नाम में क्या रखा है.... नाम में ही सब कुछ रखा है... #1EK बात जान लें.....

#1EK बच्चों का गीत है.... हिंद देश के निवासी सभी जन #1EK हैं.... रूंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं...! आपने भी इसे पहले भी सुना होगा... और अब आज की बात... सोशल मीडिया में #1EK खबर जबरदस्त चर्चा में है कि यूएई ने अपने #1EK शहर का नाम ‘हिंद सिटी’ कर दिया है...! यह जानकारी मिलने के बाद बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई है...। यहां पर सबसे मजेदार तथ्य यह है कि यह नाम का चक्कर सच में काफी मजेदार है। शेक्सपियर लिखते हैं नाम में क्या रखा है और इस लाइन के नीचे अपना नाम लिखते हैं... #1EK दूसरा वाक्य है कि नाम में ही सब कुछ रखा है। इन दो वाक्यों के बीच ही हमारे जीवन का चक्कर चलता है। #1EK शब्द के इस्तेमाल के अर्थ अलग-अलग हो जाते हैं। जैसे- कल... #1EK बीता हुआ समय कहलाता है और दूसरा आने वाला...! कल का #1EK दूसरा अर्थ यंत्र भी होता है....! यही कलयुग का प्रभाव है कि हम अर्थों को अपने दिमाग के अनुसार समझते हैं और दूसरों को समझाने का प्रयास करने लगते हैं। इसी प्रकार आज के तमाम खुद को बुद्धिजीवी मानने वाले लोग शब्दों के मायने अपने छोटे से दिमाग के अनुसार निकाल लेते हैं और उस संकीर्ण नजरिये को दूसरों पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं। वह भी बिना किसी विचार के...! मेरा स्पष्ट मानना है कि भारत का वह व्यक्ति सर्वाधिक बुद्धिमान था, जिसने लिखा.. हिंदुस्तान भेड़िया धसान...। गुस्ताखी माफ... यदि मेरी इस बात से किसी के दिल को चोट पहुंची हो... लेकिन साब...! दिल तो शरीर के भीतर हड्डियों के बीच सुरक्षित रहता है लेकिन उस पर भी शब्दों की चोट लग जाती है और... वह भी शरीर के सबसे मुलायम अंग जीभ से... है ना कमाल की बात। लेकिन यह भी सच है। मुंह के 32 ताकतवर दांतों के बीच जो सुरक्षित रहती है लेकिन समय बीतने के साथ उसके ये साथी धीरे-धीरे साथ छोड़ देते हैं लेकिन उससे दिल दूर होने के बावजूद वह उसकी बात सुनता रहता है... वो भी बिना किसी प्रतिवाद के...!
ज्यादा भावुक होने की जरूरत नहीं है... दरअसल इस समय सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा दो विषयों पर चर्चा हो रही है। एक तो रामचरित मानस के तथ्यों पर टिप्पणी... और दूसरा यूएई के शहर के नामकरण की। राजनीतिज्ञ महारथी समझने वाले महानुभाव... उनके मुखिया आदि तमाम लोग रामचरित मानस के शब्दों पर टिप्पणी कर रहे हैं जबकि चौपाई का अर्थ का वह अपने नजरिये से निकाल रहे हैं... ठीक ऐसे ही यूएई शहर के नामकरण का मसला भी है। सोशल मीडिया पर एक विषय पर आलोचनाओं की बाढ़ है तो दूसरे मामले में तारीफ के पुल बांधे जा रहे हैं। गजब की बात यह कि दोनों मामलों में शब्दों की ताकत को नजरअंदाज किया जा रहा है...! पहले शहर हिंद सिटी के नाम पर चर्चा करता हूं। ऐसा पहली बार नहीं है कि यूएई में किसी जगह का नाम बदला गया हो। इससे पहले भी दुबई के क्षेत्र के नाम बदले जा चुके हैं। पहले दुनिया की सबसे ऊंची इमारत को बुर्ज दुबई के नाम से जाना जाता था लेकिन वर्ष 2010 में यूएई के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान ने इसका नाम बदलकर बुर्ज खलीफा कर दिया था। हिंदुस्तान में शहर, जगहों आदि के नाम बदले जाने की खूब चर्चा होती रही है। जैसे- बांबे का नाम मुंबई और मद्रास का नाम चेन्नई किया गया। ऐसे तमाम शहर हैं, जिनके नाम बाद में बदल गए या पहले बदले गए थे। इसी प्रकार मुगल गार्डेन का नाम अमृत उद्यान रखे जाने पर भी विवाद के छींटे जारी हैं...!
जहां तक यूएई के नए शहर हिंद सिटी का सवाल है तो 83.9 किलोमीटर के इस क्षेत्र का नाम पहले अल मिनहाद था लेकिन अब इस इलाके का नाम बदलकर हिंद सिटी कर दिया गया है। इसे चार जोन में बांटा गया है। इनमें जोन हिंद-1, हिंद-2, हिंद-3 और हिंद-4 में यूएई के नागरिकों के घर हैं. यह शहर बेहद अहम है, क्योंकि यह देश की कई प्रमुख सड़कों को आपस में जोड़ता है, जिनमें अमीरात रोड, दुबई-अल ऐन रोड और जेबेल अली-लेहबाब रोड शामिल हैं। अब मुद्दे की बात... शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की पहली बेगम का नाम शेखा हिंद बिन्त मकतूम बिन जुमा है। दोनों का निकाह वर्ष 1979 में हुआ था। बताया जा रहा है कि इन्हीं के नाम पर अल मिनहाद शहर का नया नामकरण हिंद सिटी किया गया है। अरबी में हिंद का अरबी मतलब होता है सुंदर, साहसी और खुशबूदार। इससे स्पष्ट है कि हिंद सिटी हिंदुओं या हिंदुत्व से जुड़ा होना निश्चित नहीं है लेकिन खुशफहमी यदि है तो भी बुराई क्या है?
हम जब खुश रहना चाहते हैं तो खुद को किसी न किसी वस्तु, व्यकि्त आदि से जोड़ते हैं... जैसे संबंधों की बात करें तो... दो या दो से ज्यादा लोगों के बीच अथवा किसी से प्रेम हो। यदि शब्दों से भी प्रेम किया जाए तो क्या बात है लेकिन हम नफरत की तलाश करते हुए जब किसी वस्तु या व्यकि्त से खुद को जोड़ते हैं तो... नतीजा विध्वंस होता है। यही कट्टरता है...! साफ कहूं तो किसी संप्रदाय या विचार को आंख मूंदकर मानना और उसके लिए अति उत्साह से काम करने को कट्टरता कहा जा सकता है। दूसरों शब्दों में कबीदास का #1EK दोहे का उदाहरण -अति का भला न बरसना अति की भली न धूप। इसका अर्थ है कि जीवन में किसी भी चीज की अति बहुत ही बुरी होती है चाहे वो किसी भी चीज के लिये हो। असल में जीवन के लिए हर चीज उतनी ही जरूरी है जितने से सब कार्य सुचारू रूप से चल सके वरना अति मनुष्य के विकास में बाधक हो जाती है। आज यही हो रहा है। हिंद शब्द का #1EK अर्थ '100 ऊंट का काफिला' भी होता है। कहते हैं कि अपनी बेटी के नाम में हिंद शब्द जोड़ने का मतलब अरबी लोग उसे 100 ऊंटों का काफिला तोहफे में मिलने की कामना के साथ करते थे। भारतीयों के लिए हिंद शब्द हिंदुस्तानी से आया है, जो फारसी शब्द है, लेकिन अरब जगत में हिंदुस्तानी के लिए 'हिंद' नहीं 'अल-हिंद' लिखा जाता है। ऐसे तमाम शब्द हैं, जो अलग-अलग भाषा में अर्थ बदल लेते हैं। जैसे पन्ना भारत में रत्न कहलाता है और इटैलियन और अंग्रेजी में होता है खाने वाली मीठी क्रीम। हिंदी में पानी को हम जल कहते हैं और यदि जल जाना को.... अर्थ बदल गया ना। इसी प्रकार किसान के पास हल होता है लेकिन समस्याएं उसके पास भी होती हैं.. यह व्यंग्य है...! दम... ताकत का पर्याय है और दम भूलना कहने से सांस फूल जाती है...!
शब्दों की ताकत को समझना आसान नहीं है जनाब लेकिन क्या करें... राजनीति करने वाले ये तुच्छ प्राणी, जिन्हें हम नेता कहते हैं... वे नासमझ हैं लेकिन खुद को बहुत ताकतवर समझते हैं। जबकि इन्हें पता नहीं होता कि जनता के पास एक उंगली होती है... जिसे करते ही उनकी कुर्सी टूट जाती है और वे उन्हें अपनी एकता की ताकत से कभी भी पैदल कर सकती है। जनता जनार्दन को आम लोग कहा जाता है और आम तो फलों का राजा होता है। आम भी बौराता है और जनता जब बौराती है तो... इस तथ्य का आम आदमी पार्टी के साथ कोई संबंध नहीं है। उसके पास झाड़ू है लेकिन सफाई करने का तरीका वह अभी सीख रही है। साथ ही गंदगी की गंध भी फैला रही है। फिलहाल शब्दों की ताकत को मैं दिल-दिमाग से प्रमाण करता हूं। मेरे पास तो #1EK है और उसी का प्रचार कर रहा हूं... आप भी मेरे साथ मिल सकते हैं तो हम हम #1EK ही रहेंगे। दूसरे भी मिल जाएंगे तो भी हम #1EK ही रहेंगे क्योंकि #1EK अनंत है... कैसे... जाने के लिए फॉलो जरूर करें। Dr. Shyam Preeti

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