योगीराज में ‘आदमखोर शेर’ हो रहे ढेर

भगवान श्रीकृष्ण को योगीराज भी कहा जाता है। योगीराज बोले तो महान तपस्वी और तपस्वी वह है, जो समाज की बेहतरी के लिए ‘तप’ करता हो...! मेरा मानना है कि आज के दौर में यह तप करना आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए पहले खुद को तपाना पड़ता है। आज शायद इसी वजह से माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा... का बयान देने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जबरदस्त चर्चा में भी है।
उत्तर प्रदेश का आज जो माहौल है... उसमें आम आदमी से ज्यादा अपराधी में सरकार का भय दिख रहा है! आम लोगों की निगाह से देखा जाए तो यह डर अच्छा है क्योंकि अपने आतंक के बल पर ऐसे बदमाश और माफिया आम लोगों को अपना आसान शिकार समझते हैं। उन पर हेकड़ी गांठ कर अपना आतंक कायम करते हैं। नतीजतन वह खुद को बाहुबाली मानकर फिर उनकी तकदीर का फैसला तक करने लगते हैं। कुछ समय पहले तक ऐसा आम माना जाता था लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जबसे सत्ता संभाली है... आतंक फैलाने वालों में खुद दहशत है। आंकड़े भी बताते हैं कि पिछले छह सालों में 10 हजार से ज्यादा अपराधियों के एनकाउंटर हुए हैं। मार्च 2017 से उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ शुरू हुआ एनकाउंटर अभियान लगातार जारी है। ढेर होने वालों में नवीनतम नाम असद अहमद का है। असद, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘शेर’ होता है...वह चर्चित उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रहा था। उस पर पांच लाख रुपये का इनाम था। गौरतलब है कि प्रयागराज में 24 फरवरी को दिनदहाड़े उमेश पाल और उनके दो गनर की हत्या से असद का नाम चर्चा में आया था। उस पर यही एक केस दर्ज था। इसके विपरीत अतीक अहमद पर 101 केस दर्ज हैं। उसकी मां शाइस्ता परवीन पर चार, चाचा अशरफ के खिलाफ 52 और भाई बड़े अली पर छह मामले दर्ज हैं। असद के दूसरे बड़े भाई उमर के खिलाफ भी दो केस हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य... वह अतीक अहमद का बेटा था इसलिए उसे राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा था। इसके बावजूद उमेश पाल हत्याकांड के 48वें दिन वह एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में अपने साथी शूटर गुलाम के साथ झांसी के जंगल में मारा गया। इस एनकाउंटर के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून-व्यवस्था को लेकर बैठक की और एसटीएफ, डीजीपी, स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर और पूरी टीम की तारीफ की। दूसरी ओर एनकाउंटर के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, ओबैसी आदि नेताओं ने सरकार पर जमकर प्रहार किए लेकिन यह तो राजनीति है...! ऐसा तो होना ही था और होता रहेगा लेकिन आम जनता की निगाह से देखें तो.. दुनिया गोल है... आपकी अच्छाई लौटकर आती है तो आपके और आपके घर वालों के कर्म भी दोनों को ही भोगने पड़ते हैं। बेटे की मौत की खबर जैसे ही अतीक अहमद को मिली तो पिता का दिल रो दिया। मानवता के लिहाज से देखा जाए तो यह दुखद है लेकिन यदि कर्मफल के आधार पर इस घटना का विश्लेषण किया जाए तो यह इंसाफ है...! उमेश पाल हत्याकांड में जो वीडियो सामने आया था, उसमें असद गोली चलाता दिखा था। स्कूल से ही उसने गुंडागर्दी शुरू कर दी थी। अध्यापकों को उसने पीटा। उसके पीछे लड़कों का हुजूम चलता था। यदि उसकी हरकतों पर घर वालों ने लगाम लगाई होती तो शायद उन्हें आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। Dr. Shyam Preeti

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