ZEE1EK-Itifaq जीवन एक इत्तेफाक
हमारी आत्मा अमर और अक्षय है, ठीक इसी प्रकार आशा है। जब तक यह हमारे पास रहती है, लड़ते रहते हैं जीतने के लिए। अस्तित्व में जो कुछ भी मौजूद है, वह ऊर्जा ही है। जीवन प्रक्रिया अनंत से जुड़ी है। हमारे अंदर भी अनंत है, जो अक्षय है। इसलिए हमें खुद मरने का अहसास भी नहीं होता। हमारे अंदर कुछ ऐसा है, जो कभी खत्म नहीं होता। यही ‘जी’ है... इसे ‘जीरो’ भी कह सकते हैं... दाएं लगते ही यह व्यक्ति की ताकत को कई गुना बढ़ा देता है। दूसरी बात हर शुरुआत ‘1EK’ बोले तो 1एक से होती है। एक-एक मिलकर 1EK (1एक) हो जाते हैं, दो हो जाते है और ग्यारह भी... केवल फर्क नजरिये का है।
जीवनएक ZEE1EK
हम सभी के पास ‘जीवनएक’ ही है और इसे खूबसूरत बनाना है... यही सकारात्मक सोच विकसित करनी है। जैसे- हर व्यिक्त ‘सम्मान’ चाहता है और जब हम किसी व्यक्ति के नाम के साथ ‘जी’ लगाकर संबोधित करते हैं तो उसे सम्मान का बोध होता है और उसका चेहरे खिल जाता है। दूसरी बात, हर इंसान को ईश्वर ने एक अलग पहचान दी है और हम सब में कुछ न कुछ अंतर भी है। इसके बावजूद ऊपर वाले ने सबको एक दिन में बराबर समय देकर समान भी दर्शाया है। ईश्वर-एक है और खून का रंग भी... बोले तो 1EK और जब यह ZEE के साथ मिलता है तो बनता जीवनएक। जहां तक 1एक (1EK) की महत्ता समझनी है तो महाराज अग्रसेन जी की सोच को ‘एक रुपये और एक ईंट’ से भी समझ सकते हैं।
... और बात इत्तफाक की आप अपनी िजंदगी के पन्ने पलटे या किसी दूसरे अन्य की, कोई कहानी पढ़े या फिल्म-सीरियल देखे, हर जगह पर ‘इत्तफाक’ से रोमांच आता है। तभी लिखा- मीडिया का सबसे बड़ा विचार यही है।
जीवनएक इत्तफाक (ZEE1EKItifaq)
जैसे- कोई बड़ी घटना घटित होेते ही दूसरी गौण हो जाती है...। रामचरित मानस में भी तुलसीदास जी ने लिखा है- “सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहहु मुनिनाथ, हानि लाभ जीवन मरन जस अपजस विधि हाथ'।
अर्थात 1EK इत्तेफाक आपके जीवन को बदल सकता है और ऐसा कई बार आपके साथ भी हुआ जरूर हुअा होगा। यदि इसका जवाब ‘हां’ है तो कॉमेंट में अपने विचार जरूर लिखे।
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