मैं हूं मोदी... पूर्णेश मोदी... सरनेम है मोदी... गलत टिप्पणी सहन नहीं करूंगा...

#1EK नाम मोदी... पर गलत टिप्पणी कर कांग्रेस के स्टार... राहुल गांधी फंस गए हैं। उनके सितारे गर्दिश में आ गए हैं... काहे... मानहानि के #1EK मामले में सूरत कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाने के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। राहुल के खिलाफ मानहानि का यह केस गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की शिकायत पर दर्ज किया गया था। उनकी इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 मार्च को कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। फिलहाल इस आदेश पर रोक है। दरअसल, राहुल गांधी को इस फैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई है। इस सजा की वजह से राहुल की संसद सदस्यता चली गई है। राहुल को इतनी बड़ी सजा... की इस खबर से #1EK बार फिर से चर्चा में आ गए हैं पूर्णेश मोदी। वह सूरत जिले की सूरत पश्चिम सीट विधायक हैं।
इंटरनेट पर जो जानकारी मिली, उसके मुताबिक, पूर्णेश मोदी का जन्म 22 अक्टूबर 1965 को सूरत में हुआ था। पिता का नाम ईश्वरलाल मोदी है। वह प्रोफेशनल ग्रेजुएट हैं और बीकॉम के बाद 1992 में उन्होंने सूरत की सर चौवाशी लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की। उनका पेशा वकालत का है। मौजूदा समय में वह सूरत पश्चिम विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं। उन्होंने साल 2013 में इस सीट पर तत्कालीन विधायक की मौत के बाद उपचुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद साल 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार के रूप में उन्होंने जीत हासिल की। इससे पहले उन्होंने सूरत नगर निगम से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी और साल 2000 से 2005 तक वह निगम में भाजपा के नेता के रूप में पहचान बनाई। इसके बाद उन्हें दो बार साल 2009 और 2013 में सूरत नगर भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वह गुजरात सरकार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण समिति के सदस्य के रूप में 2016 से 2017 तक संसदीय सचिव के दायित्वों का निर्वहन भी कर चुके हैं। वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में सूरत पश्चिम विधानसभा सीट से पूर्णेश ने कांग्रेस उम्मीदवार इकबाल दाऊद पटेल को करीब 77 हजार वोटों से हारकर जीत हासिल की थी। 2022 गुजरात चुनाव में उन्होंने इस सीट पर 75 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाकर रिकॉर्ड जीत हासिल की है। कांग्रेस प्रत्याशी संजय आर. शाह को 1,04,312 वोटों के विशाल अंतर से हराया था। जहां तक उनकी छवि की बात करें तो उन पर कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। पूर्णेश चर्चा में तब ज्यादा आए जब उन्होंने 2019 में कांग्रेस के राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। दरअसल, लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था "नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी... ऐसा कैसे हैं कि इन सभी का सरनेम मोदी है? सभी चोरों को सरनेम मोदी क्यों होता है?" कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है टिप्पणी से नाराज पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ 13 अप्रैल 2019 को यह केस दर्ज करायाा। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। तब राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था। भाजपा विधायक पूर्णेश ने मानहानि के मुकदमे में कहा था, "राहुल ने अपनी टिप्पणी के जरिये पूरे मोदी समाज को चोर कहा था और इससे उनके समाज से जुड़े सभी लोगों की भावनाएं को ठेस पहुंची है। राहुल ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है।" उन्होंने कोर्ट से राहुल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। कोर्ट ने राहुल को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दोषी पाया है। धारा 499 में मानहानि के प्रावधानों का जिक्र है, वहीं धारा 500 में मानहानि के लिए सजा का प्रावधान है। मानहानि का दोषी साबित होने पर धारा 500 के तहत अधिकतम दो साल की सजा, जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है। राहुल को इसी धारा के तहत दो साल की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वहीं राहुल गांधी ने कोर्ट में सफाई देते हुए कहा था- मैंने किसी समुदाय को बदनाम करने के लिए कोई बयान नहीं दिया था. किसी को हानि पहुंचाने का मेरा कोई भी इरादा नहीं था. मेरा उद्देश्य सिर्फ भ्रष्टाचार को उजागर करना था। सजा मिलने के बाद राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा- सत्य मेरा भगवान है। उन्होंने #1EK ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक कोट को शेयर किया है। ट्वीट कर कहा है- मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन। उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने टिप्पणी की हैृ डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि राहुल सच बोलते हुए जिए हैं, सच बोलते रहेंगे और देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे. सच्चाई की ताकत और करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है। इसके विपरीत फैसले पर पूर्णेश मोदी ने कहा कि किसी भी नेता को किसी भी समाज के लिए बयान नहीं देना चाहिए। राहुल गांधी ने दो-पांच लोगों को निशाना बनाने के बजाय हमारे पूरे समाज को निशाना बनाया। इसलिए हमने मामला दर्ज कराया था। उन्होंने कहा, कि हम अलग-अलग राजनीतिक दलों में जरूर हैं, लेकिन यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। सामाजिक प्रश्न होने के कारण मामला दर्ज कराया गया था। इसमें कोई राजनीतिक लाभ नहीं है।' #1EK सवाल.. यदि हम आसमान में थूके तो क्या होगा... इसका जवाब है... वह हमारे ही मुंह पर गिरेगा...! गौरतलब है कि राहुल गांधी पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिनकी सदस्यता चली गई। इसके पूर्व भी कई ऐसे सांसद और विधायकों की सदस्यता जा चुकी है, जिन्हें कोर्ट ने दो साल या इससे अधिक की सजा सुनाई है। यहां पर उल्लेखनीय है कि 2013 में लिली थॉमस बनाम इंडिया मामले की सुनवाई के दौरान जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन (8) और सब सेक्शन (4) को चैलेंज किया गया था कि ये असंवैधानिक है। इसके तहत जो है सिटिंग एमपी और एमएलए को तीन महीने का समय दिया जाता था कि वो अपील कर सकते थे और इतने दिनों तक उनकी सदस्यता बरकरार रहती थी, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि अगर दो साल की सजा होती है तो आपकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी जाएगी। इस नियम के अनुसार ही राहुल गांधी की सदस्यता चली गई है। उनसे पहले इस नियम के तहत समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से विधायक रहे आजम खान की सदस्यता भी चली गई थी। उन्हें कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। इसी नियम के तहत उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी फंस और उनकी भी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई थी। मुरादाबाद की एक विशेष अदालत ने 15 साल पुराने मामले में सपा महासचिव आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई थी। अब्दुल्ला आजम रामपुर की स्वार सीट से विधायक बने थे। यह तो सिर्फ बानगी हैं। इसी क्रम में लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई और उनकी सदस्यता चली गई थी। मुजफ्फरनगर की खतौली से विधायक रहे विक्रम सैनी दंगे में शामिल होने के दोषी पाए गए। नतीजा... उन्हें सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था। झारखंड की रामगढ़ विधानसभा सीट से विधायक ममता देवी को भी यही दंश झेलना पड़ा। उन्हें हजारीबाग जिले की एक विशेष अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। इस सूची में भाजपा से अयोध्या की गोसाइगंज सीट से विधायक रहे इंद्र प्रताप सिंह उर्फ खब्बू तिवारी का नाम भी है। वे फर्जी मार्कशीट केस में दोषी पाए गए थे और 18 अक्टूबर 2021 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी। भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव रेप कांड में दोषी ठहराए गए। उन्हें कोर्ट ने आजीवन करावास की सजा सुनाई गई थी। इसी प्रकार भाजपा से हमीरपुर में विधायक रहे अशोक सिंह चंदेल हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद उनकी भी विधानसभा सदस्यता चली गई थी। एक और नाम आरजेडी विधायक अनिल कुमार साहनी का भी है। उन्हें सीबीआई अदालत ने धोखाधड़ी के एक मामले में दोषी ठहराया था। उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके चलते बिहार विधानसभा से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसी प्रकार बिहार के मोकामा विधायक अनंत कुमार सिंह की भी सदस्यता जा चुकी है। उनके आवास से हथियार और विस्फोटक की बरामदगी हुई थी। इस मामले में पटना की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था और इसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी। Dr. Shyam Preeti

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