राम नाम सत्य है... का #1EK नया स्टार्टअप...!
दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला चल रहा है और यहां पर #1EK नया स्टार्टअप बहुत चर्चा में है। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें जमकर वायरल हो रही हैं। यहां पर राम नाम सत्य है... का प्रचार चल रहा है...! गुस्ताखी माफ! इस तथ्य से मेरा आशय महज अंतिम संस्कार के संबंध में चर्चा से है। दरअसल, इस स्टॉल पर वे सभी वस्तुएं उपलब्ध हैं, जो किसी इंसान की मौत के बाद काम आती हैं। चकित मत हों... आपने कभी ऐसी सामग्री स्टॉल पर बिकती नहीं देखी होगी। लेकिन साहब जीवनएकइत्तफाक है, जो जरा इंतजार कीजिए... हो सकता है कि कंपनी की #1EK शाखा आपके आसपास कहीं खुली नजर आ जाए।
इस अजीबोगरीब स्टॉल को लगाने वाली कंपनी का नाम है- सुखांत फ्यूनेरल एमजीएमटी प्रा. लि. और स्टॉल पर सजी-सर्जा अर्थी रखी दिखाई देती है। इसमें गुलाब के फूल की लेयर नजर आती है। कभी मैंने लिखा था- जीवन का अंतिम सत्य चार ड्राइवर एक सवारी... उसके पीछे रिश्तेदारी... तो जनाब ... यहां ड्राइवरों का इंतजाम कंपनी की ओर से किया गया है... इसके लिए पैकेज तय है। कंपनी के कारिंदों को #1EK सवारी का इंतजार है, जो अर्थी पर अंतिम संस्कार के लिए अंतिम यात्रा पर जाएगी...!
देखा जाए तो स्टार्टअप की दुनिया में यह अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है। अंतिम संस्कार के लिए तमाम समाजसेवी संस्थाएं काम कर रही हैं और ऐसे में इस क्षेत्र में प्रा.लि. कंपनी बनाकर प्रतिस्पर्धी बनकर मार्केट में आना... गजब का कॉन्फिडेंस है...। यह नजारा देखने वालों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं... हे भगवान, यही देखना बाकी था। संयुक्त से एकल और अब एकल परिवार में भी अकेले रहने वाले लोगों तथा ऐसे समाज के लिए नया स्टार्टअप। जहां आपके शव को कंधा देने के लिए चार लोग भी इकट्ठा नहीं आएं तो कंपनी से संपर्क करें...।
वैसे, जब कोई दुनिया छोड़ता है तो उसके रिश्तेदार या मिलने वाले उसकी अर्थी घर पर तैयार करते हैं और फिर अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाती है। यह परंपरा युगों से चल रही है लेकिन आधुनिकता के नाम पर यह क्षेत्र भी बाजारवाद की चपेट में आ चुका है। अर्थी भी अब कपड़े की तरह रेडीमेड हो गई है। लोगों का कहना है कि विदेश में यह तामझाम समझ आता है लेकिन भारत में... राम-राम क्या हो रहा है। वैसे अब अंतिम संस्कार से जुड़ी तमाम चीजें ऑनलाइन मिलने की खबरें आम हो चली है। गौरतलब है कि हिंदू रीति-रिवाज में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया लंबी होती है। शोकाकुल परिवारों के लिए होने वाली दिक्कतों को समझते हुए अंतिम क्रिया की किट ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाने लगी है। जब प्रोफेशनल जिंदगी सभी पर हावी होती जा रही है... समय का अभाव हो तो तेरहवीं के लिए कौन रुकता है। क्षमा कीजिएगा... महापात्र जी तीन दिन में सारा कामकाज निपटाने के लिए दक्षिणा स्वीकार कर शार्टकट फार्मूला बताने में संकोच नहीं करते हैं। ऐसे में ऑनलाइन बाजार मददगार बनकर उभरा है। लोगों को दाम खर्च कर जब दिमागी सुकून मिले तो कारोबार चलने ही लगता है। कई लोगों ने बातचीत में कहा कि अंतिम संस्कार की व्यवस्था में जब समय कम हो तो ऑनलाइन किट ऑर्डर कर दी। इस किट बॉक्स में मिट्टी के घड़े, अगरबत्ती, गोमूत्र, उपला, चावल, तिल और गुलाब जल जैसे सामान मिल जाते है। किट से काम आसान हो गया। ऐसी कई कंपनियां मैदान में आ रही हैं...। सबसे मजेदार तथ्य यह भी है कि ज्यादातर कंपनियां हिंदू पद्धति से अंतिम संस्कार को भुनाने के लिए जुटी हैं... अौर अब बारी अन्य मजहबों से जुड़े संस्कारों की भी है। इसकी भी तैयारी चल रही है। कहा जाता है कि दुनिया का अंतिम सत्य मौत है और जब यह शाश्वत है तो धंधा क्यों नहीं चलेगा...!
डॉ. श्याम प्रीति
Comments
Post a Comment