भारत, हिंदुस्तान और इंडिया... ये तीनों नाम हैं मेरे.... 1EKBharat

भारत, हिंदुस्तान और इंडिया... ये तीनों नाम हैं मेरे.... लेकिन इनमें #1EK संबंध है कि राष्ट्र के तौर पर ये #1EK हैं। आज भारत हमारा राष्‍ट्र है और इंडिया हमारा देश और हिंदुस्तान को मुल्क कहें तो क्या ‘राष्‍ट्र’, ‘देश’ और ‘मुल्कर’ में कुछ अंतर है? किसी से यह सवाल पूछे तो उसका जवाब नहीं होगा। साफ है कि #1EK व्यकि्त के जैसे कई नाम हो सकते हैं, नीली छतरी वाले को कई नामों से पुकारा जा सकता है। ठीक वैसे ही राष्ट्र के यदि तीन नाम हैं तो क्या हुआ? हमारी जड़ें बहुत गहरी भले हो लेकिन भाषाई विविधता के चलते कुछ दिक्कतें भी हैं। जैसे कि्रकेट में भारतीय टीम को टीम इंडिया कहना लोगों को सरल लगता है। इसी प्रकार कई लोग खुद को हिंदुस्तानी कहलाना पसंद करते हैं और कई खुद को भारतीय मानते हैं लेकिन क्या नामों के अंतर से वे जुदा हो जाते हैं? नहीं... जब यही उत्तर हर सि्थति में हमें सही लगता है तो फिर विवाद क्यों? देश के संविधान में ‘इंडिया दैट इज भारत’ का जिक्र है। हम लोगों में ईगो बोले तो अहम बहुत है और इसलिए इंडिया की जगह देश का नाम भारत करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में करते हुए #1EK याचिका भी दायर हो चुकी है।
याचिका पर पर देश की शीर्ष अदालत ने सुनवाई भी की। याचिका में मांग की गई थी कि संविधान के अनुच्छेद-1 में बदलाव कर देश का नाम भारत कर दिया जाए। मामला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के पास गया और इस बेंच ने यह याचिका ठुकरा दी। बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि संविधान में पहले से लिखा है ‘इंडिया दैट इज भारत’, इसलिए इसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं है।
हिंदी में गर्व से कहो... हम भारतीय हैं। अंग्रेजी में ‘इंडिया फर्स्ट’ का भी नारा चर्चित रहा है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा #1EK भारत, श्रेष्ठ भारत की रही है। यह योजना स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से प्रेरणा लेकर 29 नवंबर 2015 को शुरू की गई थी। योजना का उद्देश्य देश को एकसूत्र में जोड़ना था। दरअसल, भारत एक ऐसा देश है जो विविधता में एकता का श्रेष्ठ उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा भी था कि #1EK भारत श्रेष्ठ भारत योजना भारत को वन इंडिया सुप्रीम इंडिया बनाएगा। हाल के रिकॉर्ड को देखें तो विश्व परिदृश्य पर भारत का प्रभुत्व लगातार बढ़ रहा है। दिसंबर 2022 में जी-20 की अध्यक्षता करते हुए मोदी जी ने संदेश दिया था कि इसका लोगो कमल का फूल भारत की पौराणिक धरोहर, हमारी आस्था, हमारी बौद्धिकता को चित्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र के जरिए विश्व बंधुत्व की जिस भावना को हम जीते आए हैं, वह विचार इस लोगो और थीम में झलक रहा है। अब पहले वसुधैव कुटुंबकम पर चर्चा... इसका अर्थ है- दुनिया #1EK परिवार है... और जी-20 की थीम 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य है' रखी गई थी। सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा वसुधैव कुटुंबकम है जो महा उपनिषद सहित कई ग्रंथों में लिपिबद्ध है। यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है। सही मायने में दुनिया का सबसे बड़ा विचार वसुधैव कुटुंबकम ही है। अब तनिक विचार करें तो हमारे रक्त का रंग लाल है और हमारी जरूरतें लगभग #1EK सी हैं... यानी हम सहोदर हैं... अलग-अलग स्थानों पर रहने के बावजूद हमारी भावनाओं में भी काफी हद तक समानता है। इसी वजह से दुनिया को यदि हम #1EK परिवार कहते हैं तो सही ही है।
इसके बाद भारत की बात। मेरे विचार में #1EK Bharat (एक भारत) का विचार भारत का सबसे बड़ा विचार है। देश को हिंदुस्तान और इंडिया नामों से भी जाना जाता है लेकिन दिल के करीब #1EK Bharat (एक भारत) ज्यादा लगता है। सरदार पटेल ने भारत को #1EK करने के लिए सबसे पहले बड़ी पहल की थी और इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे। जहां तक अखंड भारत की बात तो सीमाओं का कोई अंत नहीं है। हर इतिहासकार के हवाले से हम देखेंगे तो सीमाएं #1EK सी नजर नहीं आ सकती! ऐसे में #1EK Bharat (एक भारत) की अवधारणा पर यदि हम एकमत हो सकें तो ज्यादा बेहतर होगा। यह मेरी निजी राय है, इस पर आपका क्या मत है, यदि आप बताएं तो मैं स्वागत करूंगा। भारत की पहचान विविधता में है और यही उसकी एकता का कारक है। हम व्यर्थ के प्रलाप में पड़कर आपस में विवाद करते हैं। कोई भगवे की बात करता है तो कोई हरा रंग उठाए घूम रहा है लेकिन तिरंगे का तीसरा रंग ‘सफेद’ हर कोई भूल-सा गया है। यह शांति का प्रतीक है, जो हर देशवासी चाहता है। जैसे सनातन धर्म की बात करें तो उसमें कट्टरवाद कहीं नजर नहीं आता। उसमें निगुर्ण के साथ सगुण उपासना की बात कही जाती है। यही व्यवस्था अन्य पंथों के मानने वालों को भी समझनी होगी। सनातन सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि वह सभी को समाहित करने के लिए लालायित रहता है। अन्य लोगों को भी यह समझना होगा। हम सबसे पहले भारतीय हैं।
#1EK बांग्ला सूक्ति है- उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र अर्थात हमारा बस इतना ही छोटा सा परिचय है पर इतना काफी है। इसमें आ गए सब उपनिषद, आ गईं सब भगवद्गीताएं, आ गई बाइबिल, आ गया कुरान, आ गया धम्मपद। इसमें आ गए सब बुद्धों के गीत। इसमें आ गए सब जाग्रत पुरुषों के उत्सव। एक बार अपना मन शांत कर देखें तो इसकी महत्ता पता चल जाएगी...! मेरी यह भी निजी राय है कि हमारी जिंदगी एक-दो रंगों की गुलाम नहीं है। इसे इंद्रधनुष के सभी रंग चाहिए और इंद्रधनुष का दर्शन करने के लिए सभी को इंतजार भी करना पड़ता है...! और भूलभूत जरूरतों के लिए आज भी ज्यादातर भारतीय प्रतीक्षारत हैं। Dr. Shyam Preeti

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