I.N.D.I.A गठबंधन यदि 2024 का चुनाव हार गया तो.. नाम की फजीहत नहीं होगी?

भारत, हिंदुस्तान और इंडिया (India)... ये तीनों नाम हैं मेरे... लेकिन विवाद बढ़ाना चाहें तो आ बैल मुझे मार...! सर्वे के आंकड़े बता रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता विश्व परिदृश्य में इस समय चरम पर है और उनके रथ को रोक पाने में विपक्षी दलों के योद्धाओं के पसीने छूट रहे हैं। नतीजा... चुनाव-2024 के लिए चक्रव्यूह रचने का प्लॉन बनाया जा रहा है। कैसे मोदी को हराया जाए... #1EK सवाल है और जवाब में 26 दल...! नाम रखा गया है I.N.D.IA.. लेकिन सबसे बड़ा तनाव उनके सामने यह भी है कि मोदी कहते हैं कि उनका सीना 56 इंच का है और विपक्षी दलों की संख्या महीना भर बोले तो 30 कम है...! दोस्तो, इंडिया शब्द का कोई आधिकारिक फुल फॉर्म नहीं होता... बलि्क यह पूरा माना जाता है। जहां तक जबरदस्ती ज्ञान की बात है तो बुद्धजीवियों की जमात और दस्तावेजों में हमारे देश को “The Republic of India” कहा जाता है। इसी का संक्षिप्त रूप इंडिया है...। इसे समय का फेर कहें या जुगाड़ की राजनीति.... चुनाव में जीत की लालसा ने देश के नाम को ही अपना हथियार बनाने का निर्णय लिया गया है...! अब व्यंग्य की भाषा को छोड़कर अब हम भी थोड़ा राजनीतिक बनते हैं...! कहा जाता है कि टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने गठबंधन का नाम सुझाया I.N.D.I.A तो राहुल गांधी ने समर्थन किया। राजनीतिक हलकों में इसे अच्छा प्रयोग माना जा रहा है लेकिन जबरन लड़ाई करनी है तो वर्सेज भारत का नाम पुकारा जाएगा...! काहे... विरोधी दल का नाम भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा गठबंधन है। अब बचा हिंदुस्तान तो वह एकता की बातें कहता हुआ दोनों पार्टियों के बीच रेफरी का काम करेगा...! यही तो हमारे राष्ट्र की सुंदरता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं... #1EK भगवा और दूसरा हरा लेकिन बीच में सफेद रंग ही सबको ज्यादा भाता है। खैर, अब राजनीतिक हलकों में इंडिया वर्सेज भारत शुरू हो चुका है।
वैसे हमारे प्रिय देश का नाम आर्यावर्त, जंबूद्वीप, भारतखंड और हिंद भी कहा जाता रहा है... ये सब पर्याय का चक्कर है और दुनिया गोल है। अब विपक्षियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हर कोई खुद को सर्वश्रेष्ठ बताता है... ऐसा कैसे संभव है? हम श्रेष्ठ हो सकते हैं लेकिन सर्वश्रेष्ठ तो दूसरा ही होता है लेकिन यह गलतफहमी दूर नहीं होती... गलत फैमिली बन जाती है... यानी गठबंधन...! और जब कुनबा बड़ा होगा तो बर्तन टकराएंगे भी... फिर...आवाज भी जोर से आएगी... गठबंधन के नाम I.N.D.IA.. पर ही नीतीश कुमार ने एतराज जताया था। दरअसल, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस नाम का श्रेय राहुल गांधी को देते हुए कहा कि यह विचार उनकी ओर से आया था। और तो और इसकी टैग लाइन दी गई जीतेगा भारत.. इस प्रकार से कांग्रेस ने गठबंधन को हाईजैक करने की कोशिश की तो अन्य दलों को नाक सिकोड़ना बनता था... सो हुआ। खैर, अभी गठबंधन बना ही है लेकिन डी... के... मुद्दे पर सारे बॉस अपना-अपना राग अलाप रहे हैं।
कांग्रेस डी बोले तो डेवलपमेंटल का राग अलाप रही है और शरद पवार का कहना है कि डी का मतलब डेमोक्रेटिक...! और... राजनीतिक विश्लेषक खुराफातीलाल फरमाते हैं कि डी से ढक्कन भी होता है...! यह वक्तव्य सुनकर यदि आपको हंसी आ रही है तो तो हंस ले क्योंकि जीवन के लिए यही सबसे बढि़या टॉनिक है। याद करें... कुंवारे राहुल गांधी को जब लालू यादव ने शादी की सलाह दी और दूल्हा आप बने... बाराती हम बनेंगे...! इस पर राजनीतिक विश्लेषक खुराफातीलाल फरमाते हैं कि इस बयान से लगा कि जीते तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन गठबंधन बनने से पहले ही फूफा नाराज होते नजर आने लगे! गौरतलब है कि पहले इस गठबंधन का नाम UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) था लेकिन अबकी यह नए रंग-रूप में I.N.D.I.A नाम से चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है। इसका मुख्य एजेंडा बीजेपी के गठबंधन NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को टक्कर देना है। इस पर जनता के कई बंदों का कहना है कि अब लड़ाई 'इंडिया' और 'भारत' के बीच आ गई है। ऐसे में यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि कहीं यह गठबंधन चुनाव हार गया तो इंडिया नाम की फजीहत नहीं होगी? विपक्षी गठबंधन के नाम पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी निशाना साधा था। उन्होंने लिखा- 'हमारा सभ्यतागत संघर्ष इंडिया और भारत के इर्द-गिर्द केंद्रित है। अंग्रेजों ने हमारा नाम इंडिया रखा और कांग्रेस ने इसे सही मान लिया। हमें खुद को इस औपनिवेशिक विरासत से मुक्त कराना होगा। हमारे पूर्वज भारत के लिए लड़े ... और हम भारत के लिए काम करते रहेंगे।' उन्होंने आगे लिखा... इंडिया के लिए कांग्रेस और भारत के लिए मोदी...! I.N.D.I.A नाम पर हंगामे के बीच कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भारत और इंडिया को #1EK बताया। असल में विपक्षी दलों को पहले I.N.D.I.A नाम के फुलफॉर्म पर मंथन करना चाहिए था और एक मतलब पर सहमति के बाद इस अर्थ को जनता के सामने लाना चाहिए था ताकि उनकी ताकत दिखती पर नाम में D के अर्थ पर ही पहले विवाद हो गया, नतीजा... रायता फैल गया। आपको बस केवल #1EK बात याद रखनी है कि आप बहुत कीमती हैं... क्योंकि आपके वोट है... और इसे बेशकीमती कहा जाता है!
मेरा स्पष्ट मानना है कि जहां तक आम बोलचाल में लोगों से पूछेंगे तो ज्यादातर देश का नाम भारत ही बताएंगे लेकिन जहां आप बुद्धजीवियों की जमात पर चर्चा करेंगे तो यही नाम इंडिया हो जाएगा। अंग्रेजों के शासनकाल में इंडिया नाम काफी प्रसिद्ध हुआ था और आज के अंग्रेजी दां लोगों की जुबान में भी यही नाम ज्यादा रटा रहता है। गुस्ताखी माफ! लेकिन इंडिया नाम अमीरों में लोकप्रिय है और भारत का नाम आम भारतीय को प्रिय है। वह भारत की बात सुनाता है... और भारत को दिल में लेकर चलता है लेकिन जब टीम इंडिया कोई खेल जीतती है तो हर भारत प्रेमी भी खुशी से झूम उठता है क्योंकि वह इंडिया को तो भारत समझता है लेकिन इंडिया को पसंद करने वाला वर्ग... #1EK आम आदमी की जीत पर कम ही खुश दिखता है!
इस दृष्टिकोण से देखेंगे तो साफ दिखता है कि भारत और इंडिया के बीच खाई गहरी होती जा रही है। हमारा हिन्दोस्तां एक नही रहा दो भागों में बट गया है। यह सच है कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि इंडिया दैट इज़ भारत अर्थात भारत एक संघ है और इसे इन दोनों नामों से पुकारा जाया जाना चाहिए लेकिन देश के स्वाभिमान को जागृत करने के लिए भारत नाम लोगों को ज्यादा बेहतर लगता है। इंडिया नाम भी बहुतों को पसंद हैं लेकिन... अब इंडिया नाम रखकर विपक्षी दलों ने इस नाम की गरिमा गिरा दी है, यह मेरी निजी राय है।
#1EK स्थान पर पढ़ा था... भारत दो शब्दों से मिलकर बना है भा और रत... इसमें 'भा' का अर्थ है प्रकाश या रोशनी और रत का मतलब प्रेम... अर्थात रोशनी से प्रेम करने वाला भारत है... तभी हमारे राष्ट्र को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। हमारे यहां हरेक व्यकि्त महत्वपूर्ण है... यह हमारा जीवनदर्शन रहा है... और आम आदमी के नाम को रखकर तेजी से उन्नति करने वाली आम आदमी पार्टी ने भी यही स्वप्न दिखाया लेकिन #1EK नाम की महिमा को समझना इतना आसान नहीं है।
निजी तौर पर यह मेरा विचार है कि #1EK आम आदमी से मिलकर भारत बनता है और जब हम मिलकर एकजुट होते हैं तो #1EK Bharat (एक भारत) बनाते हैं... इस विचार के बाद ही अगला पड़ाव वसुधैव कुटुंबकम का होता है... बोले तो सारी दुनिया एक परिवार है। दूसरे शब्दों में #1EK मैं, #1EK आप और मिलकर #1EK हम बनेंगे। इस दृष्टिकोण से अब भारत नाम लोगों को ज्यादा प्रासंगिक लगे तो इसमें आश्चर्य करने वाली बात नहीं होगी क्योंकि हर #1EK आम आदमी को जब सम्मान मिलेगा तब ही #1EKBharat की परिकल्पना साकार हो सकेगी...! Dr. Shyam Preeti

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