विज्ञापन और विवाद ... चर्चा पाने का हथियार
नाम : रणबीर सिंह
काम : अभिनेता
दाम : यह तो आयकर वाले ही बता सकते हैं
तो आप कौन है... हम हैं खुराफातीलाल...
जब व्यास कुर्सी पर बैठते तो हमारे ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं और मुंह से प्रवचन रूपी ज्ञान की बात खुद-ब-खुद निकलने लगती हैं...! कुछ लोग इसे बकवास कहते हैं पर सोशल मीडिया के दौर में जब चलता है.... मन तो रुकेें.. और नहीं तो आगे बढ़ें....!
आज विज्ञापनों पर होने वाले विवादों पर बक-बक करने का मन आया तो... बकबकाने लगा...! यदि आपको सुनने में कोई दिक्कत हो तो कान की मशीन ऑनलाइन आर्डर कर मंगा सकते हैं...! लेकिन सरकार, आप तो इसे ऑनलाइन पढ़कर रहे हैं... तो....! देखा... यही है चमत्कार ऑनलाइन होने का... हाथ में हमारे फुंतुड़ू बोले तो मोबाइल है... और हम हैं उसके गुलाम...! इसे घिसने की जरूरत नहीं है... बस उंगली करने की है और आप... इसके चंगुल में फंस जाते हैं... जैसे अभी फंसे हुए हैं।
क्षमा चाहूंगा कि मैं विषय से भटक गया था... सही ट्रैक पर आता हूं और ज्ञान की बात सुनाता हूं। बात अकेले रणबीर सिंह की नहीं है... इस फेहरिस्त में ज्यादातर अभिनेताओं और अभिनेत्रियों आदि के नाम शामिल हैं। ये सभी मुस्कुरा कर फरमाते हैं- फलाना आइटम खरीदेंे... अपनी जेब ढीली करेें और.... हमारी रकम से... ये अपनी जेब और टाइट कर लेते हैं...!
साब...! यही सच है कि हमारी और आपकी जेब का पैसा इनकी जेब में कब चला जाता है, हमें पता तक नहीं चलता। यही मार्केटिंग का फंडा है....।
रणबीर सिंह तो तालाब की एक मछली है... जिसे फोटोशूट कराने के लिए कपड़े क्या उतारे, हमाम के सारे नंगों पर चर्चा शुरू हो गई। तीन महान हस्तियों ने पहले पान मसाले का विज्ञापन किया और जब आलोचना की बारी आई तो मियां... कहने लगे कि हमसे भूल हो गई... हमका माफी दइ दो...! लेकिन हम तो पैसा ले चुके हैं... सनम... जब तक वो खर्च नहीं हो जाएगा... तब तक विज्ञापन चलेगा, सो प्रचार जारी है और हम उल्लू बनकर पान मसाला चबा रहे हैं... कैंसर को बुला रहे हैं.... अब तो आ जा......!
रणबीर सिंह को बच्चा है...साब... सफलता मिली... सुंदर पत्नी मिली... धन-दौलत मिली... थोड़ी बदहजमी हो गई..... लगता है...! न्यूड फोटो पर उन्हें ट्रोल किया गया तो समाज का एक सच फिर सामने आया- कौन, किसे किस नजरिए से देखता है.... बोले तो चश्मे का रंग कैसा है। हम आलोचक हैं... तो आलोचना करेेंगे और जो सच्चे भक्त हैं... वो समर्थन।
कोई ट्वीट में लिख रहा है कि पब्लिक के सामने न्यूड होना 'आर्ट' और 'आजादी' है, तो हिजाब पहनना 'दबाव डालना' क्यों है? और कोई इस कृत्य पर छि...छि... कर रहा है। उनके साथी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। बोल रहे हैं... उनकी मर्जी.... ये करें या वो करें...! बस हमें उनकी इज्जत करनी है।
अब आप बताओ... साहेब खुद न्यूड हो रहे हैं... और दूसरे उनकी जबरदस्ती इज्जत करवा रहे हैं...!
गजब है....! एक जगह पर पढ़ा था कि रणबीर भइया कहते हैं कि मैं 1000 लोगों के सामने भी अपने कपड़े उतार सकता हूं... और उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस पर क्या कहा जाए... मेरे पास अल्फाज नहीं हैं...!
वैसे भी रणबीर भइया का अतरंगी फैंशन सेंस जगजाहिर है...! वह आए दिन अपने ड्रेसिंग स्टाइल के साथ कुछ ना कुछ नया प्रयोग करते हैं। लोग कहते हैं कि उन्हें इस हाल में देखने के बाद दीदी.. दीपिका क्या कहती होती होंगी? अब तक तो फिर भी ठीक है... जब जूनियर रणबीर या .. बेबी उनके घर पर आएगी... तब क्या होगा?
वैसे कंपनियों का क्या है... जब विज्ञापन चर्चा पाते हैं तो कमाई भी बढ़ती है...! यही तो उनका फंडा होता है.... चर्चा... चली तो तो निकल आएगा सारा खर्चा...!
हालांकि यह भी सच है कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 'भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम व विज्ञापनों के संबंध में आवश्यक सावधानी दिशा-निर्देश-2022' जारी कर दिए हैं। उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत की जाएगी। भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चर्स, एडवर्टाइजर्स और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। बाद के उल्लंघनों के लिए 50 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगा सकता है। अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर पर एक साल का बैन लगा सकती है। बाद में उल्लंघन के लिए इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। देखते हैं.. आगे क्या होता है... तब तक आप विज्ञापन देखिए... टिंग टांग...!
डॉ. श्याम प्रीति
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