चुनावों ने साबित किया... लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है और रहेगी

चुनाव परिणामों को देखा जाए तो यह लोकतंत्र और जनता की जीत है। भारत भाग्य विधाता बोले तो मतदाता... यह साबित हो गया है।
हालांकि तीनों बड़ी राजनीतिक दल भाजपा, कांग्रेस और आप खुशियां मना रहे हैं। पहले दिल्ली नगर निगम बोले तो एमसीडी के चुनाव की बात। यहां 250 वार्डों के लिए मतगणना पूरी हुई और अरविंद केजरीवाल हैरी पॉटर बने नजर आए...! यहां की पिक्चर में वह सुपर हिट साबित हुए। सीटों के हाल ने बताया कि आम आदमी पार्टी ने बहुमत हासिल कर लिया है। आप के 134 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की वहीं भारतीय जनता पार्टी ने 104 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर पहुंंच गई। दूसरी ओर दिल्ली को विकास के पथ पर अग्रसर करने वाली कांग्रेस महज नौ सीटों पर जीत हासिल कर सकी। वह निर्दलीयों से आगे रही क्योंकि तीन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया है। इसके बाद गुजरात परिणामों की बार... यहां पर गुजराती जगत के सबसे लाडले बंदे बन चुके नरेंद्र मोदी ने अपना जलवा बिखेरा और भाजपा ने रिकॉर्ड और अपने राज को बरकरार रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित किया है कि फिलहाल राजनीतिक फलक में वह नंबर-#1EK हैं।
दूसरी ओर हिमाचल में कांग्रेस के पंजे ने कमल को कमजोर कर दिया और सत्ता में वापसी के लिए हुंकार भरी। गुजरात में सातवीं बार जीत दर्ज करते हुए 156 सीटों पर विजय हासिल की वहीं कांग्रेस के खाते में 17 सीटें रहीं। सबसे गजब आप ने किया और पांच सीटों के साथ कांग्रेस और भाजपा को अपने ‘पंजे’ के नाखून दिखा दिए। तीन सीटें अन्य के खाते में गईं।
हिमाचल में हर पांच साल में सत्ता बदलने का इत्तेफाक जारी रहा। भाजपा की सरकार के बाद जनता ने अबकी कांग्रेस को मौका दिया है। गुजरात में करारी हार से आहत कांग्रेस को हिमाचल के परिणामों ने ठंडक पहुंचाने का कार्य किया है। राजनीतिक हलकों में भले उसे ‘चुका’ माना जा रहा हो लेकिन लोकतंत्र में उसकी अहमियत अभी बरकरार है। यह जनता ने साफ किया है। पांच साल के बाद हिमाचल में कांग्रेस की वापसी उसे आगे के चुनाव के लिए हौसला देगी। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने भाजपा उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य की साख चुनाव परिणामों में धूमिल कर दी लेकिन आजम खान के गढ़ रामपुर में भाजपा ने सेंध लगा दी। यहां पर भाजपा उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को पराजित किया। उधर, खतौली विधानसभा सीट पर सपा-रालोद की बल्ले-बल्ले हो गई। यहां गठबंधन उम्मीदवार मदन भैया ने जीत दर्ज की। इन चुनावों में खास बात यह है कि हारने वाला भी खुद की जीत के दावे कर रहा था... क्योंकि उसे जनता पर भरोसा था और जनता का भरोसा किस पर था... यह तो वह जानती थी। चुनाव प्रचार करने और अपनी बातें, दावे करने का अधिकार को उम्मीदवार को था... उसने यह कर्म बखूबी किया भी लेकिन फैसला तो जनता जनार्दन के हाथों में था और उसने इन चुनाव परिणामों से साफ कर दिया कि ज्यादा घमंड न करो... कुर्सी पर भले कोई नेता बैठता हो लेकिन हमारी #1EK अंगुली किसी की भी कुर्सी खिसका सकती है। जीत और हार का परिणाम हम तय करते हैं। शिखर पर बड़ी फिसलन है... जनता यह परिणामों से पहले भी समझाती रही है और इस बार भी बखूबी समझाया है।
सावधान... हर राजनीतिक दलों के पुरोधाओ... लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है और वही रहेगी... इन चुनावों ने यह साबित किया है। Dr. Shyam Preeti

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