यह पब्लिक है पब्लिक... किसी को हीरो या जीरो बना सकती है...!

हिंदी फिल्में धड़ाधड़ फ्लाप हो रही हैं और साउथ की फिल्मों की कमाई का ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है। यह पब्लिक है पब्लिक... किसी को हीरो या जीरो बना सकती है...! अब यह सबके समझ आने लगा है। कभी अभिनेता-अभिनेत्री कहा करते थे जिसे देखना हो, हमारी फिल्में देखे, न देखना हो तो घर बैठे...! अब पबि्लक के रवैये से उनका कॉन्फिडेंस हिल गया है। हैशटैग बॉयकॉट का वायरस जिस फिल्म को लग रहा है, वह टांय-टांय फिस्स बोल रही है। यही है एकता की ताकत, जिसे पब्लिक दिखा रही है...! जिसे भी पलकों पर पब्लिक ने बैठाया, वह सुपर स्टार, मेगा स्टार और जुबली स्टार कहलाया। ज्यादातर हर हीरो... वीर होता था... फिल्म के अंत में कहानी में ‘द इंड’ के साथ वह साबित करने में सफल रहता है कि वही ‘मीर’ है। लेकिन अब पबि्लक की कई अभिनेताओं पर भृकुटि टेढ़ी हो गई है। उनकी फिल्मों से लोगों को मोह खत्म हो गया है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन सच है कि पबि्लक जब किसी को फ्लाप करने पर आती है तो अच्छे-अच्छे पानी मांगने लगते हैं। उनकी खाली लुटिया भी डूब जाती है। अभिनेताओं के साथ नेताओं का भी यही हाल है। इस समय सभी पबि्लक की निगाह में अपनी इमेज चमकाने में जुटे हुए हैं लेकिन पब्लिक शांत है... वह देख रही है कि किसी कब पटकनी देनी है और चुनाव आने दीजिए साब... देगी जरूरी। हिसाब-किताब उसे बराबर करना आता है...! खूब बांटो रेवड़ी... उसे सही और गलत का फैसला करना आता है। पबि्लक बोले तो आम आदमी... जैसे सही समय आने पर जैसे आम बौराता है, वैसे ही आम आदमी भी समय आने पर ही बौराता है। बौराना बोले तो पागल हो जाना... दूसरे शब्दों में उन्मत्त होना...! लेकिन पब्लिक के जज्बातों के साथ खेलने वाले यह बात समझते नहीं है। पबि्लक जब झन्नाटेदार कंटाप मारती है तो आवाज नहीं आती लेकिन कान में शूं..शूं... गूंजने लगता है। यह अतिश्योक्ति नहीं... किसी मार खाए शख्स से पूछ लीजिए... वह बताने तक में मुंह छिपाए दिखेगा। सभी जानते और मानते हैं कि पब्लिक सरल होती है... सरलता उसे भाती है... उसे सीधी बात तो हजम हो जाती है लेकिन उसकी बुदि्ध कहीं सटक गई तो ‘आता माझी सटक ली...!’ कहकर वह अब टूट पड़ रही है। सोशल मीडिया के दौर में सूचनाएं तेजी से फैलती हैं...इसलिए पब्लिक अब अपनी एकता की ताकत दिखा रही है। किसी फिल्म को हिट तो किसी को फ्लाप करा रही है। साधो... सबको समझना पड़ेगा कि पब्लिक ही सबकी माई-बाप होती है। उसे हल्के में लेने की भूल न करिए। जब आम आदमी अकेला होता है तो वह कमजोर होता है लेकिन जब वह पबि्लक के साथ होता है तो वह हर हीरो... का बाप साबित हो सकता है। वैसे भी सामाजिक विचारक खुराफातीलाल फरमाते हैं- कि मन में उतरना और मन से उतरना... केवल आपके व्यवहार पर निर्भर करता है। इसी प्रकार जनता बोले तो जीरो... जिसके साथ जीरो... वही है हीरो...! ज्ञान का एक और तीर... गुस्सा आप दिखाएं तो कमजोरी है और सब मिलकर करंे तो आंदोलन...! और दमदार आंदोलन... किसी के खिलाफ किया जाए तो नतीजा... बताने की जरूरत नहीं है...! Dr. Shyam Preeti

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