शिवलिंग की तरह दिखता है काबा का काला पत्थर...!

दुनिया में सबसे प्रचलित तथ्य है.... ईश्वर #1EK है लेकिन इसके बावजूद वैचारिक भिन्नता की वजह से लोग #1EK-दूसरे के दुश्मन नजर आते हैं। सनातन धर्म में जहां कई तरह की पूजा पद्धतियां है वहीं अन्य मजहबों में #1EK दिशा में चलने वाले लोग हैं। कुछ जगहों पर उनमें मतभिन्नता भले हो लेकिन उनके नियम-कायदों का पालन ही उन्हें कट्टर बनाता है। जैसे शिवलिंग की तरह काबा का काला पत्थर भी दिखता है लेकिन विरोध... कायम है...! दूसरी महत्वपूर्ण बात, खुद को धार्मिक रूप से श्रेष्ठ समझने की जिद ने सामाजिक ताने-बाने को काफी नुकसान पहुंचाया है। जैसे कई लोग कहते हैं- अहम् ब्रह्मास्मि यानि मै ब्रह्मस्वरूप हूँ।
स्पष्ट है कि शब्दों को ब्रह्म कहा गया है और ब्रह्म तो #1EK है और हमारे पास जीवन भी #1EK है लेकिन हम #1EK की थ्योरी को समझना नहीं चाहते। सनातन धर्म में स्पष्ट कहा गया है कि एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति और मुस्लिमों का मानना है कि इस्लाम के अनुसार अल्लाह ही #1EK मात्र ईश्वर है। इस प्रकार भाषा भले जुदा हो लेकिन अर्थ #1EK ही निकलता दिखता है लेकिन शब्दों के खेल निराले हैं। हर कोई अपने अनुसार, मतलब गढ़ना चाहता है। जैसे- कुछ लोगों का मानना है कि सनातनी पूजा और प्रार्थना दोनों करते हैं लेकिन मुस्लिम और ईसाई आदि केवल प्रार्थना करते हैं, पूजा नहीं। पूजा आडंबर है क्योंकि उसमें ईश्वर के साकार रूप की कल्पना समाहित है और प्रार्थना में निराकार सत्ता को याद किया जाता है। पूजा में फूल-पत्ती, मिष्ठान, पानी आदि चढ़ाना जैसी गतिविधियां शामिल हैं जबकि प्रार्थना मंे ऐसा नहीं है। हाथ का उपयोग... कर सभी अपने-अपने तरीकों से ईश्वर की उपासना करते हैं। मंदिर की मूर्तियों में फूल चढ़ाना और दरगाहों में चादर चढ़ाना समान ही कहा जा सकता है... ये पूजा पद्धतियां हैं।
इसी प्रकार काबा में मुस्लिमों का काले पत्थर को चूमना... उसकी ओर मुंह करके नमाज पढ़ना... भी पूजा पद्धति का अंग नहीं कहा जा सकता? हदीस में पैग़म्बर मुहम्मद साहब ने कई नामों से अल्लाह को बुलाया है। हदीस के अनुसार, इस्लाम में ईश्वर (अल्लाह) के कम से कम 99 नाम हैं, जिन्हें' अस्माउ अल्लाहि अल-हुसना बोले तो ‘अल्लाह के सुंदर नाम’ के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार सनातन धर्म में शिव को सत्यम, शिवम, सुंदरम कहा गया है। हिंदू धर्म में शिवलिंग के पूजन का विधान है। शिव सबसे सरल हैं और सुंदर भी...। इसीलिए वेदों में शिव को सर्वोच्च सत्ता कहकर पुकारा गया है। शिव महापुराण समेत अनेक ग्रंथों में शिवपूजा से जुड़े विधान बताए गए हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों को पूजने के अलग-अलग महत्व कहे गए हैं। इनमें जो सबसे प्रभावी बताया गया है, वह काले पत्थर का शिवलिंग है। दूसरी ओर जब मुसि्लम काबा पहुंचते हैं तो वे भी #1EK काले रंग के पत्थर को चूमते नजर आते हैं। यह काबा की बाहरी दीवार के पूर्वी कोने में लगा हुआ है। हज के दौरान हाजी काबा की सात बार परिक्रमा करते हैं और हर चक्कर के बाद वे रुककर काबा की बाहरी दीवार के कोने में लगे इस पत्थर को चूमते हैं। चारों ओर चांदी के फ्रेम में जड़ा हुआ ये काला पत्थर, जिसे अरबी में अल-हजरु अल-अस्वद कहते हैं, इतिहासकारों और अन्य धर्मों के लोगों के लिए हमेशा से कौतुहल का विषय रहा है। बताया जाता है कि यह पत्थर मूलतः सफेद रंग का था, लेकिन इसे स्पर्श करने वाले लोगों के पापों का भार उठाने की वजह से इसका रंग काला हो गया...! इसी प्रकार किवदंतियां कई हैं और तर्क भी। कोई इसे 'धूमकेतु' का टुकड़ा बताता है, तो कोई चांद से टूट कर गिरा टुकडा। ये सब अनुमान सिर्फ इसीलिए लगाए जाते हैं क्योंकि इसके बारे में सटीक जानकारी किसी को उपलब्ध नहीं है लेकिन यह आज भी मुस्लिमों की निगाह में पूजनीय है। अब सवाल उठता है कि इसे क्या मूर्ति पूजा कहा जा सकता है? इस सवाल का जवाब आप सोचें लेकिन इसी प्रकार कई स्थानों पर शिवलिंग भी चांदी के अरघे से घिरा दिखते हैं। दोनों पत्थर काले हैं और कमोवेश इनकी इन्हें पवित्र मानकर आराधना भी की जाती है लेकिन इसके बावजूद हममें एका नहीं दिखता...! जैसे तमाम हिंदुओं का मानना है कि काबा में जो वो बड़ा सा काला बक्सा है, उसके अंदर एक चमत्कारी शिवलिंग बंद है। हालांकि यह दावा आज तक सत्य साबित नहीं हुआ है लेकिन गाहे-बगाहे ऐसी चर्चाएं उठती रही हैं लेकिन गुस्ताखी माफ... एक बात सत्य है कि एक पीढ़ी का पाखंड समय के साथ परंपरा बन जाता है।
सनातन धर्म में भी इसी वजह से कई नई परंपरा बनाती गईं। वैसे सबसे शिव जी को सबसे सरल हैं और सुंदर माना गया है..। इसीलिए वेदों में शिव को सर्वोच्च सत्ता कहकर पुकारा गया है। शिव महापुराण समेत अनेक ग्रंथों में शिवपूजा से जुड़े विधान बताए गए हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों को पूजने के अलग-अलग महत्व कहे गए हैं। इनमें जो सबसे प्रभावी बताया गया है, वह काले पत्थर का शिवलिंग है।
गौरतलब है कि शुभ कार्यों में जहां काले रंग से परहेज किया जाता है वहीं इस धरा में इसी रंग के ज्यादातर शिवलिंग मिलते हैं। यह सिद्ध है कि काला रंग सभी रंगों को अपने भीतर अवशोषित कर लेता है। इसीलिए माना जाता है कि शिवलिंग में अपने आसपास की समस्त नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता होती है। शिवलिंग पर जल भी इसीलिए चढ़ाया जाता है ताकि उसने जो नकारात्मक ऊर्जा अवशोषित कर ली है, वह दूर हो सके। इसीलिए कहा जाता है कि यदि आप नियमित रूप से काले पत्थर से बने शिवलिंग के समीप जाएंगे तो आपके भीतर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा उसमें चली जाएगी और आप पॉजिटिव एनर्जी से भरपूर हो जाएंगे। आप ऊर्जावान बनते हैं और कहते हैं रोगों से भी आपकी रक्षा होती है। भाग्य की समृद्धि के द्वार भी खुलते हैं। सनातन धर्म भगवान को #1EK के साथ अनंत के रूप में भी मानता है। आपको जिस किसी #1EK की पूजा करनी है वह करो या अनेक की करो, आप स्वतंत्र हो। पूजा न करनी हो तो ना भी करो... लेकिन आप पर कोई बंदिश नहीं है। सनातन में यही स्वतंत्रता सर्वश्रेष्ठ कही जाती है। तभी सनातन में उद्घोष भी किया जाता है वसुधैव कुटुंबकम बोले तो सारा विश्व #1EK परिवार है। Dr. Shyam Preeti

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