आखिरी गांव माणा अब है ... गांव नंबर #1EK
परेड में “पीछे मुड़” कहते ही #1EK नंबर वाला व्यक्ति आखिरी और आखिरी वाला पहले नंबर पर आ जाता है...! #ZEE1EKItifaq है... यही सच है... विश्वास नहीं हो रहा तो अबकी #1EK उदाहरण करीब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित माणा गांव का। चीन की सीमा से लगे उत्तराखंड की सीमा पर बदरीनाथ से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव अभीतक भारत का आखिरी गांव कहा जाता था। इस संबंध में यहां पर बाकायदा बोर्ड तक लगाया गया गया था लेकिन हाल ही में सीमा सड़क संगठन (BRO) की ओर से इस गांव को भारत का पहला गांव घोषित कर दिया गया है। साथ ही इसके लिए #1EK नया बोर्ड भी लगाया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह भारत का एकमात्र ऐसा गांव है, जो धरती पर मौजूद चारों धामों में भी सबसे पवित्र माना जाता है। इसे शापमुक्त और पापमुक्त भी माना जाता है। कहा जाता है कि इस गांव का नाम मणिभद्र देव के नाम पर ‘माणा’ पड़ा था। हरिद्वार और ऋषिकेश से इस गांव तक एनएच 58 के जरिए पहुंचा जा सकता है जबकि यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार में है, जो यहां से करीब 275 किमी है। यह भी किंवदंती है कि यदि आप गरीबी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं तो यहां पर #1EK बार अवश्य पधारे...! ऐसी मान्यता है कि इस गांव को भगवान शिव का आशीर्वाद मिला है कि जो भी यहां आएगा, उसकी दरिद्रता दूर हो जाएगी।
जो भी पहले बद्रीनाथ आता है... उसकी तमन्ना माणा गांव जाने की रहती है... हमारी किस्मत में बद्रीनाथ तक तो पहुंचना था लेकिन हम माणा गांव नहीं जा सके। लेकिन उसके बारे में कई रोचक जानकारियां हासिल की...! माणा गांव का पौराणिक नाम मणिभद्र है। सैलानी यहां पर अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम देखने भी आते हैं। इसके अतिरिक्त गणेश गुफा, व्यास गुफा और भीमपुल भी यहां टूरिस्ट के बीच आकर्षण का केंद्र है। सरस्वती नदी पर यहां 'भीम पुल' है। कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे, तब उन्होंने सरस्वती नदी से आगे जाने के लिए रास्ता मांगा था लेकिन जब उन्होंने मना कर दिया तो भीम ने दो बड़ी शिलाएं उठाकर इसके ऊपर रख दीं। इससे पुल का निर्माण हुआ। कहते हैं कि इस पुल से होते हुए पांडव स्वर्ग चले गए। आज भी पुल मौजूद है।
#1EK और किंवदंती के अनुसार, भगवान गणेश जब वेद लिख रहे थे तो सरस्वती नदी की तेज कलकल ध्वनि पर गणेशजी ने उनसे शोर कम करने को कहा था लेकिन उनके नहीं रुकने पर उन्होंने रुष्ट होकर उन्हें श्राप दे दिया कि आज के बाद इसके बाद आगे किसी को नहीं दिखोगी। इसी प्रकार यहां पर बनी व्यास गुफा के संबंध में बताया जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने यहां वेद, पुराण और महाभारत की रचना की थी और भगवान गणेश उनके लेखक बने थे। यह भी मान्यता है कि व्यास जी इसी गुफा में रहते थे। वर्तमान में इस गुफा में व्यास जी का मंदिर बना हुआ है। कहते हैं कि कई और भी आश्चर्यजनक तथ्य हैं... जो यहां पर आने के बाद महसूस किए जा सकते हैं। यदि आपके समय हो तो मई से अक्टूबर के बीच यहां पहुंचने के लिए सबसे बेहतर समय है... माणा गांव आपका इंतजार कर रहा है...! अब यह आखिरी नहीं पहला गांव है भारत देश का... और #1EK नंबर से हम भारतीय को कुछ ज्यादा ही प्रेम है.... यह तो आप भी मानते होंगे... हर कोई नंबर-#1EK बनने के लिए दिन-रात जुटा हुआ है।
मेरा भी विजन है कि भारत एकजुट हो और हम #1EKBharat हैं हम का उद्घोष करें।
Dr. Shyam Preeti
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