निन्यानवे के फेर में मत पड़ो....

कहा जाता है कि सबसे खराब है निन्यानवे के फेर में पड़ना...! दरअसल, इसका अर्थ है धन कमाने में लगा रहना... और यदि आदमी यह करता है तो वह परिवार से कट जाता है। ऐसे में लोग समझाते हैं कि बेटा... तुम निन्यानवे के फेर में मत पड़ो.... नहीं तो जिंदगी खराब हो जाएगी। जितना है उसी में खुश रहना सीखो। दुनिया में शायद ही कोई होगा, जो इस 99 के फेर में न पड़ता हो। असल में रुपया कमाने का जुनून ऐसा होता है कि #1EK-एक करके रुपये आदमी जोड़ता है... लेकिन जैसे ही यह आंकड़ा 99 तक पहुंचता है तो हर किसी को पहला शतक लगाने का चस्का लग जाता है और यह चस्का ऐसा लुभावना होता है कि जो दौड़ शुरू होती है, वह रुकने का नाम नहीं लेती। 90 के बाद 100 का रोमांच देखना हो तो क्रिकेट से बेहतर और कौन सी जगह हो सकती है। 90 रन बनाने वाला बल्लेबाज चाहता है कि वह शतक बना ले और कई बार नवर्स नाइंटी का शिकार बन जाता है।
आंकड़ों की बात करें तो क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर 100 सेन्चुरी लगा चुके हैं लेकिन वह अपने कॅरिअर में कुल 28 बार नर्वस 90 का शिकार हुए। इस मामले में भी वह क्रिकेट के बादशाह कहे जाते हैं। वनडे में 18 बार और टेस्ट में 10 बार 90 से 99 रन के बीच उन्हें आउट होकर पवेलियन लौटना पड़ा। यही होता है जल्द से जल्द शतक तक पहुंचने के दवाब का नतीजा...। इस सूची में राहुल द्रविड़, एबी डिविलियर्स 14-14 और जैक कैलिस व रिकी पोंटिंग 13-13 बार यही कारनामा कर चुके हैं! यह तो रही कि्रकेट की बात। अब राजनीति की बात करें तो इस समय प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात के 100वें एपीसोड की चर्चा जोरों पर है। इस शतक के बाद मोदीजी जब अगली बार मन की बात करेंगे तो वह 101 एपीसोड होगा... शगुन से भरपूर। उम्मीद है कि यह शगुन उन्हें अगली बार फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारतीय जनमानस देगा...! खैर, हम तो गणितीय अंकों के फेरबदल की बात कर रहे थे। जरा... दिमाग पर जोर डाले तो बाजार में घूमकर आएं तो कई उत्पादों की कीमतों में 99 का यह फेर हमें दिखाया जाता है और हम उसके चक्कर में फंस भी जाते हैं। कैसे, 999 के बाद #1EK रुपये बचाकर हमेंे कंपनियां अच्छे से चूना लगाती हैं। दरअसल, हमारा दिमाग 9 के अंक के बाद शून्य को भूल जा जाता है... नतीजा... #1EK रुपये कीमत कम कर हमेंे लुभाया जाता है। हमें भी कीमत कम लगती है और हम फंस जाते हैं 99 और 999 के चक्कर में। अब नया चक्कर 29, 39, 49... आदि के भी बाजार में दिख जाते हैं। सच है ना...। हम सबसे पहले बायां अंक पढ़ते हैं और वह अंक कम दिखता हो तो हम सब ठीक लगता है... 999 के बाद वह अंक बदल जाता है लेकिन #1EK अंक कम करके उसे कम दिखाया जाता है... लेकिन हकीकत में यही झांसा होता है। हमारे समाज में जो #1EK को शगुन का प्रतीक बनाया गया गया, उसी #1EK को कम करके शून्य की जगह 99 का चलन पैदा कर दिया गया। इसी नौ के चक्कर में लोग ऐसे उलझे कि आज तक ...9, ...99, ...999 आदि के फेर में हम फंस जाते हैं। अब शगुन के #1EK रुपये की ताकत को पहचानने का समय आ गया है... नहीं तो आप बाजार की चाल में यूं ही फंसते रहेंगे। शून्य... के बाद #1EK आता है लेकिन शून्य के पहले जो 9 का अंक है, वह बड़ा लुभावना है। इसके चक्कर में जो फंस... वह जल्दी निकल नहीं पाता है। मोदीजी तो 99 के चक्कर से उबर चुके हैं। अब आपकी बारी है... निन्यानवे के फेर से बचने की। यह मेरी भी 99वीं पोस्ट है.. और इसके बाद शतक...! Dr. Shyam Preeti

Comments

Popular posts from this blog

#1EK फिल्म 'द केरल स्टोरी' ....

चर्चा का बाजार गर्म हो गया.... हिंदी का महज #1EK शब्द ‘भारत’ लिखा तो...

चंद्रयान #1EK से अब चंद्रयान-3 तक का रोमांचक सफर