दुनिया में सबसे बड़ा... और सबसे छोटा कौन?

दुनिया में सबसे बड़ा... और सबसे छोटा कौन? यह सवाल किसी से पूछें तो वह झट से जवाब देगा ‘फलाना...’ लेकिन जैसे ही दूसरे सवाल पूछेंगे... कैसे... तो वह सकते में आ जाएगा! कैसे?
दरअसल, दुनिया में जो कुछ भी है... सब अनोखा है... यही प्रकृति की खूबसूरती है लेकिन जैसे ही हम तुलना करना शुरू करते हैं... तो हमारी निगाह में कोई बड़ा या छोटा हो जाता है...! यही सच है.. जैसे कौन का देश सबसे बड़ा है... सवाल का उत्तर मिलता है रूस... और सबसे छोटा देश कौन सा है तो उत्तर मिलेगा वेटिकन सिटी है, जिसका क्षेत्रफल 0.44 वर्ग किलोमीटर है और यहां की जनसंख्या 800 है लेकिन अमेरिका के नेवादा राज्य में 'रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया' नामक अकेला #1EK संप्रभु देश है। इसे मोलोसिया गणराज्य के रूप में जाना जाता है। यह मुल्क दो एकड़ से भी कम भूमि को कवर करता है और नेवादा के डेटन स्थित कार्सन नदी के किनारे बसा हुआ है। देश की स्‍थापना 1977 में हुई थी और इसे मूल रूप से ग्रैंड रिपब्लिक ऑफ वल्डस्टीन कहा जाता था. इसका नाम 1998 में लगभग 20 साल बाद किंगडम ऑफ मोलोसिया कर दिया गया। चकित न हों... मैं अपनी जानकारी को सही होने का कोई भी दावा नहीं करता... क्योंकि जानकारी तो गूगल बाबा उपलब्ध करवाते हैं। जैसे दुनिया में कितने मुल्क हैं... सवाल पूछेंगे तो जवाब मिलेगा- साल 2023 तक विश्व में मान्यता प्राप्त कुल देशों की संख्या 195 है। हालांकि पृथ्वी पर कुल 240 देश है लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने केवल इन 195 देशों को ही मान्यता प्रदान की है। समझ आया... कुछ जिसको मान्यता मिल जाती है तो वह सबसे बड़ा या छोटा बन जाता है। जैसे कभी उद्योगपति मुकेश अंबानी देश के नंबर-#1EK दौलत वाले हुआ करते थे लेकिन समय बदला और अब गौतम अदाणी उनकी कुर्सी पर काबिज हो चुके हैं। ऐसे लोग घनाढ्य की श्रेणी में गिने जाते हैं और हमारे जैसे लोग................ इस खाली स्थान पर आप अपनी पसंद का शब्द भर सकते हैं। मैं आपको पूरी स्वतंत्रता देता हूं... लेकिन बस ध्यान रखिएगा कि इस खाली स्थान से आपका भी नाता होगा, क्योंकि आप भी हमारी तरह #1EK आदमी ही होंगे। हमारी जेब में घूमने के लिए जेब में माल चाहिए और पास में समय... वो भी नहीं है, सो मैं ज्ञानवर्द्धन करने के लिए कभी पुस्तकों और कभी इंटरनेट का सहारा लेता रहता हूं और शायद आप भी। खैर, मेरी राम कहानी को ज्यादा तवज्जो न दें क्योंकि मैं #1EK आम आदमी हूं... जो अकेला होता है... यदि कोई आपका साथ दे रहा है तो आप किस्मत वाले हैं। आप छोटे व्यकि्त से थोड़ा बड़े होने लगे हैं। यदि इसी तरह बड़े होते गए तो #1EK दिन शायद दुनिया को दिखने भी लगे... आपका कद जल्द से जल्द बड़ा हो जाए, यही ईश्वर से प्रार्थना कर सकता हूं... बाकी आपकी मेहनत और आपकी किस्मत है...! दुनिया में सबसे बड़ा... सबसे आगे कौन है... यह तो आसानी से पता किया जा सकता है लेकिन सबसे पीछे कौन है... पता करना ज्यादा मुश्किल होता है। क्योंकि शून्य के बाद दशमलव का जो बिंदु आ जाता है... उसके पीछे फिर से गिनती शुरू हो जाती है और छोटों की संख्या बढ़ती जाती है। शून्य वह सीमा रेखा है जहां आम आदमी खड़ा नजर आता है और इस स्थान को निहारता रहता है। #1EK शून्य से शुरू हुई उसकी कहानी शून्य पर ही खत्म हो जाती है। यही कटु सच है। लड़ाई हमेशा बड़ा बनने की है... लेकिन छोटा बनने के लिए लड़ाई नहीं है... क््योंकि हमेशा से उठना कठिन रहा है लेकिन माना जाता है कि किसी का गिरना आसान... सरलता से होता है...। हालांकि यह भी पूरा सच नहीं है। बस सारा खेल हमारे नजरिए का है...। दुनिया में हर शख्स खास... उसे आम हम बनाते हैं और खास भी... कल, आज और कल की तर्ज पर दुनिया आगे चलती रहती है और पीछे को देखती रहती है और भविष्य को लेकर योजनाएं बनाई जाती हैं। यही विडंबना है कि हम हर चीज की तुलना करते हैं कि... जैसे सुख और दुख की... छोटे और बड़े की... रात और दिन की... समुद्र और मैदानी क्षेत्र की... बीच के ‘साहिल’ को हम भूल जाते हैं...। दरअसल, जो हमें दिख रहा है और जो यथार्थ है... उसके बीच का अंतर ही विडंबना है। कोई भीतर से बहुत दुखी होता है लेकिन खुश दिखने की कोशिश कर रहा है... अथवा सुख या दुख का अनुभव न कर पाना भी विडंबना ही है। सच कहूं तो हम सभी को ‘साहिल’ बनना होगा क्योकि तटस्थ रहना बहुत कठिन है लेकिन आनंद इसी मुद्रा में आता है...! लेकिन थोड़ा ठहरें साहब.... यह ‘साहिल’ हिंदी के अर्थोें में है.. साहिल नाम का #1EK अर्थ नेता भी होता है... नेता बोले तो जो नेतृत्व करे... और शुरुआत तो हमेशा #1EK से होती है...। मैं भी खुश हुआ कि ‘साहिल’ और #1EK में यह संबंध भी इत्तेफाक से बन गया है... लेकिन, किंतु... परंतु... ऐसे शब्द हैं, जिनसे आपके सुख का किरदार बदलकर दुख हो जाता है और दुख सुख में बदल जाता है। ‘यह समय भी बीत जाएगा’ ऐसा ही वाक्य है... जिसे दुख में पढ़ेंगे तो सुख का अहसास होता है और सुख में पढ़ते ही दुख महसूस होने लगता है। Dr. Shyam Preeti

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