क्रिप्टोकरेंसी....बिटक्वाइन का ‘#1EK डॉन’ .... बोले तो सतोशी नाकामोतो

सूचना क्रांति ने #1EK कृत्रिम बोले तो आभासी दुनिया बना दी है। यह ऐसा जहां है... जहां पर वास्तविक कुछ नहीं है लेकिन महसूस सब कुछ किया जा रहा है। फंतासी की दुनिया बोले तो कभी हम कल्पना में जीते थे लेकिन अब यह वास्तविक प्रतीत होती है...! नतीजा... सामाजिक और आपसी संबंध भी अस्थायी और बनावटी जैसे लगने लगे हैं। बस #1EK कि्लक... और आप इस दुनिया के सिकंदर बन जाते हैं... सब कुछ आसान लगता है पर हम काफी आगे निकल चुके हैं। इस रहस्यमय दुनिया में ‘संतोष’ नामक जीव नहीं मिलता और सबसे मजेदार इत्तफाक यह भी है कि इसी नाम से मिलता-जुलता #1EK कथित शख्स बिटक्वाइन नामक कृत्रिम मुद्रा का निर्माणकर्ता भी है...!
बिटक्वाइन... नाम सबको लुभाता जरूर है पर इसे समझने के लिए पहले क्रिप्टोकरेंसी को समझना होगा...! इसमें क्रिप्टो ग्रीक भाषा का #1EK शब्द है जिसका अर्थ है सीक्रेट अर्थात गुप्त और करेंसी बोले तो मुद्रा। अब आप समझ गए होंगे कि वह गुप्त मुद्रा जिसके बारे में किसी को पता न चले। ठीक समझे आप... बिटक्वाइन वहीं गुप्त मुद्रा यानी क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी है जो केवल #1EK तकनीक का कमाल है लेकिन भौतिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। बिटक्वाइन... जैसे कई अन्य नाम भी क्रिप्टोकरेंसी में उभरे हैं। जैसे- सोलाना, लकी ब्लॉक, शीबाइनु आदि।
दरअसल, आज के दौर में लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन के जन्मदाता का नाम सतोशी नाकामोतो नामक व्यक्ति को माना जाता है लेकिन हम सिर्फ #1EK नाम सतोशी नाकामोतो ही जानते हैं लेकिन ये कौन है... इस ‘डॉन’ को कोई नहीं जानता। दरअसल, बिटक्वाइन का निर्माण जापान में किया गया है लेकिन वहां की सरकार का इस मुद्रा पर कोई नियंत्रण या अधिकार नहीं है। इसलिए हम कह सकते हैं कि बिटकॉइन किसी भी देश की मुद्रा नहीं है यानी यह आभासी है लेकिन इसके बावजूद इसकी कीमत बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में 31 अक्टूबर को सातोशी नाकामोतो ने क्रिप्टोग्राफरों के #1EK ग्रुप को नौ पेज का #1EK पेपर भेजा था। इसमें बिटक्वाइन नाम के इलेक्ट्रॉनिक कैश के #1EK नए फॉर्म की रूपरेखा तैयार की गई थी। उस समय किसी को भी नाकामोतो की पहचान से कोई लेना-देना नहीं था। उस समय ग्रुप के ज्यादातर लोगों को बिटकॉइन के आइडिया पर ही संदेह था। #1EK रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोग कैश का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन डेवलप करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे सभी इसमें नाकाम रहे। साल 2009 और पहले महीने जनवरी की नौ तारीख को सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन नेटवर्क लॉन्च किया। फिन्नी उन कुछ लोगों में से एक थे, जो इसे लेकर उत्सुक थे और शुरुआती हफ्तों में दोनों ने नेटवर्क को चलाने के लिए दूर से काम किया। पहला बिटकॉइन ट्रांजैक्शन नाकामोतो से मिस्टर फिन्नी के पास ही गया था। इसके बाद लगभग दो वर्षों तक जैसे-जैसे बिटकॉइन धीरे-धीरे बढ़ता गया, नाकामोतो ने मैसेज बोर्ड्स पर लिखा और डेवलपर्स के साथ निजी तौर पर ईमेल के जरिए बातचीत की। दिसंबर 2010 में, नाकामोतो ने सार्वजनिक रूप से पोस्ट करना बंद कर दिया और 2011 में डेवलपर्स के साथ बातचीत भी बंद कर दी। नाकामोतो ने एक सॉफ्टवेयर डेवलपर गेविन एंड्रेसन को इस प्रोजेक्ट की कमान सौंप दी थी।
कुल मिलाकर सतोशी नाकामोतो नाम तो चर्चा में रहा लेकिन रहस्य की पर्तों के बीच...! बताते हैं कि उसने बातचीन के लिए दो ईमेल एड्रेस और एक वेबसाइट का इस्तेमाल किया। उन्हें रजिस्टर करने वाले की पहचान भी ब्लॉक कर दी गई थी। आज हर कोई अपनी जानकारी सार्वजनिक होने के डर से ग्रसित है लेकिन सतोशी नाकामोतो का #1EK नाम आज भी रहस्य बना हुआ है। #1EK अनुमान के मुताबिक, पहले वर्ष में लगभग 10 लाख बिटकॉइन माइन किए गए थे, जिन्हें कभी किसी को न तो ट्रांसफर किया गया और न ही मूव। आज इनकी कीमत अरबों डॉलर हो चुकी है और इसके मुताबिक सतोशी नाकामोतो की दौलत का हम सिर्फ अनुमान लगा सकते हैं लेकिन जीवनएकइत्तेफाक #ZEE1EKItifaq था, है और रहेगा... सतोशी नाकामोतो नामक शख्स इसका #1EK बेहतरीन उदाहरण है।
आज बिटक्वाइन के आविष्कारक सतोशी नाकामोतो को गायब हुए #1EK दशक से ज्यादा बीत चुका है लेकिन उसका रहस्य बरकरार है। उसकी पहचान पर कई अटकलें लगाई गईं। इनमें मिस्टर फिन्नी, जिनकी 2014 में मौत हो गई और मिस्टर एंड्रेसन दोनों को ही नाकामोतो माना गया पर उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया। कई अन्य नाम भी चर्चा में आए लेकिन सभी ने सतोशी नाकामोतो होने का खंडन कर दिया। उधर, लंदन में रहने वाले ऑस्ट्रेलियाई प्रोग्रामर क्रेग राइट ने 2016 में खुद के सतोशी नाकामोतो होने का दावा किया पर बिटकॉइन कम्यूनिटी में उनके दावों को जल्द ही खारिज कर दिया गया। कुल मिलाकर सतोशी नाकामोतो नामक किरदार आज भी आभासी दुनिया में मोस्ट वांटेड है...!
यह कमाल की तकनीक, जिस पर बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टो करेंसीज़ आधारित हैं, इसका नाम है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और सारा खेल इसी नाम का है। यह #1EK ऐसा डेटाबेस है जिसमें लाखों ब्लॉक्स यानी कंप्यूटर्स चेन यानी इंटरनेट नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और उन सबमें हर ट्रांजैक्शन का डेटा सेव है। दूसरे शब्दों में कोई शख्स, अथॉरिटी या सरकार उसे कंट्रोल नहीं कर सकती। इसे न कोई हैक कर सकता है या इसे बदला नहीं जा सकता। कुल मिलाकर बिटकॉइन आजाद है क्योंकि इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है। दरअसल, बिटकॉइन में लेन-देन कोड के जरिये होता है और इसकी कीज़ (कोड्स) दुनिया भर में फैले नेटवर्क में वेरीफाई के बाद कीमती बन जाती है। इसीलिए इसमें निवेश की सुरक्षा की गारंटी नहीं मानी जाती। Dr. Shyam Preeti

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