#1EK दशक के बाद #1EK ब्रांड Campa Cola का पुनर्जीवित होना...

मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह ने लगभग 75 हजार करोड़ रुपये वाले सॉफ्ट डि्रंक के कारोबार पर अब ध्यान केंद्रित किया है। गत नौ मार्च को इस ब्रांड को फिर से लॉन्च करने की घोषणा की गई। परिणाम स्वरूप करीब #1EK दशक के बाद ब्रांड Campa Cola का पुनर्जवित हो गया है। रिलायंस समूह की रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट ने होली के बाद करीब 50 साल पुराने इस प्रतिष्ठित बेवरेज ब्रांड कैंपा कोला को जैसे ऑरेंज, लेमन और कोला फ्लेवर में बाजार में उतारा; इसके बाद भारतीय साफ्ट डि्रंक बाजार में अब प्राइज वार छिड़ गया है। कंपनी ने टैगलाइन दी है-द ग्रेट इंडियन टेस्ट...! पहले यह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मिलेगा। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से इसे देश भर में पेश किया जाएगा। जनवरी में अपने लिखे #1EK लेख में मैंने शीर्षक... ब्रांड, ब्रांडिंग और ब्रांड एंबेसडर.... #1EK नाम... जो कभी नहीं मरता...! से लेख लिखा था। इसमें मैंने लिखा था- कहा जाता है कि जिसका जन्म हुआ है... उसकी मृत्यु निश्चित है...! लेकिन जब भी किसी का जन्म होता है तो उसका #1EK नाम जरूर रखा जाता है... और मृत्यु होने के बावजूद वह जिंदा रहता है...! यही #1EK नाम ही ब्रांड (Brand) है। मेरी यह बात अक्षरशः सही साबित हो रही है। मुझे इस बात की बहुत खुशी है।
शुरुआती दौर में Campa के तीन फ्लेवर- कैंपा कोला, कैंपा लेमन और कैंपा ऑरेंज बाजार में उपलब्ध होंगे। जैसे रिलायंस बोले तो reliance का हिंदी में अर्थ भरोसा होता है... वैसे ही कैंपा Campa का मतलब मैंने सुखदायक जब पढ़ा... तो साफ हो गया कि हरेक नाम महत्वपूर्ण है... बस हमें अपना देखने का नजरिया बदलने की जरूरत होती है। अच्छी निगाह... चाहिए... #1EK ब्रांड के नाम के अर्थ को जानने की ललक, हर किसी में होनी चाहिए। लोग अपने बच्चे का नाम रख देते हैं... लेकिन उन्हें कई बार इसका अर्थ का पता नहीं होता। एक बार एक मुस्लिम की बच्ची का मैंने नाम पूछा... जवाब मिला आफ़रीन.... लेकिन जब मैंने सज्जन से उसका अर्थ पूछा तो वे बोले- मैं मुस्लिम हूं...! मैंने नाम का मतलब पूछा था और वह अपनी बिरादरी बता रहे थे। खैर, बाद में खोजा तो मुझे आफ़रीन के कई अर्थ मिले- वाह, बहुत अच्छा किया, धन्य हो, शाबाश।
खैर, हम Campa Cola की बात कर रहे थे...! वर्ष 1970 और 1980 के दशक में भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में इस ब्रांड की तूती बोलती थी लेकिन साल साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव सरकार की उदारीकरण नीति के बाद इस ब्रांड के दुर्दिन शुरू हो गए। कारण.... बड़ी मछली के तौर पर विदेशी कंपनियों पेप्सी (Pepsico) और कोक (Coca-Cola) ने साफ्ट डि्रंक के बाजार में एंट्री मारी थी। करीब दो दशक तक भारतीयों के दिलों पर राज करने वाली कैंपा कोला की विदाई होना शुरू हो गई। 2000-2001 में कैंपा कोला के दिल्ली में स्थित बॉटलिंग प्लांट और कार्यालय बंद कर दिए गए। इसके बाद 2009 में उत्पाद की एक छोटी मात्रा हरियाणा तक सिमट कर रह गई और 2012 आते-आते कंपनी रसातल में चली गई। साल 2013 में ग्रुप में संपत्तियों के मालिकाना हक की लड़ाई अखबारों की सुर्खियां बनी और ...जहां कुमति तहां बिपति निदाना.. साबित हो गया। ...लेकिन साब! #1EK नाम बोले तो ब्रांड फिर से अवतार में आ गया है। ऐसे में इस कंपनी की कहानी भी चर्चा में है। कहानी शुरू होती है भारत की आजादी के बाद साल 1949 से, जब देश में कोका-कोला ने पहली बार प्रवेश किया। उसने भारत के मुंबई बेस्ड प्योर डि्रंक्स ग्रुप के साथ मिलकर भारतीय बाजार में उत्पाद उतारे थेष। यह ग्रुप भारत में कोका-कोला का बॉटलिंग प्लांट चलाता था। समय के साथ धनाढ्य लोगों से होते हुए कोका-कोला का स्वाद आम लोगों की जुबान पर भी चढ़ रहा था। करीब 20 सालों में कोका कोला कंपनी भारतीय बाजार में छा चुकी थी और प्योर डि्रंक्स ग्रुप 1970 के दशक तक उसका एकमात्र निर्माता और वितरक था। यहां पर उल्लेखनीय है कि कोका कोला कोल्ड ड्रिंक बनाने के लिए जो कॉन्सन्ट्रेटर इस्तेमाल किया जाता था, वह कोका कोला के अमेरिकी प्लांट से ही बनकर आता था। इसके बाद 1973 में जब इंदिरा गांधी सरकार ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम पास किया। इसके तहत किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में काम करने के लिए दो शर्तें पूरी करनी जरूरी थीं। पहली- कंपनी के 60% शेयर किसी भारतीय कंपनी के नाम करना और दूसरी, सहयोगी भारतीय कंपनी के साथ अपने प्रॉडक्ट का सीक्रेट फॉर्मूला शेयर करना। नियम के तहत कोका-कोला को भी अपना सीक्रेट फॉर्मूला शेयर करना था, जो उसे मंजूर न था। अंततः कोका कोला को भारत से अपना बिजनेस समेटना पड़ा। इस बीच 1975 में इमरजेंसी लगने के बाद इंदिरा जी की सरकार चली गई और मोरारजी देसाई की सरकार बनी। साल था 1977 और इत्तफाक की बात है कि इसी साल तीन कोल्ड ड्रिंक्स लॉन्च हुए। इनमें पहले मोरारजी देसाई सरकार ने एक सरकारी कोला ब्रांड डबल सेवन (77) बाजार में उतारा। इसे बनाने का काम सरकारी कंपनी मॉर्डन फूड इंडस्ट्रीज को सौंपा गया पर इसका स्वाद लोगों की जुबान पर नहीं चढ़ सका। बाद में जब सरकार बदली तो विरोधी सरकार की निशानी 77 बोले तो डबल सेवन का अंतिम संस्कार कर दिया। इस ब्रांड के अलावा इसके अलावा इस साल CampaCola और ThumsUp भी बाजार में उतारे गए थे। मुंबई के रमेश चौहान ने 1969 में पारले बिसलेरी जैसी कंपनी शुरू की। ये उस दौर में बोतलबंद पानी बेचा करती थी। यही बिसलेरी ब्रांड आज भी पानी के बाजार का सबसे बड़ा नाम माना जाता है। उन्होंने ही ThumsUp ब्रांड से पहले ही Limca ब्रांड लॉन्च किया था। इसके स्वाद का जादू ऐसा छाया कि बाद में जब 1993 में कोका कोला ने फिर से भारत में वापसी की तो पेप्सी (Pesico) पर बढ़त बनाने के लिए इस ब्रांड को न सिर्फ खरीद लिया बल्कि इसे #1EK इंटरनेशनल ब्रांड बनाया। इसी प्रकार सॉफ्ट ड्रिंक्स के बाजार में प्योर ड्रिक्स ग्रुप के मालिक चरणजीत सिंह की ने साल 1977 में सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कैंपा कोला को लॉन्च किया। स्लोगन दिया- द ग्रेट इंडियन टेस्ट... नतीजा... इसका स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा। सबसे मजेदार तथ्य यह भी है कि 1983 में किशोरावस्था के सलमान खान कैंपा कोला के विज्ञापन में भी दिखाई दिए। इसके बाद सलमान खान ने पेप्सी को पिया और लोगों को पीने के लिए प्रेरित किया। समय बदला और उनका स्वाद फिर बदल गया और फिर वह कोका कोला का प्रचार करने लगे। कुल मिलकर उन्होंने तीनों ब्रांड के लिए ब्रांडिंग की... यह इत्तफाक कितना शानदार है... जवाब आप दीजिएगा...! खैर, कोका कोला ब्रांड का लुक वगैरह सब कोका-कोला की तरह था लेकिन पारिवारिक विवादों के चलते 90 के दशक में ये ब्रांड मार्केट से गायब हो गया। कैंपा कोला के मुंबई (वर्ली) और दिल्ली में बड़े बॉटलिंग प्लांट थे। 1992 में कोका कोला और इससे पहले 1989 में पेप्सिको भारतीय बाजार में दस्तक दे चुकी थी। धीरे धीरे इन दोनों विदेशी कंपनियों ने कैंपा के बाजार को खा लिया। बाजार तो बड़ा बेरहम होता है... नतीजा ब्रांड खत्म हो गया लेकिन उसका नाम अभी भी जिंदा था और वह नए रूप-रंग में फिर से भारतीयों को लुभाने आ रहा है। अब एक बार फिर से कैंपा कोला ब्रांड पुनर्जीवित हो गया है। अंग्रेजी अख़बार बिज़नेस स्टैण्डर्ड की खबर के मुताबिक आईपीएल में कैंपा कोला का जबरदस्त प्रचार करने की तैयारी है। अब हमें देखना है कि मुकेश अंबानी की छत्रछाया में यह ब्रांड कितना आगे जाएगा...। Dr. Shyam Preeti

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