पापा! #1EK प्रेरणा... दो कहानियां...

पापा... पिता जी... डैड... संबोधन कोई हो... प्रेम एक-सा ही मिलता है...! कई बार चेहरे पर रूखा भाव होता है तो कभी गुस्सा दिखता है पर प्रेम एक-सा ही मिलता है...! #11EK पिता के प्रेम की दो कहानियां पेश हैं.... बच्चों के किरदार में हैं बेटियां...
पिता का नाम ः प्रेम गुप्ता और बेटी का नाम साक्षी यह कहानी है #1EK हौसले की... जो पिता ने अपनी बेटी को दिया। फ्लैश बैक में जाते हैं... तारीख 28 अप्रैल 2022.... उन्होंने झारखंड बिजली वितरण निगम में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत और रांची के सर्वेश्वरी नगर निवासी सचिन गुप्ता के साथ अपनी बेटी साक्षी का विवाह बड़े धूमधाम से किया। कई कहानियां की तरह.... साक्षी का उत्पीड़न ससुराल में किया जाने लगा। पता चला कि सचिन ने दो शादियां की हुईं हैं... आरोप-प्रत्यारोप के बीच साक्षी की जिंदगी शोषण और प्रताड़ना से जहन्नुम बन गई। तब उसने पिता को सारी बात बताई। अमूनन मायके वाले बेटी को समझाते हैं कि ससुराल से उसकी अर्थी ही निकलेगी लेकिन यहां मायके वालों ने बेटी की जिंदगी को अहमियत दी... जब पिता ने अपने नाम के अनुरूप बेटी को अपने प्रेम का रूप दिखाया तो बेटी भी वापस मायके आने के लिए राजी हो गई। बेटी को शोषण से मुक्ति मिलने की खुशी को प्रदर्शित करने के लिए प्रेम गुप्ता ने अनोखा अंदाज अपनाया... और उसकी ससुराल से बाकायदा बैंड-बाजे और आतिशबाजी के साथ साक्षी ने तलाक के लिए कोर्ट में केस फाइल किया है। लड़के ने गुजारा भत्ता देने की बात कही है। जल्द ही तलाक पर कानूनी तौर पर मुहर लग जाने की उम्मीद है। सबसे उल्लेखनीय बात... बेटी को जैसे पिता ने बैंडबाजे के साथ ससुराल विदा किया था... उसे ही उसे वापस लेकर आए। जिसने भी यह दृश्य देखा, बस देखता ही रह गया। अब इस अनोखी विदाई की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। उन्होंने नवरात्र में समाज को #1EK संदेश देने की भी कोशिश की कि अपनी बेटी का ख्याल भी रखें।
पिता का नाम ः डॉ. प्रकाश खेतान और बेटी का मिताली हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे उनसे ज्यादा सफलता हासिल करे लेकिन कई बार बच्चे निराश हो जाते हैं। ऐसे में उनके सुपर हीरो... बोले तो पिता या माता #1EK नई भूमिका में आते हैं और अपने बच्चों को उलझन न सिर्फ बाहर निकालते हैं बल्कि उनके चेहरे पर मुस्कान वापस लाने के लिए नई इबारत लिख देते हैं। यह कहानी है प्रयागराज के डॉ. प्रकाश खेतान की। वह खुद #1EK न्यूरो सर्जन हैं और गिनीज रिकार्ड धारक भी हैं लेकिन उनके रिकॉर्ड से पहले पिता-पुत्री की प्रेरणादायी कहानी... कोविड काल में उनकी बेटी मिताली को मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी में परेशानी आने लगी। तब उन्होंने बेटी का प्रवेश कोटा के #1EK कोचिंग इंस्टीट्यूट में कराया पर बात नहीं बनी। वह घर लौट आई... इसके बाद डॉ. खेतान ने उसकी हताशा दूर करने के लिए वह उसके सहपाठी बन गए लेकिन सफलता का रास्ता इतना आसान नहीं था। अपने करीब 30 साल के कॅरिअर के बावजूद उन्होंने नीट (यूजी) में फिर से हिस्सा लिया और सफलता हासिल की... लेकिन उनके चेहरे पर खुशी बेटी की सफलता की ज्यादा थी। मिताली को नीट यूजी स्कोर के आधार पर देश के एक शीर्ष मेडिकल कालेज में प्रवेश मिल गया। उन्होंने जिस मंशा से यह सब किया था वह भी पूरी हुई। दरअसल, बेटी को उनसे ज्यादा अंक मिले थे। उन्हें जहां 89 प्रतिशत अंक मिले, वहीं मिताली ने 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल किए। गौरतलब है कि डॉ. प्रकाश 1992 में सीपीएमटी परीक्षा पास करके डॉक्टर बने थे और 30 साल बाद जब वह फिर से विद्यार्थी बने तो यह #1EK उनकी नई यात्रा थी, जिसमें उनकी सहपाठी बेटी बनी थी और उनका स्वपन उसने पूरा भी किया। अब डॉ. प्रकाश के रिकॉर्ड की बात तो उन्होंने वर्ष 2011 में मात्र आठ घंटे में रीवा निवासी #1EK बच्ची की मस्तिष्क का ऑपरेशन कर 296 सिस्ट निकाले थे, जो उसे घर के कुत्ते से हो गए थे। Dr. Shyam Preeti

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