गुस्ताफी माफ... आदि पुरुष बनाने वाले कनपुरिया भाषा में- दिमाग से पैदल...।

आदिपुुरुष... का अर्थ है परमेश्वर या नारायण... लेकिन इसी नाम पर बनी नवीनतम फिल्म ने विवाद के नए कारणों को जन्म दे दिया है। करीब 450 करोड़ रुपये बजट से बनी इस फिल्म का फर्स्ट लुक देखने के बाद भारतीय जनमानस में क्षोभ दिख रहा है और रामकथा के नायकों... और खलनायकों का अजब-गजब चित्रण सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर हम जा कहां रहे हैं? इतनी भारी-भरकम रकम खर्च करते समय... फिल्म के नीति नियंताओं ने तनिक भी विचार-विमर्श नहीं किया कि वे ‘री-क्रिएट’ के नाम पर क्या दिखाने जा रहे हैं...! मेरी निगाह में ऐसे कॉरपोरेट जगत... को कॉरपेट वर्ल्ड कहना उपयुक्त है। कनपुरिया भाषा में कहें- दिमाग से पैदल...।
गुस्ताफी माफ... लेकिन राम हमारे अराध्य है और रावण... रामकथा का खलनायक...! लेकिन यह भी सच है... उससे भी लोग प्रेम करते हैं...! काहे... प्रश्न जितना छोटा है... इसका उत्तर बहुत गूढ़ है। रामकथा का #1EK सिरा राम हैं तो दूसरा रावण... और दोनों का नाम ‘रा’ से शुरू होता है। इन दोनों में यह #1EK ही समानता नहीं... बल्कि कई हैं। जैसे- दोनों शिव भक्त हैं। प्रभु राम रामेश्वर में शिवलिंग की स्थापना करते हैं तो रावण के हाथों मजबूरी में ही सही बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना हो गई। इसी प्रकार दोनों की माता का नाम ‘क’ से शुरू होता है... राम की मां कौशल्या और रावण की मां का नाम कैकसी था।
राम पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। उनमें वीरता के साथ धीरता, गंभीरता और कोमलता प्रमुख गुण हैं। यही उनका रामत्व है जबकि रावण छह शास्त्रों और चारों वेदों के ज्ञाता होने के साथ शिव का सबसे पूजनीय भक्त भी था। उसकी विद्वता की वजह से उसे पूजा जाता है। दशहरे के दिन यह दृश्य रामलीला में लगे पुतलों के पास आसानी से देखा जा सकता है। इतना ही नहीं कानपुर के बड़ा चौराहे के पास स्थित शिवाला में कैलाश नारायण मंदिर है। यहां पर रावण का मंदिर भी है, जो दशहरे के दिन खुलता है और उसमें दशानन को पूजा भी जाता है। इसकी स्थापना 1868 में की गई थी। तब से हर बार साल में सिर्फ #1EK दिन दशहरे पर इस मंदिर के पट खोले जाते है। रावण ने ही शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी और आदिपुरुष फिल्म में रावण के चरित्र की धज्जियां उड़ा दी गईं...! फिल्म का विरोध करने वालों की निगाह में रावण... अलाउद्दीन खिलजी नजर आ रहा है। वैसे तो अलाउद्दीन खिलजी को मैंने देखा नहीं है परंतु इस फिल्म का रावण तो आज के बच्चों को भी पसंद नहीं आ रहा...। आपकी तरह पिछले दिनों कोरोना महामारी को हमने झेला... इस बीच कुछ बुरे अनुभव हुए तो कुछ अच्छे भी हुए। यही समय चक्र है... हमने दूरदर्शन पर पुरानी रामायण... वही रामानंद सागर वाली देखी देखी। बच्चों ने भी आनंद उठाया। राम की विनम्रता देखी... लक्ष्मण का क्रोध... भरत का प्रेम और हनुमान जी की भक्ति देखी। रावण का अहंकारी स्वरूप देखा तो उसका मर्यादित चरित्र भी। कहते हैं कि आकाशगमिनी विद्या और रूप परिवर्तन विद्या के अलावा करीब 55 विद्याएं रावण ने तपस्या कर प्राप्त की थीं...। यह सब किताबी ज्ञान की बात यदि मान ली भी जाए तो रामानंद सागर में रावण के किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी और राम का चरित्र निभाने वाले अरुण गोविल को याद किया जा सकता है। आज भी अरुण गोविल कहीं जाते हैं तो कोई न कोई व्यक्ति उन्हें भगवान राम का स्वरूप मानकर पूजने लग जाता है। हाल ही में एक ऐसा ही वीडियो वायरल भी हुआ है।
रामकथा के दूसरा सिरा... अर्थात रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी की गत वर्ष 6 अक्तूबर 2021 को मृत्यु हुई लेकिन उन्हें ताउम्र रावण बनने का मलाल रहा! बताते हैं कि सीरियल में अभिनय के दौरान भगवान राम को उल्टा सीधा बोलने का उन्हें इतनी ग्लानि रहती थी कि वे पूरे दिन उपवास रखते थे। दरअसल, अरविंद असल जिंदगी में राम और शिव भक्त थे। शूटिंग शुरू होने से पहले वे राम और शिव की पूजा आराधना करते और जब शूटिंग खत्म हो जाती तो कपड़े बदलकर रात को अपना उपवास खोलते थे। उन्होंने आखिरी इच्छा व्यक्त की थी कि जब उनका निधन हो उन्हें राम नाम का ही वस्त्र पहनाया जाए। इसीलिए उनके निधन के बाद उन्हें धोती और 'राम' नाम का पीला कुर्ता पहनाया गया था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रावण... का किरदार निभाना उन्हेें लिए कितना दुष्कर रहा होगा लेकिन आदिपुरुष में रावण बने सैफ अली खान अपने अभिनय के प्रारंभ में ऐसे दिख रहे हैं... राम..राम...। वह क्रोधित और काले रंग की पोशाक में हैं... उनके सिर पर मुकुट नहीं है। कहते हैं कि लंका सोने की थी लेकिन उनके फाइनेंसरों के पास इतना भारी-भरकम बजट होने के बावजूद उन्हेें मुकुट नहीं पहना सके। दादा सिंह बने हनुमान जी... कितने प्रिय दिखते हैं... उनका बोलना... दिल को सुकून देता है और इस फिल्म में हनुमान... राम जी... इसके निर्माता और निर्देशक को सद्बुद्धि दे। बाहुबली में प्रभास ने जो कमाल दिखाया था... वह सौम्यता और वीरता का मिश्रण था लेकिन इसमें लंका सोने की नहीं.. काले लोहे की लग रही है...!
आदिपुरुष को फ़िल्म तानाजी के निर्देशक ओम राउत ने निर्देशित किया है और वह फिल्म के विरोध से दुखी हैं लेकिन क्या वह इतना भी नहीं जानते कि हमने अपने राम जी और हनुमान जी को दिलों में किस रूप में बैठा रखा है। अयोध्या जाकर फिल्म के कलाकारों के साथ 'आदिपुरुष' का ग्रैंड इवेंट आयोजित कर टीजर लॉन्च किया लेकिन लोग मुंह ज्यादा सिकोड़ रहे हैं। फ़िल्म नए साल 2023 की 12 जनवरी को रिलीज़ होनी है... पर क्या होगा। मेरी निगाह मंे रामकथा को नए सिरे से कहना तो स्वीकार्य है लेकिन रीमेक के नाम पर किरदारों के साथ खिलवाड़... कहां तक स्वीकार्य किया जाए। महाभारत में भीष्म का कालजयी किरदार निभाने वाले मुकेश खन्ना भी इस फिल्म से व्यथित दिखे। वह सैफ अली खान से कहते हैं- मुझे लगता है आप कौन होते हैं रामायण के किरदार को चेंज करने वाले? आप अपने धर्म के कैरेक्टर को चेंज करके दिखा सकते हैं? इस बात में दम भी है। इसे अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर रामायण के चरित्रों का हनन करना कहां तक जायज है? यदि फिल्म निर्माताओं को लगता है कि वे सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी स्तर तक जा सकते हैं तो इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती...! Dr. Shyam Preeti

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