने के लिए कोई डाटा मौजूद नहीं है। दूसरी बात यह है कि आजादी से लेकर 1966 तक भारतीय रुपये की वैल्यू डॉलर नहीं ब्रिटिश पाउंड के मुकाबले आंकी जाती थी...!
यह थी भूतकाल की बात... लेकिन बात तो भविष्य की जा रही है कि अब दुनिया करेगी ‘लक्ष्मी’ की पूजा... इस समय अंतराल के बीच में वर्तमान है और हम सभी इस कालचक्र में रहकर ही भविष्य की सोचते हैं...यही सच है। यही वर्तमान #1EK है... जिसे जानते तो सभी हैं लेकिन समझना नहीं कोई चाहता...! शायद इसी वजह से हमारी संस्कृति में #1EK को शगुन का प्रतीक कहा गया है। दरअसल... समयचक्र ने मुद्रा के तमाम रूप देखे हैं और आगे भी देखेगा लेकिन मेरे मतानुसार... दौर चाहे कोई भी रहा हो लेकिन #1EK सोने के सिक्के के बराबर मूल्य के बराबर यदि किसी व्यकि्त की आमदनी रही हो तो वह व्यक्ति अभावग्रस्त नहीं कहा जा सकता है...! यह बात पुराने दौर पर भी लागू होती थी और आज भी यह अक्षरशः सही है। मनन आप भी कर सकते हैं। शायद यही सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि शगुन के प्रतीक के तौर पर #1EK रुपये को भारतीय जनमानस ने चुना क्योंकि प्राचीन काल में स्वर्ण मुद्रा का असि्तत्व हमारे यहां मिलता है...!
दूसरा कारण यह भी माना जाता है कि #1EK अविभाज्य अर्थात विभाजित न होने वाली संख्या है...! कहा जाता है कि जैसे-जैसे हमारे पास धन बढ़ता जाता है... 10, 100, 1000...आदि... जीवन में वैसे-वैसे शून्यता बढ़ती जाती है। इसीलिए हमारे जीवन से जुड़े हरेक खास अवसर पर शगुन के लिए #1EK की परंपरा बनी... ताकि व्यवहार के आखिर में शून्यता नहीं #1EKता रहे...! शायद यही वजह रही कि #1EK की संख्या को बेहद शुभ मानी जाती है। हर नए रिश्ते में #1EK नया सदस्य जुड़ता है तो इसे उसका प्रतीक भी कहा जा सकता है कि आप भले अकेले हो लेकिन हमारे लिए खास हो...! याद करें... अयोध्या में जब सालों बाद राम मंदिर निर्माण की बात चली तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने #1EK रुपये का ही पहला दान किया था...! #1EK का निवेश मैंने भी किया लेकिन लोगों के समझ में नहीं आ रहा... पर मैं अपनी कोशिशों में लगातार जुटा हुआ हूं। क्षमा करें... मैं थोड़ा विषय से भटक गया था। तो साहेबान... ज्ञान की बात बंद लेकिन आगे के समाचार इस प्रकार हैं...
हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने #1EK रिपोर्ट में विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट की बात कही थी। दरअसल, डॉलर के मजबूत होने से अन्य मुद्राएं कमजोर पड़ रही हैं। भारतीय रुपये भी इससे अछूता नहीं है। कीमत के मामले में जब रुपये गिरने की खबर आती है तो भारतीय मीडिया में चर्चा जरूर पाती है। इसी गिरावट पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने #1EK पैंतरे पर विचार शुरू किया है। इसी संदर्भ में आरबीआई ने #1EK नई शुरुआत करते हुए यह घोषणा की कि निर्यातक एवं आयातक रुपये में भी व्यापार कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग रुपये में होने से भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। अभी तक आयात-निर्यात के लिए भारत समेत ज्यादातर देश डॉलर पर निर्भर हैं। इससे एक्सचेंज रेट का रिस्क भी कम होगा और सस्ती दरों पर कई डील हो सकेंगी।
हमारे विदेश मंत्रालय के सार्थक प्रयासों का ही नतीजा है कि तमाम देशों जैसे- श्रीलंका, मालदीव, विभिन्न दक्षिण पूर्व एशियाई देश, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों ने भी रुपये में व्यापार करने में अपनी सहमति व्यक्त की है। भारत के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए रूस सहर्ष तैयार हैं। इसी प्रकार रूस से हमारे संबंध जगजाहिर हैं। यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझने पर रूस ने रुपये-रूबल में व्यापार किया। इसके बाद रुपया-रियाल एवं रुपया-टका में व्यापार की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। सीधे शब्दों में कहा जाए कि यदि इन सभी देशों को किया जाने वाला भुगतान रुपये में होगा तो इसका सीधा लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा। साफ है कि आने वाले समय में रुपया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करेगा और दुनिया करेगी ‘लक्ष्मी’ पूजा करने के लिए आगे बढ़ रही है। शगुन की #1EK शुरुआत हो चुकी है और जी-20 के लिए स्लोगन भी है... #1EK पृथ्वी, #1EK परिवार, 1EK भविष्य’ का विचार और प्रासंगिक हो गया है।
Dr. Shyam Preeti
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