भारत का नंबर #1EK आम नागरिक कौन...
प्रश्न है... भारत का प्रथम नागरिक कौन...? जवाब आसान है... राष्ट्रपति लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का दूसरा, तीसरा और चौथा नागरिक कौन है... साहेबान... बगले झांकने से कुछ नहीं होगा... ज्ञान जहां से मिले बटोर लेना चाहिए....। भारतीय गृह मंत्रालय के अनुसार, दूसरे नंबर पर देश का उप राष्ट्रपति होता है और प्रधानमंत्री का नंबर तीसरा है।
चौथा नागरिक राज्यपाल माने जाते हैं। इसीलिए प्रदेश का प्रथम नागरिक राज्यपाल को कहा जाता है।
अब बारी है पांचवें नागरिक की.... ये होते हैं देश के पूर्व राष्ट्रपति.... छठा नागरिक मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष कहलाते हैं। सातवें नंबर हैं भारत रत्न सम्मान से सम्मानित विजेता और आठवें नंबर पर आते हैं भारत में मान्यता प्राप्त राजदूत, मुख्यमंत्री। नौवें नंबर पर सुप्रीम कोर्ट के जज, यूपीएससी के चेयरपर्सन, मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक हैं। दसवें नंबर पर आते हैं- राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन, उप मुख्यमंत्री, लोकसभा के उपाध्यक्ष, योजना आयोग के सदस्य (वर्तमान में नीति आयोग) और राज्यों के मंत्री (सुरक्षा से जुड़े मंत्रालयों के अधीन मंत्री।
यह सूची 26 नंबर तक जाती है...! अब हम बात करते हैं पहले आम भारतीय की... इसका जवाब देना बहुत मुश्किल है.... लेकिन पहचानपत्र को यदि मानक बनाया जाए तो इस प्रश्न का जवाब दिया जा सकता है। आप यही कहेंगे कि बात में दम है। तो पहले मतदाता के तौर पर श्याम सरन नेगी को यह सम्मान हासिल है। पिछले वर्ष 2022 में पांच नवंबर को उनका देहांत हो गया था। उन्होंने 1951 में डाला था अपना पहला वोट डाला था। यह आजाद भारत का पहला वोट कहा जाता है।
दरअसल, देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के चलते पांच महीने पहले सितंबर 1951 में ही चुनाव हो गए थे। तब श्याम सरन नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे और चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। उनकी ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी, जबकि वोट कल्पा में था। ऐसे में उन्होंने सुबह वोट देकर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी। इसके बाद वह तड़के मतदान स्थल पर पहुंच गए। करीब सवा छह बजे मतदान ड्यूटी पार्टी पहुंची। नेगी ने जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया। मतदान पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी। मतदान करते ही इतिहास बन गया और मास्टर श्याम सरन नेगी आजाद भारत के पहले मतदाता बन गए थे। अंतिम बार उन्होंने 2022 में विधानसभा चुनाव के बीच तबीयत खराब होने के चलते 2 नवंबर बैलेट पेपर से घर से ही अपने जीवन में 34वीं बार वोट डाला था। उस दौरान भी उन्होंने प्रदेश के हर मतदाता से अपने मत का प्रयोग अवश्य करने की अपील की थी।
अब बात करते हैं पहले आधार कार्ड की... जनवरी 2009 में भारत सरकार द्वारा गठित भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मातहत यह कार्य किया जाता है। जनवरी 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के गठन बाद सितंबर 2010 से आधार कार्ड बनाने और वितरण का कार्य प्रारंभ किया गया। सबसे पहले यह उपलब्धि महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के तंभाली गांव की निवासी रंजना सोनावने के नाम दर्ज हुई। वह #1EK दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें भारत का पहला आधार कार्ड 29 सितंबर 2010 को जारी किया गया। तंभाली पुणे से लगभग 470 किलो मीटर दूर है।
गौरतलब है कि जब आधार कार्ड योजना शुरू हुई थी तब भारत में यूपीए सरकार थी। तंभाली का चुनाव भी इस वजह से किया गया क्योंकि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वर्ष 1998 में नंदुरबार से रैली के बाद ही राजनीति में पदार्पण किया था। उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में जब रंजना को पहला आधार कार्ड सौंपा तो यह गांव जबरदस्त चर्चा में आ गया था। रंजना ने भी सोचा, उसकी जीवन बदल जाएगा... लेकिन उसे पहचान तो मिली लेकिन सिर्फ पहचान...! उसने सोचा था कि आधार कार्ड से नौकरी मिलेगी पर बाद में वह समझ गई कि यह महज #1EK पहचान पत्र है। एक साक्षात्कार में उसने बताया था कि न उनकी स्थिति में और न उसके गांव की स्थिति में कोई सुधार आया है। तीन बच्चों की मां रंजना को आधार कार्ड मिलने के करीब सात साल बाद गैस कनेक्शन मिला। इत्तफाक की बात यह भी है कि उनके आधार कार्ड में सात का अंक तीन बार आता है।
अब ड्राइविंग लाइसेंस की बात... इस बारे में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी लेकिन भारत के पहले बौने शख्स शिवलाल हैं, जिन्हें ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया है। उनकी लंबाई महज तीन फीट है। तेलंगाना के हैदराबाद के निवासी गट्टीपल्ली शिवलाल ने तमाम विषमताओं के बावजूद यह सफलता हासिल की। उन्होंने बताया कि जब #1EK वीडियो में उन्होंने देखा कि #1EK बौना अमेरिकी कार ड्राइव कर रहा है तब उन्होंने ऐसा करने की ठान ली और सफलता हासिल की।
Dr. Shyam Preeti
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